"सत्य और न्याय की जीत" : दिल्ली HC से राहत मिलने के बाद बोले AAP सांसद राघव चड्ढा

एक्स पर एक पोस्ट में आम आदमी पार्टी के सांसद ने लिखा कि यह लड़ाई किसी घर या दुकान की नहीं है, यह संविधान बचाने की लड़ाई है.

विज्ञापन
Read Time: 25 mins
नई दिल्ली:

दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) द्वारा मंगलवार को ट्रायल कोर्ट के आदेश को रद्द करने के बाद आप सांसद राघव चड्ढा को अपना सरकारी बंगला अभी खाली नहीं करना पड़ेगा.  चड्ढा ने ट्रायल कोर्ट के उस आदेश के खिलाफ अपील की थी, जिसने राज्यसभा सचिवालय (Rajya Sabha Secretariat) को उन्हें आवंटित सरकारी बंगले से हटाने से रोकने वाले अंतरिम आदेश से रोक हटा दी थी. 

अदालत के फैसले पर राघव चड्ढा ने कहा है कि ये मकान या दुकान की नहीं, संविधान को बचाने की लड़ाई है. अंततः सत्य और न्याय की जीत हुई. मेरे खिलाफ पारित ट्रायल कोर्ट के आदेश को रद्द करने के माननीय दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले का मैं स्वागत करता हूं.  मेरे आवास के आवंटन को रद्द करना साफ तौर से राजनीति प्रतिशोध का मामला था. इसके पीछे मकसद एक युवा और मुखर सांसद की आवाज को दबाना था. 

"निर्णय पूरी तरह से मनमाना, अनुचित और अन्यायपूर्ण था"

मेरे आधिकारिक आवास को रद्द करने का निर्णय पूरी तरह से मनमाना, अनुचित और अन्यायपूर्ण था, जो राजनीतिक बदले की भावना को दर्शाता है. भारतीय लोकतंत्र के 70 साल के इतिहास में यह घटना संभवतः एक प्रतीक के तौर पर है, जब राज्यसभा के एक सदस्य को सरकार से सवाल पूछने और जवाबदेह बनाने पर इस हद तक उत्पीड़न और प्रताणना का शिकार होना पड़ा. मेरे सरकारी आवास का आवंटन रद्द करना न सिर्फ दुर्भावानापूर्ण इरादे से प्रेरित था, बल्कि इसमें तय नियमों का भी गंभीर रूप से उल्लंघन किया गया था. 

Advertisement
Advertisement

बलिदान चुकाने के लिए सदा तैयार हूं: चड्ढा

आप सांसद ने कहा कि लाखों भारतीयों की चिंताओं का प्रतिनिधित्व विपक्ष की आवाजें करती हैं, जिन्हें जानबूझकर निशाना बनाया जा रहा है. अब तक मैंने भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार को जवाबदेह ठहराते हुए संसद में दो भाषण दिए हैं. मेरे पहले भाषण के बाद, मेरा आधिकारिक आवास रद्द कर दिया गया. मेरे दूसरे भाषण के बाद मुझे राज्यसभा से निलंबित कर दिया गया. कोई भी सांसद तभी जनता की आवाज बन सकता है और जनता की आवाज को संसद के अंदर मुखर तौर पर उठा सकता है, जब उसे यह चिंता न सताए कि उसके मुखर, ईमानदार और कठिन सवालों की कीमत उसे नहीं चुकानी पड़ेगी. हालांकि, मैं डरता नहीं हूं और लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों को बनाए रखने और सरकार को उसके कुकर्मों के लिए जवाबदेह ठहराने की कोई कीमत और बलिदान चुकाने के लिए सदा तैयार हूं.

Advertisement

गौरतलब है कि न्यायमूर्ति अनूप जयराम भंभानी ने ‘आप' नेता की अपील पर आदेश पारित करते हुए कहा कि 18 अप्रैल को निचली अदालत ने राज्यसभा सचिवालय को निर्देश दिया था कि वह चड्ढा से बंगला खाली नहीं कराए और यह रुख बहाल किया जाता है एवं यह तब तक प्रभावी रहेगा जब तक निचली अदालत अंतरिम राहत के उनके आवेदन पर फैसला नहीं करती.  चड्ढा ने निचली अदालत के पांच अक्टूबर के आदेश को चुनौती दी थी जिसने अप्रैल के अपने अंतरिम आदेश को रद्द कर दिया था. 

Advertisement

चड्ढा के वकील ने उच्च न्यायालय में कहा कि सांसद को खतरे के मद्देनजर उन्हें ‘जेड प्लस' श्रेणी की सुरक्षा मुहैया कराई गई है और सुरक्षा कर्मियों की बड़ी टुकड़ी को आवास पर तैनात करने की जरूरत है. सुरक्षाकर्मियों को पूर्व में पंडारा रोड पर आवंटित आवास में नहीं रखा जा सकता था. पंजाब की ‘आप' सरकार ने चड्ढा को ‘जेड प्लस' सुरक्षा मुहैया कराई है जहां से वह राज्यसभा सदस्य हैं. 

ये भी पढ़ें- 

Featured Video Of The Day
Maharashtra Elections 2024: महाराष्ट्र में निर्दलीय और छोटे दलों से दोनों गठबंधन ने संपर्क साधा
Topics mentioned in this article