'मेक इन इंडिया' के तहत 6 पारंपरिक पनडुब्बियों के निर्माण को मंजूरी, 43,000 करोड़ का प्रोजेक्ट पास

चीन की तेजी से बढ़ती नौसैन्य क्षमताओं के मद्देनजर भारत की क्षमताएं बढ़ाने के उद्देश्य से यह महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया है. सरकारी सूत्रों ने बताया कि ये पनडुब्बियां उस रणनीतिक साझेदारी के तहत बनाई जाएंगी जो घरेलू रक्षा उपकरण निर्माताओं को विदेशों की रक्षा निर्माण क्षेत्र की अग्रणी कंपनियों के साथ साझेदारी में अत्याधुनिक सैन्य मंच बनाने की अनुमति देता है ताकि निर्यात पर निर्भरता घटाई जा सके.

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चीन की तेजी से बढ़ती नौसैन्य क्षमताओं के मद्देनजर भारत की क्षमताएं बढ़ाने के उद्देश्य से यह महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया है.
नई दिल्ली:

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Defence Minister Rajnath Singh) की अध्यक्षता वाली रक्षा अधिग्रहण परिषद (Defence Acquisition Council) ने छह पारंपरिक पनडुब्बियों के निर्माण के लिए 43,000 करोड़ रुपये की 'मेक इन इंडिया' (Make in India) परियोजना को मंजूरी दे दी है. सरकार ने आज एक बयान जारी कर इसकी जानकारी दी है.

सरकार के अनुसार, रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) ने 'रणनीतिक साझेदारी मोड' के तहत परियोजना के लिए प्रस्ताव के अनुरोध (आरएफपी) को मंजूरी दे दी है - इस मॉडल के तहत इस तरह की पहली सैन्य हार्डवेयर अधिग्रहण परियोजना है.

चीन की तेजी से बढ़ती नौसैन्य क्षमताओं के मद्देनजर भारत की क्षमताएं बढ़ाने के उद्देश्य से यह महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया है. सरकारी सूत्रों ने बताया कि ये पनडुब्बियां उस रणनीतिक साझेदारी के तहत बनाई जाएंगी जो घरेलू रक्षा उपकरण निर्माताओं को विदेशों की रक्षा निर्माण क्षेत्र की अग्रणी कंपनियों के साथ साझेदारी में अत्याधुनिक सैन्य मंच बनाने की अनुमति देता है ताकि निर्यात पर निर्भरता घटाई जा सके.

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सूत्रों ने बताया कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) की बैठक में ‘पी-75 इंडिया' नाम की इस परियोजना को अनुमति देने का निर्णय लिया गया. डीएसी खरीद संबंधी निर्णय लेने वाली रक्षा मंत्रालय की सर्वोच्च संस्था है.

सूत्रों ने बताया कि पनडुब्बियों के विनिर्देशों और महापरियोजना के लिए अनुरोध पत्र (रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल, आरएफपी) जारी करने, जैसे अन्य महत्वपूर्ण कार्यों को रक्षा मंत्रालय और भारतीय नौसेना के अलग-अलग दलों ने पूरा कर लिया है. उन्होंने बताया कि यह परियोजना 12 वर्ष की अवधि में लागू की जाएगी.

सूत्रों ने बताया कि डीएसी ने पोत निर्माता लार्सन एंड टूब्रो (एल एंड टी) और सरकारी मझगांव डॉक्स लिमिटेड (एमडीएल) के लिए आरएफपी या निविदा जारी करने की मंजूरी दी है. परियोजना के लिए ये दोनों कंपनियां किस विदेशी कंपनी के साथ हाथ मिलाना चाहती हैं, यह उनका अपना फैसला होगा.

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सूत्रों ने बताया कि ऐसी उम्मीद है कि आरएफपी महीनेभर के भीतर जारी हो जाएगा तथा उस पर एलएंडटी तथा एमडीएल के जवाब का आकलन करने के बाद इसका ठेका दिया जाएगा. रक्षा मंत्रालय और नौसेना के अलग-अलग दल इस परियोजना की आरपीएफ जारी करने के लिए आवश्यक सभी जरूरतों और पनडुब्बियों की खूबियों समेत सभी जमीनी काम पूरे कर चुके हैं.

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भारतीय नौसेना की अपनी युद्धक क्षमता को बढ़ाने के लिए परमाणु हमला करने में सक्षम छह पनडुब्बियों समेत 24 नई पनडुब्बियों को खरीदने की योजना है. फिलहाल उसके पास 15 परंपरागत पनडुब्बी और दो परमाणु पनडुब्बी हैं. हिंद महासागर में अपनी सैन्य क्षमता में इजाफा करने के चीन के निरंतर बढ़ते प्रयासों के मद्देनजर नौसेना अपनी सभी क्षमताओं को उल्लेखनीय रूप से बढ़ाने पर ध्यान दे रही है.

एक अनुमान के मुताबिक चीन की नौसेना के पास अभी 50 पनडुब्बी और लगभग 350 पोत हैं. अगले आठ से दस वर्ष में उसके पास 500 से अधिक पोत तथा पनडुब्बियां हो सकती हैं.

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