जम्मू-कश्मीर में कश्मीरी पंडितों की हत्या के बाद आतंकवादियों ने गैर-मुस्लिमों को लेकर नई चेतावनी जारी की है. इस चेतावनी के तहत गैर मुस्लिम और कश्मीर के बाहर के लोगों पर और हमले होने की बात कही गई है. गृह मंत्रालय से जुड़े सूत्रों ने ये जानकारी दी. सूत्रों के अनुसार 15 अगस्त के दिन कश्मीर के अलग-अलग जगह पर निकाली गई तिरंगा रैली के बाद से आतंकवादियों ने ऐसी चेतावनी जारी की है. बता दें जम्मू एवं कश्मीर के शोपियान में एक बार फिर से कश्मीरी हिन्दू की आतंकवादियों ने गोली मारकर हत्या कर दी. कश्मीर पुलिस ने घटना के बारे में बताया कि शोपियां में एक सेब के बाग में आतंकवादियों द्वारा की गई गोलीबारी में एक नागरिक की मौत हो गई , वहीं उसका भाई घायल हो गया. पुलिस ने कहा कि जिन पर हमले हुए वो दोनों हिंदू हैं.
कश्मीर पुलिस ने अपने ऑफिशियल ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया, "आतंकवादियों ने शोपियां के चोटीपोरा इलाके में एक सेब के बाग में आम नागरिकों पर गोलियां चलाईं. फायरिंग में एक व्यक्ति की मौत हो गई और एक अन्य घायल हो गया. दोनों अल्पसंख्यक समुदाय के हैं. घायल व्यक्ति को अस्पताल में भर्ती कराया गया है. आंतकी ने जिन भाईयों को निशाना बनाया उनमें एक की पहचान सुनील कुमार के रूप में हुई है, वहीं दूसरे का नाम पिंटू है.
कश्मीर घाटी में आतंकवाद विरोधी अभियानों के प्रभारी एक वरिष्ठ अधिकारी ने एनडीटीवी को बताया कि कश्मीरी पंडितों की हत्या के मामले में कटापोरा के आदिल वानी को एक गवाह ने पहचाना है. उन्होंने कहा कि हमने बड़े पैमाने पर तलाशी अभियान शुरू किया है और दोनों की तलाश कर रहे हैं." उन्होंने कहा कि पीड़ित सुनील कुमार का परिवार उन परिवारों में से एक था, जो 1990 के दशक में भी कभी कश्मीर से पलायन नहीं किया था, जब आतंकवाद अपने चरम पर था. हाल ही में कई टार्गेट मर्डर के बाद, जम्मू-कश्मीर पुलिस का एक गार्ड उनके घर के बाहर तैनात करवाया गया था.
हमले का दावा अल बद्र की एक शाखा 'कश्मीर फ्रीडम फाइटर्स' ने किया है, आतंकी संगठन की तरफ से कहा गया है कि दोनों भाइयों को 'तिरंगा रैलियों' में भाग लेने के लिए लोगों को प्रोत्साहित करने के लिए निशाना बनाया गया है.गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि हमारे पास इनपुट है कि सीमा पार से बड़ी मात्रा में छोटे हथियारों और गोला-बारूद की तस्करी की गई है. इससे यह संकेत मिलते हैं कि आने वाले दिनों में टार्गेट मर्डर और ग्रेनेड फेंकने के अलग-अलग मामलों में वृद्धि होने की संभावना है.