"मैं बांग्लाभाषी, मुंह से निकल गया, यह चूक हुई..." : 'राष्ट्रपत्नी' विवाद पर NDTV से बोले अधीर रंजन चौधरी

अधीर रंजन ने कहा कि इन लोगों से माफी मांगने का तो सवाल ही नहीं पैदा होता. ये लोग कौन हैं, इनसे क्यों माफी मांगें. ये क्यों हुआ, मुझे सदन के अंदर बात रखने का मौका दिया जाए. मैं अगर अपनी बात सही ढंग से ना रह पाऊं तो स्पीकर साहब जैसे चाहे फैसला लें.

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राष्ट्रपत्नी विवाद पर अधीर रंजन चौधरी ने कही ये बातें

कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी द्वारा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को "राष्ट्रपत्नी" कहने पर संसद में आज भारी हंगामा हुआ. राष्ट्रपति को लेकर अपने आपत्तिजनक बयान पर मचे विवाद को लेकर कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने एनडीटीवी टीवी से खास बातचीत की. उन्होंने कहा कि  सबसे पहले तो मैं यह कहना चाहूंगा कि बीजेपी राई को पहाड़ बना रही है. सदन के अंदर कामकाज ठप पड़ा हुआ है. महंगाई पर हम चर्चा की मांग कर रहे हैं. बेरोजगारी के मुद्दे पर सदन में आंदोलन कर रहे हैं. बाहर भी अग्निपथ को लेकर हम सदन में चर्चा चाहते हैं. ईडी, सीबीआई के दुरुपयोग को लेकर बात करना चाहते हैं. लगातार सदन में हम मांग कर रहे हैं, इसके लिए हमें लगा कि चलो एक बार राष्ट्रपति जी से मिलकर अपनी बात रखें. वह देश की सर्वोच्च और सदन की सर्वोच्च हैं, चाहे लोकसभा हो या राज्यसभा. उनके बुलाए पर ही हम यहां आते हैं. हम लोग विजय चौक से उनकी तरफ यानी राष्ट्रपति भवन की तरफ मार्च करने की कोशिश की, इस दौरान हमें हिरासत में ले लिया गया. जब हम आंदोलन कर रहे हैं तो उस वक्त किसी पत्रकार ने पूछा कि कहां जाना चाहते हैं तो हमने कहा कि हम राष्ट्रपति के पास जाना चाहते हैं, मेरे मुंह से 'राष्ट्रपत्नी' निकल गया. यह चूक हो गई. बांग्ला भारतीय आदमी हूं, हिंदी भाषी तो हूं नहीं, मुंह से निकल गया, हमारे इरादे में कोई खोट नहीं थी, वह देश के सर्वोच्च पद पर हैं, हम उनका सम्मान करते हैं. आज सदन में भी हमें अपनी बात रखने का मौका नहीं दिया गया. सत्तारूढ़ पार्टी मेरे खिलाफ आरोप लगाती है और सदन को ठप कर देते हैं.

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आप ही बताएं हमारी पार्टी की नेता खुद महिला हैं, अगर हम महिलाओं की इज्जत नहीं कर सकते तो अपनी पार्टी अध्यक्ष की बात सुनकर हम कैसे चलते हैं. 

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वे आरोप लगाते हैं, ठीक है, लेकिन मुझे भी तो जवाब देने का अधिकार है. सदन में एकतरफा मेरे खिलाफ आरोप थोंपा गया. स्पीकर साहब से मैंने दर्खास्त की कि मुझे बोलने का मौका दिया जाए, जवाब देने का मौका दिया स्पीकर साहब ने, इजाजत भी दी थी बोलने की, लेकिन सत्ता पक्ष ने हमें बोलने का मौका नहीं दिया. जिन वित्तमंत्री का दर्शन नहीं मिल रहा था आज सदन में आकर मेरे ऊपर आरोप लगा रही हैं और एक मंत्री गोवा में क्या किया, उसका बदला लेने के लिए मेरे खिलाफ ये सब शुरू कर दिया है.  मैं एक बार नहीं सौ बार कह चुका हूं कि एक चूक हो गई है, क्या करूं गलती इंसान से हो सकती है, मैं बंगाली हूं, हिंदी मेरी मातृभाषा नहीं है. अगर इसके बावजूद हमारे राष्ट्रपति को खराब लगता है तो मैं उनसे जाकर मिलूंगा. उनको समझा लूंगा, बात करूंगा, मैं कोशिश करूंगा. 

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उन्होंने आगे कहा कि मान लीजिए मैंने कोई गलती की है, मैंने कोई अन्याय किया है, क्या इसके लिए दूसरे को सजा दोगे, यह बीजेपी की राजनीति है. क्या मोदी जी आपने बंगाल के मुख्यमंत्री के लिए किस भाषा का इस्तेमाल किया था. हमारे नेता शशि थरूर की मत्नी के लिए आपने क्या-क्या बोला था. बीजेपी के लोग यह भी थोड़ा ध्यान करो, चूक हुई है, चूक हुई है, हमसे चूक हुई है. भाषा के उच्चारण में चूक हुई है. मैं हिंदी भाषी नहीं हूं, बंगाली हूं. मैंने किसी का जानबूझकर अपमान नहीं किया. 

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इन लोगों से माफी मांगने का तो सवाल ही नहीं पैदा होता. ये लोग कौन हैं, इनसे क्यों माफी मांगें. ये क्यों हुआ, मुझे सदन के अंदर बात रखने का मौका दिया जाए. मैं अगर अपनी बात सही ढंग से ना रह पाऊं तो स्पीकर साहब जैसे चाहे फैसला लें. जिन लोगों के पास हिंदुस्तान की असली तहजीब की जानकारी नहीं है, उन लोगों से क्या बात करें, उनसे क्या सीखें.

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उन्होंने आखिर में कहा कि हम माफी क्यों मांगेंगे. भाषा की चूक हुई है. इसके लिए माफी मांगने का सवाल ही नहीं है, इसके लिए माफी मांगना जरूरी है. राष्ट्रपति महामहिम से मिलकर माफी मांग लूंगा, अगर उनको मेरी बात से बुरा लगा है तो जरूर मैं मांग लूंगा, क्योंकि वह हमारे देश के सर्वोच्च पद पर हैं, उन्हें लगेगा कि मैंने कोई गलती की है तो एक बार नहीं, सौ बार, मैं माफी मांग लूंगा.

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