बीएस येदियुरप्पा की कार को कार्यकर्ताओं ने घेरा, कर्नाटक में पार्टी का प्रचार रद्द करने को किया मजबूर

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चिकमगलुरु में बीजेपी कार्यकर्ताओं ने बीएस येदियुरप्पा को रोड शो नहीं करने दिया.
बेंगलुरु:

कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा का चिकमगलुरु जिले में पार्टी कार्यकर्ताओं द्वारा घेराव किए जाने के बाद आज बीजेपी को अपना चुनाव अभियान रद्द करने के लिए मजबूर होना पड़ा. कर्नाटक में गुरुवार को बीजेपी के कार्यकर्ताओं ने पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता बीएस येदियुरप्पा की कार को घेर लिया. वे नारेबाजी करने लगे कि बीजेपी विधायक एमपी कुमारस्वामी को विधानसभा चुनाव में टिकट न दिया जाए. नारेबाजी लगातार होती रही. बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव सीटी रवि चिकमंगलूरू से तक़रीबन दो दशकों से विधायक हैं. 

नारेबाजी से येदियुरप्पा नाराज हो गए. वे सीटी रवि से भी नाराज़ चल रहे हैं. येदियुरप्पा ने अपने बेटे और राजनीतिक उत्तराधिकारी बीवाई विजयेंद्र को अपनी सीट शिकारीपुरा से टिकट देने की इच्छा जताई थी तो सीटी रवि ने उनके बयान पर प्रतिक्रिया में कहा कि "विजयेंद्र को टिकट दिया जाएगा या नहीं यह पार्लियामेंट्री बोर्ड तय करेगा. किसी नेता के रसोईघर में यह तय नहीं हो सकता.'' इससे येदियुरप्पा और विजयेंद्र नाराज़ हो गए.

कहा जा रहा है कि सीटी रवि और येदियुरप्पा के बीच जारी खींचतान की वजह से गुरुवार को चिकमंगलुरु में माहौल इतना खराब हुआ कि येदियुरप्पा ने रोडशो ही कैंसिल कर दिया.

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चिकमगलुरु जिले के मुदिगेरे निर्वाचन क्षेत्र में नाटकीय दृश्य सामने आए जब येदियुरप्पा बीजेपी की विजय संकल्प यात्रा का नेतृत्व करने के लिए पहुंचे. पार्टी कार्यकर्ताओं और सीटी रवि के समर्थकों ने लिंगायत समुदाय के प्रभावी नेता येदियुरप्पा की कार का घेराव किया और विधायक एमपी कुमारस्वामी को विधानसभा का टिकट नहीं दिए जाने की मांग की. कुमारस्वामी मुदिगेरे निर्वाचन क्षेत्र से एक और कार्यकाल की आस लगाए हैं.

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विरोध प्रदर्शन के चलते नाराज दिख रहे येदियुरप्पा को रोड शो रद्द करने के लिए मजबूर होना पड़ा. घटनास्थल के दृश्यों में उन्हें यात्रा में भाग लिए बिना ही वहां से जाते हुए और सीटी रवि को दूसरी तरफ अपने समर्थकों के साथ चलते हुए देखा जा सकता है.

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कर्नाटक में बीजेपी के सामने सत्ताविरोधी लहर के साथ पार्टी में गुटबाजी की चुनौती 
कर्नाटक में जहां एक तरफ बीजेपी सत्ता विरोधी लहर का सामना कर रही है वहीं पार्टी के अंदर हावी होती गुटबाजी पार्टी नेतृत्व के लिए किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है. पीएम मोदी और अमित शाह ने येदियुरप्पा का दामन एक बार फिर थामा है तो वहीं स्थानीय नेताओं को येदियुरप्पा और उनके बेटे बीवाई विजयेंद्र का कद बढ़ना रास नहीं आ रहा है. 

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बीएस येदियुरप्पा के बेटे और राजनीतिक उत्तराधिकारी बीवाई विजयेंद्र का प्रभाव बढ़ता जा रहा है. साल 2019 में कांग्रेस-जेडीएस से 17 विधयकों को तोड़ने, उनसे इस्तीफे दिलवाने से लेकर जितवाकर
येदियुरप्पा के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार को बहुमत दिलवाने का काम विजयेंद्र ने काफी सफाई से किया था. इससे वह मोदी और शाह की नज़रों में आ गए. 

साल 2019 के लोकसभा चुनावों में कर्नाटक में बीजेपी की नीति तय करने में सक्रिय भूमिका निभाने वाले विजयेंद्र को पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने बीजेपी प्रदेश इकाई का उपाध्यक्ष बना दिया. तकरीबन 50 साल के विजयेंद्र को उनके पिता येदियुरप्पा अपनी शिकारीपुरा सीट से विधायक बनाना चाहते हैं. इस बारे में जैसे ही येदियुरप्पा ने बयान दिया, बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव सीटी रवि भड़क गए. उन्होंने कहा, ''हमारी पार्टी में किचिन में फैसले नहीं होते. सिर्फ इसलिए कि वे नेताओं के बच्चे हैं, उन्हें टिकट नहीं मिलेगा. और टिकट देने का फैसला उनके घर पर नहीं हो सकता. अब आपने विजेंद्रा के बारे में पूछा, उन्हें टिकट देने का फैसला किचिन में नहीं, संसदीय बोर्ड लेगा.''

सिटी रवि के बयान पर बीवाई विजयेंद्र का पलटवार
सिटी रवि के बयान के बाद बीवाई विजयेंद्र ने भी फौरन पलटवार किया. उन्होंने कहा कि, ''येदियुरप्पा ने कभी भी अपने परिवार की चिंता नहीं की, लेकिन जो लोग येदियुरप्पा पर बयान दे रहे हैं, उन्हें मैं चेतावनी दे रहा हूं, वे सोच समझकर बोलें. येदियुरप्पा आज सीएम की कुर्सी पर नहीं बैठे हैं, न ही उनके पास कोई सरकारी पद है, इसके बावजूद मैं यह गर्व के साथ कह सकता हूं कि राज्य की करीब साढ़े छह करोड़ जनता के दिलों में येदियुरप्पा आज भी हैं. सिर्फ येदियुरप्पा ने जनता के दिलों में स्थाई जगह बनाकर रखी है.''

तकरीबन 78 साल की उम्र में 2019 में जब येदियुरप्पा मुख्यमंत्री बने थे तब बीजेपी के अंदर से ही आरोप लगे थे कि भले ही मुख्यमंत्री येदियुरप्पा हों लेकिन सरकार विजयेंद्र ही चला रहे हैं. विजयेंद्र का बढ़ता कद पार्टी के स्थानीय नेताओं को कभी रास नहीं आया. इन नेताओं को लगता है कि विजयेंद्र अगर ताकतवर होते हैं तो वे कभी उभर नही पाएंगे. यानी कर्नाटक में बीजेपी का स्थानीय नेतृत्व येदियुरप्पा और उनके परिवार की छाया से बाहर निकलने की कोशिश करता नजर आ रहा है.

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