अदीना मस्जिद नहीं आदिनाथ मंदिर... क्रिकेटर और नेता युसूफ पठान को बीजेपी का जवाब, जानिए पूरा मामला

मेटा एआई के अनुसार, अदीना मस्जिद के बारे में एएसआई का पक्ष यह है कि यह एक संरक्षित स्मारक है और इसका रखरखाव एएसआई द्वारा किया जा रहा है. अदीना मस्जिद में पुजारी द्वारा पूजा करने का प्रयास किए जाने के बाद, एएसआई ने पुजारी के खिलाफ मामला दर्ज किया था.

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  • टीएमसी सांसद युसूफ पठान ने मालदा के अदीना मस्जिद को 14वीं सदी का ऐतिहासिक मुस्लिम स्मारक बताया था.
  • उनके ट्वीट के बाद विवाद शुरू हुआ, जिसमें कुछ लोगों ने मस्जिद को हिंदू मंदिर के रूप में पहचानने का दावा किया.
  • बीजेपी ने भी विवाद में शामिल होकर ट्वीट में मस्जिद को आदिनाथ मंदिर बताया. इससे सोशल मीडिया पर बहस तेज हुई.
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भारतीय क्रिकेटर युसूफ पठान ने एक ऐसा तार छेड़ दिया है, जिसकी गूंज दूर तक चली गई है. ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी से सांसद युसूफ पठान ने दो दिन पहले एक ट्वीट किया. उस समय शायद उनको एहसास नहीं होगा कि उनका ये ट्वीट इतना बड़ा बवंडर खड़ा करने वाला है. पठान ने लिखा, "मालदा, पश्चिम बंगाल में अदिना मस्जिद एक ऐतिहासिक मस्जिद है, जिसे 14वीं सदी में सुल्तान सिकंदर शाह ने बनवाया था, जो इल्यास शाही वंश के दूसरे शासक थे. 1373-1375 ईस्वी में निर्मित, यह अपने समय में भारतीय उपमहाद्वीप की सबसे बड़ी मस्जिद थी, जो क्षेत्र की वास्तुकला की भव्यता को दर्शाती है."

इस ट्वीट के साथ पठान ने कई तस्वीरें भी डालीं. मगर जल्द ही इस पर बवाल शुरू हो गया. लोग इस ढांचे को विवादित बताने लगे. वीआर नाम के एक शख्स ने ग्रोक से ही पूछ लिया कि सच क्या है. इस पर ग्रोक ने कई तरह के जवाब दिए. फिर एक शख्स प्लान एच ने तस्वीरें शेयर करते हुए लिखा, "प्रिय यूसुफ पठान, आप सबसे बड़े हिंदू मंदिरों में से एक, अदिनाथ मंदिर के परिसर में खड़े हैं, जिसे इस्लामी आक्रमणकारियों ने अपवित्र किया और कब्जा कर लिया था. संदर्भ के लिए कुछ चित्र संलग्न हैं. यह अन्याय और बर्बरता को दूर करने और मंदिर की महिमा को पुनः स्थापित करने का समय है."

विवाद बढ़ने पर बीजेपी भी इसमें कूद गई और सीधे तौर पर यूसूफ पठान के ट्वीट को री-ट्वीट करते हुए लिखा, "सुधार: आदिनाथ मंदिर." यूसूफ पठान के ट्वीट पर सोशल मीडिया एक्स पर विवाद बढ़ गया है. विवाद का अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि अब तक 70 लाख से ज्यादा लोग इस ट्वीट को री-ट्वीट कर चुके हैं.

कौन थे सिकंदर शाह

अबुल मुजाहिद सिकंदर शाह बंगाल के दूसरे सुल्तान थे. वो इलियास शाही वंश के शासक थे. वे शम्सुद्दीन इलियास शाह के बेटे थे और पिता की मौत के बाद उन्होंने गद्दी संभाली. शासन के शुरुआती वर्षों में सिकंदर शाह को दिल्ली के सुल्तान फिरोज शाह तुगलक के हमले का सामना करना पड़ा. 1359 में फिरोज शाह ने करीब 80,000 घुड़सवार, बड़ी पैदल सेना और 470 हाथियों के साथ बंगाल पर चढ़ाई कर दी. फिरोज शाह ने जफर खान फारस को बंगाल का वैध शासक घोषित किया था. सिकंदर शाह ने अपने पिता की तरह एकदला किले में शरण ली और वहां से दिल्ली की सेना का मुकाबला किया. बारिश का मौसम आने पर दोनों ओर की सेनाओं को कठिनाइयों का सामना करना पड़ा. आखिरकार, दोनों पक्षों के बीच शांति संधि हुई, जिसके तहत दिल्ली ने बंगाल की आजादी को मान्यता दी और अपनी सेना वापस बुला ली.

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बेटे ने की हत्या

सिकंदर शाह के शासन के अंतिम वर्षों में उनके परिवार में ही विद्रोह हो गया. 1390 में उनके ही एक बेटे ने सोनारगांव और सतगांव पर कब्जा कर लिया. इसके बाद गोलपाड़ा की लड़ाई में सिकंदर शाह की मौत हो गई. बताया जाता है कि उनके बेटे ने आदेश दिया था कि पिता को नुकसान न पहुंचाया जाए, लेकिन युद्ध में वे गलती से मारे गए. इसके बाद वही बेटा सुल्तान गियासुद्दीन आजम शाह के नाम से बंगाल का शासक बना. सिकंदर शाह का शासनकाल बंगाल के इतिहास में शक्ति, समृद्धि और सांस्कृतिक वैभव का प्रतीक माना जाता है.

एएसआई का पक्ष

मेटा एआई के अनुसार, अदीना मस्जिद के बारे में एएसआई का पक्ष यह है कि यह एक संरक्षित स्मारक है और इसका रखरखाव एएसआई द्वारा किया जा रहा है. अदीना मस्जिद में पुजारी द्वारा पूजा करने का प्रयास किए जाने के बाद, एएसआई ने पुजारी के खिलाफ मामला दर्ज किया था. एएसआई की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, अदीना मस्जिद 1369 ईस्वी की मुस्लिम वास्तुकला का एक उल्लेखनीय उदाहरण है, जो बंगाल सल्तनत के इलियास वंश के दूसरे शासक सिकंदर शाह के शासनकाल में बनाया गया था.  हालांकि, अदीना मस्जिद के इतिहास और इसकी वास्तुकला को लेकर विवाद जारी है, जिसमें कुछ लोगों का दावा है कि यह एक हिंदू मंदिर पर बनाया गया था, लेकिन एएसआई ने इस संबंध में कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है.

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