भारत में कोरोनावायरस (Coronavirus) की दूसरी लहर के बीच कई राज्य वैक्सीन की कमी की शिकायत कर रहे हैं. इस बीच, केंद्र के COVID-19 वर्किंग ग्रुप के प्रमुख ने कहा कि भारत ने आयु-वर्ग के हिसाब से कोरोना टीकाकरण को प्राथमिकता दी थी ताकि मुख्य रूप से मृत्यु दर को कम किया जा सके, लेकिन जैसे ही इसमें 18 से 45 आयु वर्ग के लोगों को शामिल किया वैक्सीन की कमी हो गई. केंद्रीय पैनल के अध्यक्ष डॉक्टर एन.के अरोड़ा ने कहा कि पहले से निर्धारित आयु वर्ग के लोगों के लिए अब भी पर्याप्त वैक्सीन है.
डॉक्टर अरोड़ा ने एनडीटीवी को बताया, "वैक्सीनेशन का दायरा बढ़ाकर 18 से 45 साल के लोगों को शामिल करने पर... स्पष्ट रूप से दिखा कि वैक्सीन उपलब्ध नहीं है, टीके की कमी है. मैं कहूंगा कि इसे (विस्तार) कुछ समय के लिए टाल दिया जाना चाहिए था."
उन्होंने कहा, "पिछले साल सितंबर-अक्टूबर में वैक्सीन को लेकर प्राथमिकता तय की गई थी और यह स्पष्ट था कि उपलब्धता के अनुसार, वैक्सीनेशन का त्वरित उद्देश्य मृत्यु दर और रोग के प्रसार को कम करना था. जाहिर सी बात है कि सबसे ज्यादा जोखिम वाली आबादी को लक्षित किया जाना था."
नेशनल टेक्निकल एडवाइजरी ग्रुप ऑन इम्युनाइजेशन के सदस्य डॉक्टर अरोड़ा के मुताबिक, यही वजह थी कि 45 साल से ऊपर के लोगों और फ्रंटलाइन वर्कर्स को चुना गया. उन्होंने कहा, "और आज भी जुलाई तक के लिए उनके लिए पर्याप्त वैक्सीन है. उनके लिए 50-55 करोड़ डोज उपलब्ध होंगे."
डॉक्टर अरोड़ा ने जोर दिया कि यहां तक कि अभी विदेशों में भी वैक्सीन उपलब्ध नहीं है. उन्होंने कहा, "हम में से कई लोगों को लगता है कि अगर हम टेंडर निकालते हैं तो टीके आएंगे, लेकिन यह सही नहीं है. विश्व स्तर पर शायद ही कोई टीका उपलब्ध हो क्योंकि ये अत्यधिक प्रतिबद्ध विनिर्माण हैं, जिस पर कुछ उच्च आय वाले देशों ने एकाधिकार जमा लिया है."