बजट में दिखेगी 'आत्मनिर्भर भारत' की झलक, आयातित उत्पादों पर सीमा शुल्क बढ़ा तो महंगे होंगे ये उत्पाद

सरकार आत्मनिर्भर भारत की मुहिम को आगे बढ़ाने के लिए आयात पर अंकुश और निर्यात को बढ़ावा देने की कई घोषणाएं कर सकती हैं. मेड इन इंडिया (Made in India) को बढ़ावा देने के लिए आयातित वस्तुओं पर कस्टम ड्यूटी बढ़ाने का ऐलान हो सकता है.

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प्रतीकात्मक तस्वीर
नई दिल्ली:

Budget Expectation 2021 -वित्त वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही में बड़े झटके के बाद दूसरी तिमाही में अर्थव्यवस्था ने उबरने के संकेत दिए हैं. ऐसे में कोरोना के मुश्किल भरे साल के बाद बजट-2021 (Budget-2021) में आत्मनिर्भर भारत (Atmanirbhat Bharat) के लक्ष्य को पूरा करने की बड़ी घोषणाएं हो सकती हैं. सरकार आत्मनिर्भर भारत की मुहिम को आगे बढ़ाने के लिए आयात पर अंकुश और निर्यात को बढ़ावा देने की कई घोषणाएं कर सकती हैं. मेड इन इंडिया (Made in India) को बढ़ावा देने के लिए आयातित वस्तुओं पर कस्टम ड्यूटी बढ़ाने का ऐलान हो सकता है. साथ ही घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए छूट दी जा सकती है. मेड इन इंडिया के तहत स्टार्टअप के लिए भी कई प्रोत्साहन हो सकते हैं.

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आर्थिक मामलों के विशेषज्ञ और अर्नेस्ट एंड यंग के टैक्स पार्टनर अभिषेक जैन ने कहा कि सरकार ने घरेलू मैन्युफैक्चरिंग (विनिर्माण) को बढ़ावा देने और गुणवत्ता सुधारने के लिए लाइसेंसिंग की आवश्यकता और ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड्स (बीआईएस) के तहत जैसे कई कदम हाल ही में उठाए हैं. ऐसे में संकेत ये भी हैं कि कई विदेशी उत्पादों और उपकरणों पर सीमा शुल्क (Custom duty) बढ़ाया जा सकता है, ताकि देश में ही विनिर्माण को बढ़ावा मिले. आयातित वस्तुओं पर ज्यादा सीमा शुल्क के साथ देश में ही मैन्युफैक्चरिंग करने वालों को छूट जैसी कई राहत दी जा सकती हैं. सरकार ने कोरोना काल में भी करीब 20 लाख करोड़ रुपये के आत्मनिर्भर भारत पैकेज का ऐलान किया था. यह पैकेज सस्ते कर्ज, कर छूट, प्रोत्साहन के तौर पर दिया गया ताकि अर्थव्यवस्था को गति मिले. 

महंगे हो सकते हैं तमाम उपकरण
विशेषज्ञों का कहना है कि बजट में आयातित उत्पादों पर सीमा शुल्क बढ़ता है तो मोबाइल, टीवी, फ्रिज, एसी जैसे अन्य उत्पाद महंगे हो सकते हैं, क्योंकि टीवी पैनल, चिप समेत तमाम उपकरण विदेशों से आयात कर भारत में असेंबल किए जाते हैं. कोरोना काल में चीन से कच्चे माल के आय़ात में कमी और अन्य दिक्कतों के कारण पहले ही तमाम इलेक्ट्रिक्ल और इलेक्ट्रानिक्स उत्पादों की कीमतें 10 से 15 फीसदी बढ़ चुकी हैं.विदेश से आयातित उपकरण महंगे होंगे तो देश में ही बने सामान उनके मुकाबले कम कीमत के होंगे और उनकी बिक्री बढ़ेगी.

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GST पटरी पर लौटा
सरकार ने ई-बिल के लिए जीएसटी पंजीकरण में आधार अनिवार्य करने, फर्जी जीएसटी क्रेडिट लेने वालों पर कार्रवाई के साथ सरकार ने राजस्व को सुधारा है. अगर बिजली, रियल एस्टेट, तेल एवं गैस को भी धीरे-धीरे जीएसटी के दायरे में लाया जाए तो इनडायरेक्ट टैक्स व्यवस्था में और सुधार दिखेगा. जीएसटी रिफंड की सुविधा भी बेहतर होगी.

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कारपोरेट टैक्स में पहले ही कटौती
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने विदेशी कंपनियों के उत्पादों के मुकाबले घरेलू उद्योग को बचाने के लिए कारपोरेट टैक्स दर में पहले ही करीब 10 फीसदी की कटौती की है. लघु उद्योगों के लिए कर छूट औऱ सस्ते कर्ज की सीमा को बढ़ाया है. मुद्रा, नाबार्ड, सिडबी के जरिये छोटे कर्ज बांटने पर जोर दिया है. उद्योगों पर बोझ कम करने के लिए पीएफ अंशदान का वहन करने और कर्ज चुकाने में कुछ वक्त तक छूट (लोन मोरेटोरियम) का भी ऐलान हुआ था.सरकार का मानना है कि आर्थिक गतिविधियां तेज होंगी तो रोजगार फिर तेजी से बढ़ेंगे.

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