बिहार में कोरोना से हुईं मौतों की जांच को 3 स्तरीय समिति बनी, हाईकोर्ट की फटकार के बाद जागी सरकार

बिहार सरकार पहले ही एक बार कोरोना से हुई मौतों का आंकड़ा अपडेट कर चुकी है, जिससे राज्य में कोविड-19 से हुई कुल मौतों की संख्या 75 फीसदी तक बढ़ गई थी.

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Bihar Covid Deaths : पटना हाईकोर्ट ने कोरोना से हुई मौतों के आंकड़े पर उठाए थे सवाल
पटना:

कोरोना से हुईं मौतों ( (Bihar COVID Deaths) के अस्पष्ट औऱ अधूरे आंकड़ों को लेकर हाईकोर्ट की फटकार के बाद बिहार सरकार हरकत में आई है. बिहार सरकार ने कोरोना से हुईं मौतों की जांच के लिए तीन स्तरीय समितियां बनाने की घोषणा की है. ये समितियां कोरोना वायरस से मारे गए लोगों का डेटा इकट्ठा करेंगी, उन्हें प्रमाणित करेंगी और फिर मृत्यु के आधिकारिक आंकड़े को अपडेट करेगी. बिहार में कोरोना की मौतों को रिकॉर्ड करने और उन्हें दर्ज करने की प्रक्रिया पर पटना हाईकोर्ट ने सवाल उठाए थे.

बिहार सरकार पहले ही एक बार कोरोना से हुई मौतों का आंकड़ा अपडेट कर चुकी है, जिससे राज्य में कोविड-19 से हुई कुल मौतों की संख्या 75 फीसदी तक बढ़ गई थी.  बिहार के प्रधान सचिव (स्वास्थ्य) प्रत्यय अमृत ने इस बाबत एक पत्र जारी किया है. यह पत्र सभी जिलाधिकारियों और सिविल सर्जन को भेजा गया है. सभी मेडिकल कॉलेजों के प्रमुखों को भी यह जानकारी दी गई है. ये सभी कोविड (COVID -19 Deaths) से हुई हर मौतों को प्रमाणित करने के साथ आंकड़े को अपडेट करेगा. 

बिहार में साल 2021 के पहले पांच महीनों में अस्पष्ट कारणों से करीब 75,000 लोगों की मौत हुई है, जिसे कोरोना की दूसरी लहर की भयावहता के साथ जोड़ा जा रहा है है. हालांकि बिहार में कोरोना से हुई मौतों का आधिकारिक आंकड़ा इसकी तुलना में काफी कम है. सवाल उठ रहा है कि बिहार में कोविड की मौतों को क्या कम करके बताया  रहा है? बिहार में जनवरी-मई 2019 में लगभग 1.3 लाख मौतें हुईं थीं. बिहार के सिविल रजिस्ट्रेशन सिस्टम के डेटा के अनुसार, 2021 में इसी दौरान यह आंकड़ा लगभग 2.2 लाख था, जो करीब 82,500 का अंतर दिखा रहा है.

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इसमें से आधे से ज्यादा 62 फीसदी की बढ़ोतरी इस साल मई में दर्ज की गई थी. इस साल के पहले पांच महीनों में बिहार में कोविड की मौतों का आधिकारिक आंकड़ा 7,717 था, जो जून में अपडेट हुआ और कुल 3,951 अन्य मौतों को कोरोना से मानकर इसे अपडेट किया गया. पटना हाईकोर्ट ने भी बिहार में नीतीश कुमार सरकार ने नए संशोधित आंकड़े को भी संदेहपूर्ण और अस्पष्ट बताया था. हाईकोर्ट ने कहा था कि इसे विधिवत तरीके से प्रमाणित कराए जाने की जरूरत है.

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