यूपी, पंजाब, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में चुनाव परिणामों से पहले Koo App ने एक एडवाइजरी जारी की है, इसका मकसद यूजर्स को जिम्मेदार ढंग से सोशल मीडिया के इस्तेमाल के साथ ही गलत सूचना और फर्जी खबरों पर अंकुा लगाने के लिए संवेदनशील बनाना है. एडवाइजरी के हिस्से के रूप में Koo ऐप ने प्लेटफार्म पर मौजूद सभी 10 भाषाओं में अपनी सामुदायिक दिशानिर्देश भी जारी किए हैं. ये दिशानिर्देश भारतीय संदर्भ से जुड़े हुए हैं और क्रिएटर्स के साथ ही पहली बार सोशल मीडिया इस्तेमाल करने वाले यूजर्स को ज्यादा बेहतर कंटेट के लिए सशक्त बनाते हैं. यह गाइडलाइंस यह भी बताते हैं कि जिम्मेदार ऑनलाइन आचरण क्या होता है? चूंकि चुनाव नतीजों से पहले सोशल मीडिया पर आमतौर पर गलत सूचनाओं में इजाफा देखने को मिलता है, इसलिए कू ऐप ने सूचना को प्रमाणित करने के मदद से प्रमुख थर्ड पार्टी फैक्ट चैर्स तक भी पहुंच प्रदान की है.
चूंकि फर्जी खबरें (फेक न्यूज) अकसर स्पैम खातों के जरिये फैलाई जाती हैं, इसलिए कू ऐप गलत सूचनाओं को सीमित काने के लि ऐसे अकाउंट्स की गतिविधियों पर न केवल लगातार नजर रखता है बल्कि इन्हें प्रतिबंधित भी करता है. Koo ऐस के सीईओ अप्रमेय राधाकृष्ण ने कहा, 'मूल भाषाओं में आत्म अभिव्यक्ति के लिए एक सोशल प्लेटफॉर्म के रूप में हम क्रिएटर्स का स्वागत करते हैं और यूजर्स को रचनात्मकता अऔर नवावार को बढ़ावा देने के लिए ऑनलाइन अधिक समग्र दृष्टिकोण अपनाने के लिए सशक्त बनाते हैं. इस एडवाइजरी के जरिये कू ऐप एक जिम्मेदार मंच के रूप में फर्जी खबरों और द्वेषपूर्ण प्रसार को रोकने में मदद कर सकता है और अधिक ऑनलाइन सुरक्षा व पारदर्शिता को बढ़ावा दे सकता है. '
जहां तक KOO ऐप की बात है तो इसकी लांचिंग मार्च 2020 में भारतीय भाषाओं के एक बहुभाषी माइक्रो ब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म के रूप में की गई थी ताकि भारतीयों को अपनी मातृभाषा में अभिव्यक्त करने में सक्षम कियाा जा सके. भारतीय भाषाओं में अभिव्यक्ति के लिए एक अनोखे मंच के रूप में Koo ऐप भारतीयों को हिंदी, मराठी, गुजराती, पंजाबी, कन्नड़, तमिल, तेलुगु, असमिया, बंगाली और अंग्रेजी सहित 10 भाषाओं मं खुद को ऑनलाइन मुख बनाने में सक्षम बनाता है .