आंध्र प्रदेश में मुख्यमंत्री की कुर्सी के लिए लड़ाई भले ही खत्म हो गई हो, लेकिन अब फर्नीचर को लेकर जंग तेज हो गई है. चंद्रबाबू नायडू की तेलगू देशम पार्टी (TDP) ने हाल ही में विधानसभा चुनावों में 175 में से 135 सीटें जीतकर वाईएसआर कांग्रेस पार्टी (YSRCP) और उसके प्रमुख वाईएस जगन मोहन रेड्डी को पांच साल के बाद शासन के बाद सत्ता से बेदखल कर दिया है. अब उन्होंने अपने प्रतिद्वंद्वी की कोठरी से कथित 'कंकाल' बाहर निकालने शुरू कर दिए हैं.
जगन मोहन रेड्डी पर विशाखापट्टनम में कैंप आफिस के रूप में 500 करोड़ रुपये का "हिलटॉप पैलेस" बनवाने का आरोप लगाने के बाद टीडीपी अब पूर्व मुख्यमंत्री को 'फर्नीचर चोर' कह रही है. वह दावा कर रही है कि उन्होंने ताडेपल्ली में अपने आवास और कैंप आफिस का करोड़ों रुपये का फर्नीचर अपने पास रख लिया है, जो कि करदाताओं के पैसे से तैयार किया गया था.
'फर्नीचर चोर' का विशेषण वाईएसआर कांग्रेस की ओर से टीडीपी नेता और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष कोडेला शिव प्रसाद राव पर लगाए गए इसी तरह के आरोप का बदला है. राव के खिलाफ कई मामले दर्ज किए गए थे और उन्हें 'फर्नीचर चोर' भी कहा गया था. उनके बेटे कोडेला शिवराम के अनुसार यह अपमानजनक था और इसीलिए उन्होंने कथित तौर पर सितंबर 2019 में आत्महत्या कर ली थी.
राव पर आरोप लगाया गया था कि उन्होंने 2014 में आंध्र प्रदेश के विभाजन के बाद पहली बार स्पीकर बनने के पश्चात अपने इस्तेमाल के लिए खरीदे गए फर्नीचर को शिवराम के शोरूम में भेज दिया था. सन 2019 के चुनावों में टीडीपी को हराने के बाद वाईएसआर कांग्रेस ने यह आरोप लगाए थे.
अब कोडेला शिवराम ने रेड्डी के खिलाफ स्पष्ट आरोप लगाए हैं. आईटी मंत्री नारा लोकेश ने पूर्व मुख्यमंत्री रेड्डी से पूछा है कि वह फर्नीचर कब लौटाने वाले हैं.
टीडीपी की महिला इकाई की नेता तेजस्विनी ने अनंतपुर में पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है. उन्होंने उसमें आरोप लगाया है कि रेड्डी और उनके सहयोगियों ने कोडेला शिव प्रसाद को अपमानित करके और उनके खिलाफ पुलिस मामले दर्ज करके उन्हें आत्महत्या के लिए मजबूर किया था.
आरोपों को खारिज करते हुए, वाईएसआर कांग्रेस के एक नेता ने कहा कि रेड्डी ने पहले ही राज्य सरकार को पत्र लिखकर कहा है कि वह अपने परिसर में लगे सभी फर्नीचर और फिटिंग की राशि देंगे.
'जगन का महल'
रेड्डी पहले से ही रुशिकोंडा हिल्स पर सात भवनों के एक भव्य परिसर को लेकर आलोचनाओं का सामना कर रहे हैं. इसे उनके आलोचक "जगन का महल" कहते हैं. कहा जाता है कि 500 करोड़ रुपये की लागत से इस परिसर का निर्माण किया गया था. यह मुख्यमंत्री का घर और कैंप आफिस था. रेड्डी विशाखापट्टनम को आंध्र प्रदेश की कार्यकारी राजधानी बनाना चाहते थे.
हालांकि वाईएसआर कांग्रेस के नेता कहते हैं कि यह सरकार की संपत्ति है और इसका मालिकाना हक रेड्डी का नहीं बल्कि पर्यटन विभाग का है. पार्टी के एक नेता ने कहा, "2014 में राज्य के बंटवारे के समय हमने अपनी संपत्ति खो दी थी, इसलिए हमारे नेता एक ऐसा परिसर बनाना चाहते थे जो राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और अन्य लोगों के दौरे के समय वीवीआईपी गेस्ट हाउस के रूप में काम आ सके, सम्मेलन आयोजित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय मेहमानों की मेजबानी के लिए जगह हो, या फिर लक्जरी पर्यटकों के ठहराने के लिए विकल्प के रूप में काम आए."
पूर्व पर्यटन मंत्री आरके रोजा सेल्वामणि ने इस साल की शुरुआत में संवाददाताओं से कहा था कि रुशिकोंडा की प्रापर्टी को मुख्यमंत्री के कैंप कार्यालय के लिए एक विकल्प के रूप में चुना गया था. इसे तीन सदस्यीय समिति द्वारा अनुमोदित किया गया था, जो एक उपयुक्त स्थान की तलाश कर रही थी.
जैसे को तैसा?
अब सवाल यह है कि चंद्रबाबू नायडू सरकार इस संपत्ति का क्या करेगी. मुख्यमंत्री के बेटे और राज्य मंत्री नारा लोकेश ने कहा है कि जांच के आदेश दिए जाएंगे, न्याय होगा और भवन आंध्र प्रदेश के लोगों को समर्पित की जाएगी.
सन 2019 में जगन मोहन रेड्डी सरकार द्वारा की गई पहली कार्रवाई में से एक विजयवाड़ा के उंडावल्ली में नायडू के घर के पास 8.9 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित प्रजा वेदिका (सरकारी हॉल) को ध्वस्त करना था. यह भवन नायडू की हसरत थी और उन्होंने रेड्डी से इसे खड़ा रहने देने के लिए कहा था, लेकिन इसे अवैध घोषित करने के बाद बुलडोजर से गिरा दिया गया था.
इस स्ट्रक्चर के अवशेष नायडू के आवास के बगल में छोड़ दिए गए थे. मुख्यमंत्री ने अब इस क्षेत्र को संग्रहालय में बदलने के सुझाव का स्वागत किया है, ताकि यह दिखाया जा सके कि सत्तारूढ़ दलों और सरकारों को कैसे काम नहीं करना चाहिए. उन्होंने इसकी तुलना हिरोशिमा और नागासाकी के संग्रहालयों से भी की है और कहा है कि इसे विनाशकारी शासन का उदाहरण बनना चाहिए और लोगों को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करना चाहिए.
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