लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha Elections 2024) को लेकर बीजेपी और कांग्रेस एक के बाद एक लिस्ट जारी करके उम्मीदवारों का ऐलान कर रही है. बीजेपी (BJP) ने इस बार कई हाईप्रोफाइल नेताओं और मौजूदा सांसदों के टिकट काट दिए हैं. यूपी के पीलीभीत से सांसद वरुण गांधी (Varun Gandhi) को इस बार बीजेपी ने टिकट नहीं दिया है. ऐसे में कांग्रेस के सीनियर नेता और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष अधीर रंजन चौधरी (Adhir Ranjan Chowdhury) ने वरुण गांधी को कांग्रेस (Congress) में शामिल होने का प्रस्ताव दे दिया है. उन्होंने कहा कि सबसे पुरानी पार्टी में शामिल होने के लिए वरुण गांधी का बहुत स्वागत है. वरुण और कांग्रेस नेता राहुल गांधी चचेरे भाई हैं.
अधीर रंजन चौधरी ने मंगलवार (26 मार्च) को मीडिया से कहा, ''गांधी परिवार से होने के कारण बीजेपी ने वरुण गांधी को टिकट नहीं दिया. वरुण गांधी को कांग्रेस में शामिल होना चाहिए. वह एक बड़े, सुशिक्षित और साफ छवि के राजनेता हैं. हम चाहते हैं कि वरुण गांधी अब कांग्रेस में शामिल हों. अगर पार्टी ज्वॉइन करते हैं, तो हमें खुशी होगी."
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बीजेपी ने पीलीभीत से जतिन प्रसाद को दिया टिकट
बीजेपी ने रविवार को लोकसभा चुनाव के लिए पांचवीं लिस्ट जारी की थी. इसमें 111 उम्मीदवारों के नाम थे. बीजेपी ने पीलीभीत से इस बार वरुण गांधी को टिकट न देकर यूपी के मंत्री जितिन प्रसाद को उम्मीदवार बनाया है. जबकि, वरुणा गांधी की मां मेनका गांधी को सुल्तानपुर से टिकट दिया गया है. उत्तर प्रदेश में योगी सरकार के मंत्री जितिन प्रसाद दो साल पहले कांग्रेस से बीजेपी में शामिल हुए थे.
पीलीभीत में पहले फेज में 19 अप्रैल को वोटिंग होनी है. यहां नॉमिनेशन की आखिरी तारीख 27 मार्च है. यानी वरुण के पास पीलीभीत से चुनाव लड़ने की घोषणा करने के लिए 24 घंटे से भी कम समय है.
मेनका और वरुण गांधी का गढ़ मानी जाती है पीलीभीत
पीलीभीत लोकसभा सीट मेनका और वरुण गांधी का गढ़ मानी जाती है. 2009 में अपने पहले चुनाव में वरुण गांधी ने 4.19 लाख वोटों के साथ पीलीभीत में निर्णायक जीत हासिल की थी. 2014 और 2019 में उनकी बाद की जीत ने परिवार के राजनीतिक प्रभुत्व को और मजबूत किया.
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बीजेपी ने 2013 में बनाया था राष्ट्रीय महासचिव
2013 में वरुण गांधी को बीजेपी का राष्ट्रीय महासचिव नियुक्त किया गया था. इसी साल उन्हें पश्चिम बंगाल में बीजेपी का प्रभारी भी बनाया गया था. वह वक्त ऐसा था, जब यूपी की सियासत में बीजेपी में वरुण का नाम प्रमुख नेताओं में था. यही नहीं, यूपी के सीएम के लिए भी उनका नाम सियासी गलियारे की चर्चा में आ जाता था.
हालांकि, 2014 में बीजेपी की नई कार्यकारिणी का गठन हुआ. इसमें वरुण को जगह नहीं मिली. 10 साल में वरुण को किसी तरह की कोई बड़ी जिम्मेदारी पार्टी में नहीं मिली. बता दें कि वरुण अक्सर केंद्र और उत्तर प्रदेश में अपनी पार्टी की सरकारों के बारे में आलोचनात्मक विचार व्यक्त करते रहे हैं.
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