"मर्द बिना शर्ट के घूम सकते हैं, लेकिन..." : सेमी-न्यूड बॉडी पेंट केस में बरी होने पर बोलीं रेहाना फातिमा

केरल हाईकोर्ट ने सेमी-न्यूड बॉडी पेंट करवाने के केस में बरी होने पर महिला एक्टिविस्ट रेहाना ने कहा, "तीन साल बाद साबित हो गया कि मैंने जो किया वो गलत नहीं था, जो भी मैंने मैसेज दिया वो गलत नहीं था."

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24 जुलाई 2020 में केरल हाई कोर्ट के जस्टिस पीवी कुन्हीकृष्णन ने इस मामले में रेहाना की जमानत याचिका खारिज कर दी थी.
नई दिल्ली:

केरल हाईकोर्ट ने सेमी-न्यूड बॉडी पेंट करवाने के केस में एक्टिविस्ट रेहाना फातिमा को बरी कर दिया है. जस्टिस कौसर एडप्पागथ ने फैसला सुनाते हुए कहा, 'नग्नता को अश्लीलता या अनैतिकता में बांटना गलत है. नग्नता को सेक्स से नहीं जोड़ना चाहिए. महिला के शरीर का केवल ऊपरी हिस्सा नग्न होना, कामुकता (sexuality) नहीं. इसी तरह किसी महिला की न्यूड बॉडी का वर्णन या चित्रण भी हमेशा सेक्शुअल या अश्लील नहीं होता.'

रेहाना ने अपने नाबालिग बेटे और बेटी से बॉडी पेंट करवाने का वीडियो सोशल मीडिया पर अपलोड किया था. इसके कारण उन पर केरल स्टेट कमीशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स पॉक्सो एक्ट के तहत 2 केस दर्ज किए गए थे. अब कोर्ट से राहत मिलने के बाद रेहाना फातिमा ने कहा कि ये लड़ाई उनसे ज्यादा उनके बच्चों के लिए मुश्किल रही. उन्होंने कहा, "तीन साल बाद साबित हो गया कि मैंने जो किया वो गलत नहीं था, जो भी मैंने मैसेज दिया वो गलत नहीं था. हमारे समाज में मर्द बिना शर्ट के बाहर घूम सकते हैं, लेकिन महिलाओं के लिए हर समुदाय में तौर तरीके हैं. हमें हमारी सोच बदलने की जरूरत है."

NDTV से खास बातचीत में रेहाना ने कहा, "हम लोगों ने नहीं सोचा था कि ऐसा कोई केस हो जाएगा. बच्चों पर बहुत असर पड़ा था. मेरे बेटे ने बताया था कि उसे बॉडी पेंटिंग करना है. इसके बाद वीडियो भी बनाया गया. इसलिए हमने किया था. मैंने वीडियो पोस्ट करने के साथ मैसेज दिया था- 'बच्चों को मां के शरीर से ही महिला के शरीर की पहचान होनी चाहिए.' इसके बाद ही केस हो गया.

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समाज के लिए दिया मैसेज
रेहाना ने इस दौरान समाज के लिए मैसेज भी दिया. उन्होंने कहा, "हमारे समाज में मर्द बिना शर्ट पहने बाहर घूम सकते हैं, लेकिन महिलाओं के लिए ऐसा नहीं है. महिलाओं के लिए तो हर समुदाय में तमाम कायदे नियम और तौर-तरीके बताए जाते हैं. कहीं हाथ या पैर का दिखना गलत माना जाता है. महिलाओं को एक तरह से एक सेक्स ऑब्जेक्ट बना दिया गया है, जो मर्दों को बस संतुष्ट करे. इस सोच को लेकर बदलाव आना चाहिए. बाहर जाएंगे तो बच्चे को दूध पिलाती महिला को देखकर क्या सेक्सुअलिटी दिखती है? नहीं ना... इसमें आपको मां की ममता दिखेगी. महिला के शरीर पर पूरा अधिकार महिला को ही है. इसको लेकर जो महिला को डराया जा रहा है, उससे नहीं डरना है."

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"15 दिन जेल में रही"
रेहाना बताती हैं, "केस के बाद मैं 15 दिन तक जेल में रही थी. मेरे बच्चों को बुरा लगा. बाहर चर्चा हो रही है कि पेंटिंग करने से बच्चों का मानसिक संघर्ष कैसा होगा? बच्चों पर क्या गुजरी होगी? जो भी उनके अंदर हो रहा था, वो पेंटिंग करने या वीडियो रिकॉर्डिंग करने पर नहीं हो रहा था. उनके लिए तो उनकी मां को इतने दिन तक जेल भेज दिया, क्योंकि उन्होंने पेंटिंग किया. यह उन लोगों को लिए बहुत मानसिक असर डालने वाली दिक्कत थी."

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बच्चों को कैसे और किसने समझाया?
इस मुश्किल घड़ी में बच्चों को किसे और कैसे समझाया? इस सवाल के जवाब में रेहाना फातिमा कहती हैं, "उस समय तो मैं उन्हें नहीं समझा पाई थी, क्योंकि मैं तो जेल में थी. जेल से वापस आने तक मेरे पूर्व पार्टनर और उनके मम्मी पापा घर पर थे. मेरी भी मां घर पर थी. इन लोगों ने ही बच्चों को संभाला. उस वक्त कोरोना चल रहा था, इसलिए कोई कम्यूनिकेशन भी नहीं हो पा रही थी. जेल से वापस आने के बाद मुझे कई दिन लग गए बच्चों को संभालने में."

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'हमने कुछ गलत नहीं किया'
रेहाना कहती हैं, "मुझे बच्चों को समझाने में बहुत दिन लग गए कि हमलोगों ने जो किया उसमें कुछ भी गलत नहीं था. बच्चों ने पेंटिंग किया. हमने वीडियो बनाया और वीडियो के साथ दुनिया को एक मैसेज भी दिया. लेकिन दुनिया यह नहीं समझ पा रही है. वो सोच रही है कि इसमें अश्लीलता, नग्नगता है, शोषण है. ये उनकी सोच की दिक्कत है. हमने कुछ गलत नहीं किया. अब तीन साल के बाद साबित हो गया कि मैंने कुछ गलत नहीं किया था. उस वक्त पर मेरा बेटा 12 साल का था और बेटी 8 साल की थी. अभी कोर्ट का आदेश आने के बाद दोनों खुश हैं.

पहले खारिज हो चुकी थी जमानत याचिका
दरअसल, 24 जुलाई 2020 में केरल हाई कोर्ट के जस्टिस पीवी कुन्हीकृष्णन ने इस मामले में रेहाना की जमानत याचिका खारिज कर दी थी. जस्टिस पीवी कुन्हीकृष्णन ने कहा था कि रेहाना का सेमी न्यूड बॉडी पर पेंटिंग करवाकर बच्चों को यौन शिक्षा देने के तर्क से मैं सहमत नहीं हूं, उसे यह चारदीवारी के अंदर करना चाहिए था.

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