मिनी लॉकडाउन के साथ आक्रामक रणनीति की जरूरत : AIIMS प्रमुख रणदीप गुलेरिया

एम्स के प्रमुख डॉक्टर रणदीप गुलेरिया (Dr Randeep Guleria) का कहना है कि जो कंटेनमेंट जोन पिछले साल चरणबद्ध तरीके से हटा दिए गए थे, उन्हें वापस ज्यादा संक्रमण वाले इलाकों में लागू किए जाने की जरूरत है.

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Randeep Guleria ने कहा कि ये कंटेनमेंट जोन मिनी लॉकडाउन जैसे होंगे, जहां कोई आ-जा नहीं सकता
नई दिल्ली:

कोरोना की दूसरी लहर के दौरान भारत में रोज मिलने वाले मरीजों की संख्या सोमवार को पहली बार 1 लाख का आंकड़ा पार कर गई. एम्स के प्रमुख डॉक्टर रणदीप गुलेरिया ने इस पर कहा है कि आज हमें मिनी कंटेनमेंट जोन की जरूरत है, जो उस इलाके में लॉकडाउन की तरह काम करेंगे.गुलेरिया ने हालात को बेहद चिंताजनक बताते हुए कहा कि अगर हम पूर्ण लॉकडाउन लागू नहीं कर सकते तो ये मिनी कंटेनमेंट जोन बेहद जरूरी है.कोरोना के नए मामले महाराष्ट्र समेत 10 राज्यों में चिंता का विषय बने हुए हैं. महाराष्ट्र में साप्ताहिक लॉकडाउन और नाइट कर्फ्यू लागू किया गया है.

कोविड टॉस्कफोर्स के सदस्य गुलेरिया ने NDTV को बताया कि पूरे देश भर में लॉकडाउन को महामारी की रोकथाम का विकल्प नहीं माना जा रहा है. इससे न केवल अर्थव्यवस्था प्रभावित होती है, बल्कि हजारों प्रवासी मजदूरों को भी मुश्किलें झेलनी पड़ती हैं, क्योंकि उनके पास आजीविका का कोई साधन नहीं बचता. अभी तक करीब 10 राज्यों में आंशिक लॉकडाउन लागू किया गया है. सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य महाराष्ट्र में साप्ताहिक लॉकडाउन और नाइट कर्फ्यू घोषित किया गया है.

एम्स के प्रमुख डॉक्टर रणदीप गुलेरिया (AIIMS Chief Dr Randeep Guleria) का कहना है कि जो कंटेनमेंट जोन पिछले साल चरणबद्ध तरीके से हटा दिए गए थे, उन्हें वापस ज्यादा संक्रमण वाले इलाकों में लागू किए जाने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि ये कंटेनमेंट जोन मिनी लॉकडाउन की तरह होने चाहिए, जहां कोई आवाजाही न हो सके. यहां सघन तरीके से टेस्टिंग और ट्रैकिंग कराई जानी चाहिए. मरीज के हर करीबी व्यक्ति का कोरोना टेस्ट कराया जाना चाहिए. 

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गुलेरिया ने कहा कि एक लाख कोरोना के मरीजों का आंकड़ा बहुत ऊंचा है. एक लाख का आंकड़ा बेहद कम समय में पहुंच गया है, लिहाजा हमें आक्रामक रणनीति के साथ आक्रामक कदम उठाने की जरूरत है. देश में कोरोना के रोज के मामले एक लाख 3 हजार 558 तक पहुंच गए हैं. केरल में 30 जनवरी 2020 को देश में पहला मामला मिलने के साथ यह अब तक का सबसे बड़ा रिकॉर्ड है.

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