दिल्ली में एक महिला ने नगरपालिका अधिकारियों को आवारा या अनरजिस्टर्ड कुत्तों को खत्म करने की अनुमति देने वाले कानून के खिलाफ "दिल्ली के सभी कुत्तों की ओर से" हाईकोर्ट का रुख किया है. दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद की बेंच ने कामिनी खन्ना द्वारा दायर जनहित याचिका पर नोटिस जारी किया है.
हाईकोर्ट ने सार्वजनिक स्थानों पर घूमते पाए गए अपंजीकृत और लावारिस कुत्तों को पकड़ने और उन्हें खत्म करने के लिए नगर निगम की शक्ति को चुनौती देने वाली याचिका पर केंद्र और दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) से जवाब मांगा है.
याचिकाकर्ता ने कहा कि दिल्ली नगर निगम अधिनियम की धारा 399 एमसीडी को "मनमाने तरीके से कुत्तों को मारने" में सक्षम बनाती है, जो संविधान के अनुच्छेद 51 और पशु संरक्षण कानून के सीधे विरोध में है. अदालत ने 14 अक्टूबर को दिए अपने आदेश में कहा कि जारी नोटिस करें. सुनवाई की अगली तारीख 10 फरवरी 2023 से पहले जवाब दाखिल किया जाए.
याचिका में हाल ही में एमसीडी की एक एडवाइजरी को भी चुनौती दी गई है, जिसमें नागरिकों को कुत्ते के काटने के मामलों की बढ़ती संख्या के मद्देनजर अपने पालतू जानवरों का रजिस्ट्रेशन कराने के लिए कहा गया है. अधिकारियों को किसी भी स्ट्रीट डॉग को हटाने, मारने या नुकसान पहुंचाने से रोकने के लिए निर्देश देने की मांग की गई है.
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