"सेना भर्ती में पहले से ही मांगे जाते रहे हैं जाति/धर्म प्रमाण पत्र", BJP का पलटवार- "विपक्ष का सवाल कष्ट देने वाला"

संजय सिंह ने मंगलवार को एक ट्वीट में कहा कि "मोदी सरकार का घटिया चेहरा देश के सामने आ चुका है. क्या मोदी जी दलितों/पिछड़ों/आदिवासियों को सेना भर्ती के क़ाबिल नही मानते? भारत के इतिहास में पहली बार “सेना भर्ती “ में जाति पूछी जा रही है. मोदी जी आपको “अग्निवीर” बनाना है या “जातिवीर."

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संजय सिंह सहित कई नेताओं ने जाति-धर्म प्रमाण को लेकर सवाल उठाए हैं. (प्रतीकात्मक तस्वीर)

नई दिल्ली:

सेना में भर्ती की नई योजना अग्निपथ के तहत भर्ती के लिए निकले फॉर्म का एक हिस्सा वायरल हो रहा है, जिसे लेकर विपक्षी पार्टियां सरकार को घेरने की कोशिश कर रही हैं. हालांकि, अब सरकार ने भी इसपर पलटवार किया है. दरअसल, मामला इस फॉर्म में उम्मीदवारों से जाति और धर्म प्रमाण पत्र मांगे जाने का है. विपक्ष ने आरोप लगाया है कि ऐसा पहली बार हो रहा है कि सेना में भर्ती के लिए जाति-धर्म पूछा जा रहा है. आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने केंद्र पर इसे लेकर हमला किया. हालांकि, सरकारी सूत्रों की ओर से कहा गया कि संजय सिंह "अपने इस दावे के साथ सेल्फ गोल कर रहे हैं."

दरअसल, संजय सिंह ने मंगलवार को एक ट्वीट में कहा कि "मोदी सरकार का घटिया चेहरा देश के सामने आ चुका है. क्या मोदी जी दलितों/पिछड़ों/आदिवासियों को सेना भर्ती के क़ाबिल नही मानते? भारत के इतिहास में पहली बार “सेना भर्ती “ में जाति पूछी जा रही है. मोदी जी आपको “अग्निवीर” बनाना है या “जातिवीर."

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उनके इस ट्वीट में फॉर्म के उस हिस्से को हाइलाइट किया गया है, जिसमें उम्मीदवारों से उनका जाति प्रमाण पत्र (और इसमें धर्म का जिक्र न होने पर अलग से धर्म प्रमाण पत्र) देने को कहा गया है.

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हालांकि, सरकारी सूत्रों ने इन आरोपों को खारिज किया है कि यह पहली बार हो रहा है और कहा कि यह सिस्टम ब्रिटिश राज से चला आ रहा है. सूत्रों ने कहा कि आजादी के बाद एक स्पेशल आर्मी ऑर्डर के जरिए 1949 में यह प्रावधान तय किया गया था. मोदी सरकार ने अब कोई नया बदलाव नहीं किया है और सात दशकों से सेना के चले आ रहे प्रावधानों का ही पालन कर रही है.

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बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने इस मुद्दे को लेकर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की और कहा कि विपक्ष जाति प्रमाण पत्र पर भ्रम पैदा करने की कोशिश कर रहा है. उन्होंने कहा कि "कहीं न कहीं राजनीति करते-करते देश की सेना को बदनाम करने की कोशिश है." उन्होंने धर्म प्रमाण पत्र मांगे जाने को लेकर कहा कि "सेना साफ-साफ कहती है कि हमारी भर्ती में धर्म की कोई जगह नहीं है. लेकिन धर्म की जानकारी इसलिए मांगी जाती है कि दुर्भाग्यपूर्ण परिस्थितियों में अगर कोई जवान शहीद हो जाता है तो इससे यह तय हो सके कि उसकी अंत्येष्टि, उसकी अंतिम क्रियाएं कैसे करनी हैं."

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बता दें कि आप के अलावा बीजेपी के सहयोगी संगठन जेडीयू के नेता उपेंद्र कुशवाहा और राजद के नेता तेजस्वी यादव ने भी इस मसले को उठाया है.

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