बीजेपी ने लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections 2024) के लिए अपने उम्मीदवारों की दो सूची को जारी करते हुए स्पष्ट संकेत दिया है कि चुनाव चंयन को अंतिम रूप देते वक्त लीडरशिप ने विरोधी लहर को ध्यान में रखा है. पार्टी भले ही सार्वजनिक रूप से विपक्ष की चुनौती को खारिज कर रही हो लेकिन अब तक 267 उम्मीदवारों के नाम तय किए जाने से साफ पता चलता है कि वो हर सीट पर मंथन कर रही है और राष्ट्रीय राजधानी के उम्मीदवारों से अधिक स्पष्ट हो जाता है.
2014 और 2019 के चुनावों में बीजेपी (BJP) ने दिल्ली में सभी 7 सीटें जीती थीं. हालांकि, इसके बाद भी पार्टी ने 7 में से 6 उम्मीदवारों को बदल दिया है. सिंगर से राजनेता बनें मनोज तिवारी (Manoj Tiwari) इकलौते सांसद हैं, जिन्हें नहीं बदला गया है. जिन सांसदों को हटाया गया है, उनमें हर्ष वर्धन, मीनाक्षी लेखी, रमेश बिधूड़ी और परवेश साहिब सिंह वर्मा शामिल हैं जिन्हें 2014 और 2019 में लगातार जीत मिली थी. इसके अलावा क्रिकेटर से राजनेता बनें सांसद गौतम गंभीर और गायक हंस राज हंस भी इसमें शामिल हैं.
बीजेपी नेताओं ने दावा किया है कि चुने गए उम्मीदवारों के पीछे जीतने की क्षमता प्रमुख कारक है. ऐसा माना जा रहा है कि बिधुड़ी और वर्मा ने अपनी विवादास्पद टिप्पणियों के कारण मौका गवाया है, जिसके कारण पार्टी को मुश्किलों का सामना करना पड़ा था. वहीं गंभीर ने पहले ही पार्टी लीडरशिप से कहा था कि उन्हें राजनीतिक कर्तव्यों से मुक्त कर दिया जाए ताकि वो अपने क्रिकेट से जुड़े कामों पर ध्यान केंद्रित कर सकें. इसके बाद उन्हें उम्मीदवार के रूप में हटा दिया गया था और फिर हर्ष वर्धन ने भी राजनीति से सन्यास लेने की घोषणा कर दी थी.
बीजेपी द्वारा उम्मीदवार के रूप में चुने गए नए चेहरों में वकील और बीजेपी की दिग्गज नेता दिवंगत सुषमा स्वराज की बेटी बांसुरी स्वराज, योगेंद्र चंदोलिया, हर्ष मल्होत्रा, दिल्ली विधानसभा में विपक्ष के नेता रामवीर सिंह बिधूड़ी, प्रवीण खंडेलवाल और कमलजीत सहरावत शामिल हैं. बांसुरी स्वराज के अलावा सभी पांच उम्मीदवार संगठन स्तर पर अनुभवी राजनेता हैं.
इस वजह मनोज तिवारी को नहीं हटाया गया
भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री के जानेमाने स्टार मनोज तिवारी ने समाजवादी पार्टी से राजनीति में शुरुआत की थी और फिर वो बीजेपी में शामिल हो गए थे. 2014 में उन्होंने उत्तर-पूर्वी दिल्ली से और फिर 2019 में भी उन्होंने इसी सीट से लोकसभा चुनाव जीता था. मनोज तिवारी जो दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष भी रहे हैं के पूर्वी उत्तर प्रदेश और पश्चिमी बिहार तक फैले पूर्वांचल क्षेत्र में काफी अनुयायी हैं, जो दिल्ली आते हैं. वहीं 2014 और 2019 के चुनावों के बीच, मनोज तिवारी की जीत का अंतर 2 लाख वोटों से बढ़ा है.
कांग्रेस-आप का गठबंधन
इंडिया गठबंधन में सीट-बंटवारे के तहत आप और कांग्रेस दिल्ली में चार और तीन सीटों पर चुनाव लड़ेगी. 2019 के चुनाव में आप और कांग्रेस का वोट शेयर 18 प्रतिशत और 22 प्रतिशत था. वहीं बीजेपी का 57 प्रतिशत वोट था. इससे पहले 2014 में आप का वोट शेयर 33 प्रतिशत था और कांग्रेस का 15 प्रतिशत था. बीजेपी जानती है कि इस बार दोनों के वोटों में विभाजन नहीं होगा और इसका श्रेय इंडिया गठबंधन को जाता है.
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