मुंबई : टीकाकरण अभियान कैसे होगा सफल, वैक्‍सीन लेने से डर रहे कैंसर के कई मरीज

टाटा मेमोरियल अस्पताल के अध्ययन में सामने आया है कि 80% ने टीके की पहली डोज़ नहीं ली है. जून में टाटा मेमोरियल अस्पताल, मुंबई के डॉक्टरों की टीम ने 45 और उससे अधिक उम्र के 435 रोगियों के बीच एक सर्वेक्षण-आधारित अध्ययन किया.

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कमजोर श्रेणी में आने वाले कैंसर के मरीज कोविड के टीके से झिझक रहे हैं (प्रतीकात्‍मक फोटो)
मुंबई:

Mumbai: देश में टीकाकरण के ज़ोरदार अभियान के बीच कई कैंसर मरीज टीके से झिझक रहे हैं. एक अध्ययन में सामने आया है कि 80% कैंसर मरीजों ने वैक्‍सीन नहीं ली है.  77% में झिझक है, उनका मानना है कि टीका गंभीर दुष्प्रभाव पैदा कर सकते है.कोविड के ख़िलाफ़ जंग में टीकाकरण की रफ़्तार तेज़ है शुरुआत से कोशिश रही की सबसे पहले शारीरिक रूप से कमज़ोर वर्ग को टीका लगाया जाए, लेकिन कमजोर श्रेणी में आने वाले कैंसर के मरीज कोविड के टीके से झिझक रहे हैं. मुंह के कैंसर से जूझ रहे और अस्‍पताल में भर्ती 55 और 65 साल की मरीज डर के कारण वैक्सीन नहीं ली है. कोविड से अब तक दोनों  सुरक्षित हैं लेकिन वैक्सीन को लेकर हिचकते हैं. एक मरीज ने बताया,  'मुझे एक साल पहले माउथ कैन्सर डिटेक्ट हुआ, मैंने वैक्सीन नहीं ली क्‍योंकिमुझे डर है की इतनी बड़ी बीमारी है और कहीं वैक्सीन लेने से कोई साइड इफ़ेक्ट न हो जाए .' मरीज की रिश्‍तेदार ने भी कहा, 'मेरी मां को दांत का कैंसर है. टाटा में दिखाया. मां के इस डर के कारण वैक्‍सीन नहीं ली है कि कुछ हो जाएगा.'

टाटा मेमोरियल अस्पताल के अध्ययन में सामने आया है कि 80% टीके की पहली डोज़ नहीं ली है. जून में टाटा मेमोरियल अस्पताल, मुंबई के डॉक्टरों की टीम ने 45 और उससे अधिक उम्र के 435 रोगियों के बीच एक सर्वेक्षण-आधारित अध्ययन किया. इन रोगियों में क़रीब 80 फीसदी ने कोविड टीके की पहली खुराक नहीं ली हुई थी. 15.2 फीसदी रोगियों ने पहली खुराक ली हुई थी और केवल 4.8 फीसदी मरीज टीके की दोनों खुराक ले चुके थे. अध्ययन में पाया गया कि 77% (259) में टीके को लेकर झिझक थी. 38 फीसदी रोगियों (124) में दुष्प्रभाव और कैंसर थेरेपी पर टीके के असर का डर था वहीं 26.7 फीसदी (87) रोगियों में जानकारी की कमी दिखी.

टाटा मेमोरियल अस्पताल ही नहीं, कई अन्‍य अस्पतालों में स्थिति ऐसी ही है. लायंस क्लब अस्पताल  मुंबई के डॉ सुहास देसाई कहते हैं, 'हम देख रहे हैं कि हमारे यहां जो कैंसर मरीज़ आ रहे हैं किसी न किसी कारण ओपीडी या इन-पेशंट उनमें से सिर्फ़ 15-20% ने ही वैक्सीन की पहली डोज़ ली है. दूसरी डोज़ वालों की तो संख्या बेहद कम है. इनमें वैक्सीन को लेकर जानकारी की कमी है और डर है कि कहीं इनकी थेरेपी पर कोई रीऐक्शन साइड इफ़ेक्ट वैक्सीन का हो सकता है.'डायरेक्टर-ऐडवांस्ड ओंकोसर्जरी, फ़ोर्टिस के डॉ अनिल हेरूर ने कहा, 'कैन्सर मरीज़ों के लिए वैक्सीन बहुत ज़रूरी है क्‍योंकि हमने देखा है कि जिन कैन्सर मरीज़ों को कोविड हुआ उनमें डेथ रेट क़रीब 30% रही है इसलिए वैक्सीन बेहद ज़रूरी है.'इस अध्ययन में एक्स्पर्ट्स ने स्पष्ट किया है कि कैंसर के मरीज, जो कीमोथेरेपी या रेडियोथेरेपी करा रहे हैं, वे कोविड टीका ले सकते हैं. टीका कैंसर के उपचार में बाधा नहीं डालता है या कोई अतिरिक्त दुष्प्रभाव पैदा नहीं करता हैं.कैंसर के मरीज कमजोर श्रेणी में आते हैं और इसलिए उनके लिए टीकाकरण महत्वपूर्ण है. 

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