- यमुना नदी का जलस्तर इतना बढ़ गया है कि ताजमहल की दीवारों के पास तक पानी पहुंचा
- ताजमहल के निर्माण के समय यमुना नदी आगरा की सुंदरता और जल परिवहन का जरिया थी
- बीते दशकों में यमुना का जलस्तर लगातार घटता गया और गर्मियों में नदी का तल सूख जाता था
ताजमहल के किनारे बहती यमुना नदी लंबे वक्त बाद एक बार फिर से अपने उफान पर है. हाल ही में आई तस्वीरों में देखा गया कि नदी का जलस्तर इतना बढ़ गया है कि वह ताजमहल की दीवारों तक यमुना का पानी पहुंच गया है. आसमान में घने बादल और नदी की तेज़ धारा इस बात का संकेत देती है कि यमुना फिर से अपने उसी पुराने रंग में बह रही है, जैसे कि वो जमाने पहले बहती थी. लेकिन बदकिस्मती से वक्त के साथ यमुना की हालत यहां भी दिल्ली जैसी होती चली गई और इसका उफनना भी कम होता चला गया.
जब यमुना थी लाइफलाइन
ताज नगरी के लोग लोग बताते हैं कि पुराने दौर में एक समय वो भी था, जब यमुना नदी आगरा के जिंदगी की धड़कन हुआ करती थी. ताजमहल के निर्माण के समय यह नदी न केवल यहां की सुंदरता का हिस्सा थी, बल्कि जल परिवहन और सिंचाई का भी प्रमुख जरिया भी थी. पुराने दस्तावेज़ों और तस्वीरों में यमुना का बहाव ताजमहल के ठीक नीचे से होता दिखता है. जैसे कि हाल ही में यमुना दिख रही है.
वक्त के साथ बदलती धारा
बीते कुछ दशकों में यमुना का जलस्तर लगातार घटता ही जा रहा है. गर्मियों में तो नदी का तल तक सूख जाता था और ताजमहल के पीछे की ज़मीन एकदम बंजर दिखती थी. शहर में बढ़ती भीड़, प्रदूषण, अवैध निर्माण, और जल प्रबंधन की विफलताओं ने यमुना को एक संघर्षरत नदी बना दिया. लेकिन अब, मानसून की तीव्रता और हिमालयी क्षेत्रों में भारी बारिश के चलते यमुना फिर से उफान पर है. जिसका संगरमर की इमारत के पास उफनना किसी रोमांच से कम नहीं.
पुराने आगरा की यादें
स्थानीय बुज़ुर्ग बताते हैं कि पहले यमुना नदी में नावें चला करती थीं और बच्चे किनारे खेलते थे और त्योहारों पर घाटों पर रौनक रहती थी. लेकिन अब यमुना फिर से ताजमहल के करीब बह रही है, तो वह पुराने आगरा की याद दिला रही है. एक ऐसा ऐतिहासिक शहर जिसका इतिहास उफनती यमुना के बिना बेरंग सा ही दिखेगा. यमुना की ये तस्वीर बता रही है कि अगर जल प्रबंधन सही तरीके से किया जाए, तो यमुना फिर से आगरा की पहचान बन सकती है.