75वें गणतंत्र दिवस की परेड में 16 राज्यों की झांकियां, लेकिन पंजाब की नहीं - जानें क्यों...?

पंजाब की झांकी, जिसे भारतीय जनता पार्टी (BJP) की पंजाब इकाई ने 'अपरिष्कृत' कहा, में शहीद भगत सिंह, उधम सिंह और लाला लाजपत राय जैसे स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान को दर्शाया गया था. AAP ने BJP की आलोचना पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की.

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भगवंत मान ने दावा किया था कि पंजाब की अनदेखी किया जाना सूबे को राष्ट्रीय गान से हटा देने की दिशा में उठाया गया कदम है...
नई दिल्ली:

शुक्रवार सुबह दिल्ली के कर्तव्य पथ पर 75वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर चल रही परेड में दो दर्जन से अधिक झांकियां दिखाई देंगी, जिनमें से 16 झांकियां राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की होंगी, लेकिन पंजाब की झांकी इनमें शामिल नहीं होगी, क्योंकि केंद्र और पंजाब की आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार के बीच इस आरोप को लेकर विवाद रहा कि राज्य सरकार अपनी झांकी पर मुख्यमंत्री भगवंत मान तथा पार्टी प्रमुख अरविंद केजरीवाल की तस्वीरें लगाना चाहता है.

पंजाब की झांकी, जिसे भारतीय जनता पार्टी (BJP) की पंजाब इकाई ने 'अपरिष्कृत' कहा, में शहीद भगत सिंह, उधम सिंह और लाला लाजपत राय जैसे स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान को दर्शाया गया था. AAP ने BJP की आलोचना पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की.

AAP ने केंद्र सरकार पर विपक्ष-शासित राज्य के साथ भेदभाव करने का आरोप लगाया. मुख्यमंत्री भगवंत मान ने BJP से इस आरोप का सबूत देने की मांग की कि वह झांकी पर अपनी तस्वीर शामिल करना चाहते थे.

यह विवाद पिछले महीने तब उपजा था, जब पंजाब BJP प्रमुख सुनील जाखड़ ने कहा था कि राज्य की झांकी को नामंज़ूर किए जाने की वजह इसकी 'अपरिष्कृत' बनावट थी. उनका दावा था कि दूसरी वजह यह थी कि "AAP इस बात पर अड़ी हुई थी कि केजरीवाल और मान की तस्वीरें इस पर होनी चाहिए..."

इससे पहले, भगवंत मान ने दावा किया था कि पंजाब की अनदेखी किया जाना सूबे को राष्ट्रीय गान से हटा देने की दिशा में उठाया गया कदम है. उन्होंने कहा, ''अगर उनका बस चले तो वे राष्ट्रगान से 'पंजाब' हटा देंगे...'' उन्होंने यह भी कहा कि दिल्ली की भी कोई झांकी परेड में नहीं होगी. गौरतलब है कि राष्ट्रीय राजधानी में भी आम आदमी पार्टी का शासन है और अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री हैं.

सुनील जाखड़ ने इसे 'दुर्भाग्यपूर्ण' करार दिया कि भगवंत मान ने इस मुद्दे का 'राजनीतिकरण' करने का फ़ैसला किया. उन्होंने बताया कि हर राज्य हर साल झांकी नहीं निकालता, और कुछ को 'तकनीकी कारणों' से हटा दिया जाता है. उन्होंने बताया, पिछले 17 साल में पंजाब की झांकी नौ बार नदारद रही है.

अतीत में कांग्रेस नेता रहे सुनील जाखड़ और भगवंत मान के बीच कुछ हफ्ते तक खींचतान चलती रही, जिसके दौरान भगवंत मान ने तंज़ कसते हुए कहा, "उन्हें (सुनील जाखड़ को) दी गई स्क्रिप्ट ही पढ़नी हती है..."

भगवंत मान ने दिल्ली के लालकिले में आयोजित कार्यक्रम 'भारत पर्व' में भी पंजाब की झांकी पेश करने का प्रस्ताव नामंज़ूर कर दिया है.

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उनके कार्यालय ने घोषणा की, "...महान शहीदों भगत सिंह, सुखदेव, उधम सिंह, माई भागो, ग़दरी बाबे और अन्य को अस्वीकृत श्रेणी में नहीं रखा जा सकता...", और केंद्र पर "इन वीरों के बलिदान और उनके योगदान को कम करने" की कोशिश करने का आरोप लगाया.

इस बीच रक्षा मंत्रालय के सूत्रों ने बताया है कि झांकियों के चयन के लिए एक 'सुस्थापित प्रक्रिया' है, जिसमें झांकियों के प्रस्तावों का मूल्यांकन एक समिति द्वारा किया जाता है, जिसमें 'कला, संस्कृति, चित्रकला, मूर्तिकला, संगीत, वास्तुकला, कोरियोग्राफी के क्षेत्र के प्रतिष्ठित व्यक्ति' शामिल रहते हैं, जो विषय, अवधारणा, डिज़ाइन और दृश्य प्रभाव के आधार पर प्रत्येक झांकी का मूल्यांकन करती है.

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सूत्रों ने बताया कि पंजाब के प्रस्ताव पर पहले तीन दौर की बैठक में विचार किया गया था और तीसरे दौर के बाद इसे आगे नहीं बढ़ाया जा सका, क्योंकि समिति को लगा कि यह इस साल के गणतंत्र दिवस परेड के थीम के साथ मेल नहीं खाती है.

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