दिल्ली विश्वविद्यालय (Delhi University) के उत्तरी और दक्षिणी कैंपस में बुधवार को छात्रों की गूंज हर तरफ सुनाई दी, जब अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के नेतृत्व में सैकड़ों छात्रों ने 'छात्र गर्जना रैली' में भाग लिया. इस विशाल रैली का उद्देश्य विश्वविद्यालय प्रशासन के सामने छात्रों की समस्याओं को एकजुट होकर उठाना था. चाहे वह एक पाठ्यक्रम एक शुल्क की मांग हो, या एससी/एसटी छात्रों के लिए छात्रवृत्ति में वृद्धि, हर मुद्दे पर छात्रों की आवाज़ें गूंज उठीं. छात्रों ने न केवल शैक्षणिक सुधारों की बात की, बल्कि महिला सुरक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं, और अवसंरचनात्मक विकास जैसे विषयों पर भी ध्यान केंद्रित किया, जो लंबे समय से अनदेखे रहे हैं.
इस रैली के माध्यम से, ABVP ने छात्रों के विभिन्न मुद्दों जैसे एक पाठ्यक्रम- एक शुल्क, केंद्रीकृत हॉस्टल आवंटन फॉर्म, एससी/एसटी/ओबीसी छात्रों के लिए छात्रवृत्ति, विश्वविद्यालय स्तर पर प्लेसमेंट सेल, छात्रों के लिए रियायती मेट्रो पास, कॉलेजों में लड़कियों के लिए एनसीसी, सभी कॉलेजों में मनोवैज्ञानिक और स्त्री रोग विशेषज्ञ, और कई अन्य मुद्दों को उठाते हुए उनके निवारण की बात कही गई.
एनडीटीवी की टीम ने डीयू के छात्रों से जानने की कोशिश की कि उनके कॉलेज प्रशासन से क्या मांगे हैं . एक छात्र अक्षय ने बताया कि "हमारी सबसे बड़ी मांग है कि एक कोर्स एक फीस का प्रावधान किया जाए. इसके बिना हमारा आर्थिक शोषण होता है. इसके अलावा अनुसुचित जाति और जनजाति के स्कॉलरशिप में वृद्धि की जाए." इसके साथ ही कॉलेज में पढ़ रही छात्राओं को भी सुरक्षा और स्वास्थ्य की चिंता सता रही है. एक छात्रा ने बताया कि "हम चाहते हैं कि कॉलेज में एक स्त्री रोग विशेषज्ञ हों ताकि हम अपना इलाज आसानी से करा सकें"
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद दिल्ली प्रदेश के प्रदेश मंत्री हर्ष अत्री ने कहा कि,"छात्र गर्जना रैली आज विद्यार्थियों की एकीकृत आवाज़ के रूप में खड़ी है, जो दिल्ली विश्वविद्यालय के हर कॉलेज में छात्रों की समस्याओं के निवारण हेतु बात करती है. अपनी प्रतिष्ठित साख के बावजूद, दिल्ली विश्वविद्यालय में अवसंरचनात्मक विकास की कमी, पाठ्यक्रमों में शुल्क असमानता और महिला सुरक्षा जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर कम ध्यान दिया जाना काफी गंभीर विषय है. दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन को छात्रों के समग्र विकास एवं इन समस्याओं के निवारण हेतु कदम उठाने चाहिए."
'छात्र गर्जना रैली' ने न केवल छात्रों की समस्याओं को एक मंच दिया, बल्कि उनकी सामूहिक आवाज़ को प्रशासन तक पहुंचाने का भी प्रयास किया. अब देखना यह होगा कि विश्वविद्यालय प्रशासन इन मांगों को कितनी गंभीरता से लेते हुए छात्रों के समग्र विकास और कल्याण के लिए आवश्यक कदम उठाता है.