संविधान सभा की पहली बैठक को 75 साल हुए पूरे, पीएम मोदी ने युवाओं से की ये अपील

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘संविधान सभा की पहली बैठक आज ही के दिन 75 वर्ष पूर्व हुई थी. भारत के विभिन्न हिस्सों, अलग-अलग पृष्ठभूमि और विचारधाराओं के प्रतिष्ठित लोग इसमें शामिल हुए, जिनका एकमात्र उद्देश्य देश के लोगों को एक समृद्ध संविधान देना था. सभी को मेरी श्रद्धांजलि.’’

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पीएम मोदी ने कहा- संविधान सभा की कार्यवाही, इसमें शामिल हस्तियों के बारे में जानें युवा
नई दिल्ली:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने बृहस्पतिवार को संविधान सभा की पहली बैठक के 75 वर्ष पूरा होने के अवसर पर इसके महत्व को रेखांकित करते हुए युवाओं से आग्रह किया कि वह इस सभा की कार्यवाही और इसमें शामिल होने वाले प्रख्यात हस्तियों के बारे में जानें. उन्होंने सिलसिलेवार ट्वीट कर युवाओं से कहा कि ऐसा करने से उन्‍हें बहुत कुछ जानने को मिलेगा. ज्ञात हो कि संविधान सभा की पहली बैठक नौ दिसंबर, 1946 को हुई थी. प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘संविधान सभा की पहली बैठक आज ही के दिन 75 वर्ष पूर्व हुई थी. भारत के विभिन्न हिस्सों, अलग-अलग पृष्ठभूमि और विचारधाराओं के प्रतिष्ठित लोग इसमें शामिल हुए, जिनका एकमात्र उद्देश्य देश के लोगों को एक समृद्ध संविधान देना था. सभी को मेरी श्रद्धांजलि''.उन्होंने कहा कि संविधान सभा की पहली बैठक की अध्यक्षता संविधान सभा के वरिष्‍ठतम सदस्‍य सच्चिदानंद सिन्हा ने की और कार्यवाही का संचालन आचार्य कृपलानी ने किया था. उन्होंने कहा, ‘‘इस ऐतिहासिक बैठक के अवसर पर मैं युवाओं से आग्रह करूंगा कि वह इस सभा की कार्यवाही और इसमें शामिल होने वाली प्रख्यात हस्तियों के बारे में जानें. ऐसा करने से उन्‍हें बहुत कुछ जानने को मिलेगा.'

वहीं उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने भी इसे लेकर एक फोटो शेयर करते हुए ट्वीट किया. उन्होंने लिखा कि 1946 में आज के ही ऐतिहासिक दिन संविधान सभा की पहली बैठक संसद भवन के केंद्रीय कक्ष में आहूत की गई थी. इस प्रकार अगले लगभग 3 वर्षों की संविधान सभा की यात्रा प्रारंभ हुई. सारगर्भित मंथन के फलस्वरूप हमारे संविधान का निर्माण हुआ जिसने हमारे राष्ट्रीय जीवन को दिशा प्रदान की. एक राष्ट्र के रूप में हम सभी भारतीय संविधान के उन विद्वान शिल्पियों का सम्मान करते हैं. मेरा आग्रह होगा कि हम संविधान सभा में हुई बहसों को पढ़ें, हमारे राष्ट्रीय नेताओं के संसद में दिए गए हुए भाषणों को पढ़ें. इससे हमारी राष्ट्रीय चेतना विकसित होगी. इस ऐतिहासिक दिन पर संवैधानिक मर्यादाओं के प्रति अपनी आस्था को दोहराएं और हमारे राष्ट्रीय नायकों के सपनों के भारत के लिए अपनी प्रतिबद्धता को दृढ़ करें. उनकी पुण्य स्मृति को यही सच्ची श्रद्धांजलि होगी.

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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