कृषि कानूनों को लागू करने से पहले किसानों से नहीं ली गयी थी सलाह, RTI में हुआ खुलासा

नरेंद्र मोदी सरकार के द्वारा कृषि कानूनों को पारित करवाने से पहले परामर्श नहीं लेने का आरोप लगाते हुए लगातार विपक्ष और किसान संगठन आलोचना कर रहे हैं.

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कृषि कानून के विरोध में किसान दिल्ली बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे हैं (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:

एक तरफ केंद्र सरकार लगातार यह दावा कर रही है कि तीन विवादास्पद कृषि कानूनों (Agricultural law) को पारित करने से पहले 'हितधारकों' के साथ कई परामर्श किए थे लेकिन एनडीटीवी द्वारा दायर एक आरटीआई (RT) के जवाब में सरकार का कहना है कि "इस मामले में कोई रिकॉर्ड नहीं है". बताते चले कि नरेंद्र मोदी सरकार के द्वारा कृषि कानूनों को पारित करवाने से पहले परामर्श नहीं लेने का आरोप लगाते हुए लगातार विपक्ष और किसान संगठन आलोचना कर रहे हैं.


सोमवार को कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने एक फेसबुक लाइव कार्यक्रम में कहा था कि इन कानूनों पर देश में बहुत लंबे समय से चर्चा चल रही है ... कई समितियों का गठन किया गया था, जिसके बाद देश भर में कई परामर्श आयोजित किए गए थे.इस महीने की शुरुआत में कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा था कि कृषि कानून पर हितधारकों के साथ व्यापक परामर्श, प्रशिक्षण और आउटरीच कार्यक्रम  किए गए थे. उन्होंने कहा था कि 1.37 लाख वेबिनार और प्रशिक्षण जून में आयोजित किए गए थे और 92.42 लाख किसानों ने भाग लिया था.


इसी तरह, सरकारी सूत्रों के एक नोट के अनुसार इस धारणा को दूर करने का प्रयास किया गया कि केंद्र सरकार ने किसानों और उनके प्रतिनिधियों के साथ व्यापक आउटरीच और परामर्श नहीं किया है.नोट के माध्यम से यह भी बताया गया कि कुछ प्रगतिशील किसानों और जानकार मंडी अधिकारियों से भी प्रतिक्रिया ली गई थी. वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से एफपीओ किसान उत्पादक संगठनों के साथ कई बैठकें हुईं थी.मंत्रालय ने एक प्रमुख किसान संघ से भी परामर्श किया था और यहां तक ​​कि उनकी प्रतिक्रिया के बाद अध्यादेश में बदलाव भी किया गया था.एनडीटीवी की आरटीआई क्वेरी की प्रतिक्रिया, हालांकि, इन दावों की सत्यता पर गंभीर संदेह उत्पन्न करती है.

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NDTV ने कृषि, सहयोग और किसान कल्याण विभाग के साथ 15 दिसंबर को आरटीआई दायर किया था और तीनों कानूनों पर किसान समूहों के साथ सरकार की तरफ से हुए परामर्श, यदि कोई किया गया था का विवरण मांगा था.NDTV ने पूछा कि क्या सरकार को कानून बनाने से पहले किसान समूहों के साथ कोई सलाह-मशविरा किया था? NDTV ने इन बैठकों का विवरण भी मांगा था, जिसमें तारीख, किसान प्रतिनिधियों के नाम, जो शामिल थे, जिन समूहों से वे संबद्ध थे, और अन्य उपस्थित लोगों का विवरण भी शामिल था. NDTV ने इन बैठकों के कार्यवृत्त की एक प्रति का भी अनुरोध किया था.

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22 दिसंबर को हमें मुख्य लोक सूचना अधिकारी से जवाब मिला, सरकार ने कहा कि "इस मामले में कोई रिकॉर्ड नहीं है" और अनुरोध को बंद कर दिया गया.जिसके बाद NDTV की तरफ से एक अपील दायर की गयी है, जिसमें केंद्रीय मंत्रियों के कई उदाहरणों का उल्लेख किया गया है जो परामर्श का दावा करते हैं उस पर जानकारी मांगी गयी है.

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पिछले करीब पांच हफ्ते से दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का धरना प्रदर्शन जारी है और इस दौरान सरकार और किसान संगठनो के बीच कम से कम 6 दौर की सीधी बातचीत हो चुकी है. लेकिन मुश्किल ये है कि दोनों पक्षों ने अपने-अपने रुख को और कड़ा कर लिया है - बीच का रास्ता तब तक नहीं निकल पायेगा जब तक एक पक्ष अतिरिक्त उदाररता नहीं दिखाता है.

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