- BSF ने PM मोदी की प्रेरणा से देसी नस्ल के कुत्तों को टेकनपुर श्वान प्रशिक्षण केंद्र में प्रशिक्षित किया.
- ट्रेनिंग के बाद भारतीय नस्लों के कुत्ते सीमा और नक्सल विरोधी अभियानों में तैनात होकर बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं
- अखिल भारतीय पुलिस ड्यूटी मीट में मुधोल हाउंड कुत्ता “रिया” ने सर्वश्रेष्ठ ट्रैकर और डॉग ऑफ द मीट खिताब जीते.
BSF की ट्रेनिंग के बाद देसी नस्ल के कुत्तों ने ऐसी फुर्ती दिखाई कि 116 विदेशी नस्लों के कुत्तों को पीछे छोड़ दिया. बताया गया कि PM मोदी की प्रेरणा से BSF ने इन कुत्तों को टेकनपुर स्थित राष्ट्रीय श्वान प्रशिक्षण केंद्र में प्रशिक्षित किया. साथ ही प्रजनन कार्यक्रमों के माध्यम से इनकी संख्या में निरंतर वृद्धि की. यह पहल अब सहायक K9 प्रशिक्षण केंद्रों और क्षेत्रीय इकाइयों तक विस्तारित हो चुकी है. बताया गया कि वर्तमान में, 150 से अधिक भारतीय नस्लों के श्वान देश के विभिन्न सामरिक एवं संवेदनशील क्षेत्रों यथा पश्चिमी और पूर्वी सीमाएं, तथा नक्सल विरोधी अभियानों में मुस्तैदी से तैनात हैं.
BSF की रिया ने दो-दो मेडल किए अपने नाम
इनकी प्रभावशाली कार्यक्षमता ने स्वदेशी नस्लों को सुरक्षा बलों की परिचालन संरचना में एक सुदृढ़ स्थान प्रदान किया है. इस पहल की सफलता का प्रमाण वर्ष 2024 के अखिल भारतीय पुलिस ड्यूटी मीट (लखनऊ) में मिला, जहां बीएसएफ की “रिया”, एक मुधोल हाउंड, ने ‘सर्वश्रेष्ठ ट्रैकर ट्रेड श्वान' और ‘डॉग ऑफ द मीट' दोनों खिताब जीत लिए.
बताया गया कि यह पहला अवसर था जब किसी भारतीय नस्ल के श्वान ने 116 विदेशी नस्लों को पराजित कर यह उपलब्धि प्राप्त की है. यह भारतीय श्वानों की उत्कृष्टता, अनुशासन और क्षमता का जीवंत प्रमाण है.
राष्ट्रीय एकता दिवस परेड में स्वदेशी गर्व का प्रदर्शन
इस गौरवशाली विरासत को आगे बढ़ाते हुए आगामी राष्ट्रीय एकता दिवस परेड में भारतीय नस्लों के श्वानों की एक मार्चिंग टुकड़ी बीएसएफ का प्रतिनिधित्व करेगी. इस अवसर पर एक विशेष श्वान प्रदर्शनी भी आयोजित की जाएगी. जिसमें सामरिक कुशलता और परिचालन दक्षता का प्रदर्शन होगा . कहना न होगा कि यह आत्मनिर्भर और स्वाभिमानी भारत की K9 शक्ति की प्रतीक होगी.
2018 में पीएम मोदी ने टेकनपुर के दौरे में देसी नस्लों के प्रोत्साहन की कही थी बात
बताया गया कि इस ऐतिहासिक परंपरा को नई दिशा मिली जब जनवरी 2018 में माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सीमा सुरक्षा बल (BSF) के राष्ट्रीय श्वान प्रशिक्षण केंद्र (NTCD), टेकनपुर का दौरा किया. इस अवसर पर उन्होंने भारतीय नस्लों के श्वानों को सुरक्षा बलों में प्रोत्साहित करने की आवश्यकता पर बल दिया. उनका यह दूरदर्शी सकारात्मक कथन , स्वदेशी नस्लों की पहचान, प्रशिक्षण और उन्हें परिचालन भूमिकाओं में शामिल करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम सिद्ध हुआ.
प्रधानमंत्री की प्रेरणा लेकर बीएसएफ ने दो प्रमुख भारतीय नस्लों — रामपुर हाउंड और मुधोल हाउंड — को अपने बल में शामिल कर एक उल्लेखनीय कदम उठाया.
- रामपुर हाउंड- उत्तर प्रदेश की रामपुर रियासत से संबंधित यह नस्ल नवाबों द्वारा विकसित की गई थी. गीदड़ों और बड़े शिकार के लिए प्रयुक्त यह श्वान अपनी गति, वीरता और निर्भीकता के लिए प्रसिद्ध है.
- मुधोल हाउंड- दक्कन के पठार का यह मूल निवासी श्वान पारंपरिक रूप से शिकार और सुरक्षा कार्यों में प्रयुक्त होता रहा है. इसे मराठा सेनाओं से भी जोड़ा जाता है. बाद में राजा मलोजीराव घोरपड़े ने इसका संरक्षण किया और ब्रिटिश अधिकारियों के समक्ष इसे “Caravan Hound” के रूप में प्रस्तुत किया.
इन भारतीय नस्लों की विशेषताएं
उच्च फुर्ती, सहनशक्ति, अनुकूलनशीलता, रोग-प्रतिरोधक क्षमता और न्यूनतम देखभाल की आवश्यकता — इन्हें भारत के विविध भौगोलिक एवं जलवायु परिस्थितियों में अत्यंत उपयुक्त बनाती हैं.