- CPI(M) सांसद ने प्रियंका की सरकार की चाय पार्टी में शामिल होने को विपक्ष के सामूहिक स्टैंड के खिलाफ बताया.
- ब्रिटास ने मुताबिक यह कानून 50 करोड़ गरीबों को प्रभावित करेगा और प्रियंका की चाय पार्टी में मौजूदगी गलत है.
- टी.आर. बालू, कनिमोझी और आम आदमी पार्टी ने चाय पार्टी का बहिष्कार किया जबकि प्रियंका गईं.
कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी के लोकसभा स्पीकर की चाय पार्टी जाने को लेकर इंडिया गठबंधन में विरोध हो रहा है. CPI (M) ने कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी की आलोचना करते उनकी बीजेपी सरकार की चाय पार्टी में जाने को गलत बताया है. उन्होंने कहा कि एक तरफ तो जहां मनरेगा को सरकार ने खत्म कर दिया वहीं आप उनकी बुलाई चाय पार्टी में जा रहे हैं, इससे गलत संदेश जाएगा.
सीपीएम के राज्यसभा सांसद जॉन ब्रिटास ने कहा कि प्रियंका गांधी का पीएम नरेंद्र मोदी के साथ चाय पार्टी में शामिल होने विपक्ष के सामूहिक स्टैंड के खिलाफ है. ब्रिटास ने इसे विपक्ष का नैतिक पतन और भारतीय लोकतंत्र पर काला धब्बा करार दिया.
'50 करोड़ गरीबों को प्रभावित कर रहा कानून'
दिल्ली में मीडिया से बातचीत में ब्रिटास ने कहा कि जब यह कानून लगभग 50 करोड़ गरीब लोगों की आजीविका को प्रभावित कर सकता है, तब प्रधानमंत्री और लोकसभा स्पीकर के साथ विपक्षी नेताओं का चाय पर दिखना बेहद विचलित करने वाला है. उन्होंने सवाल उठाया कि जब कई विपक्षी दलों ने कार्यक्रम का बहिष्कार किया था, तब प्रियंका गांधी की मौजूदगी किस अधिकार से थी, क्योंकि वे कांग्रेस संसदीय दल में कोई औपचारिक पद नहीं रखतीं.
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'बालू और कनिमोझी भी नहीं गए'
ब्रिटास ने कहा कि DMK के वरिष्ठ नेता टी.आर. बालू और कनिमोझी भी नहीं गए, साथ ही समाजवादी पार्टी और आम आदमी पार्टी ने भी बैठक का पूरी तरह बहिष्कार किया. उन्होंने पूछा कि 'मीडिया प्रियंका गांधी से ये सवाल क्यों नहीं पूछ रहा?'
CPI(M) सांसद ने सरकार पर रोजगार गारंटी कानून को कमजोर करने और गरीब तबके को विस्थापन की ओर धकेलने का आरोप लगाया. उनका कहना था कि ऐसे हालात में राजनीतिक सौहार्द का ऐसा प्रदर्शन उचित नहीं है.
पहले भी किया है ऐसी मीटिंग्स का बहिष्कार
उन्होंने दावा किया कि इससे पहले भी विपक्ष ऐसे चाय मीटिंग्स का बहिष्कार करता रहा है, और इस बार तो और भी गंभीर वजह थी. क्योंकि केंद्र ने SIR पर चर्चा कराने से इनकार कर दिया था.
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VBGRG बिल को बताया अलोकतांत्रिक
ब्रिटास ने बिल को VBGRG बिल को अभूतपूर्व और अलोकतांत्रिक बताया और कहा कि इसे बिना बहस के दोनों सदनों से कुछ घंटों में पारित कराना संसदीय परंपराओं को तोड़ता है. उन्होंने उदाहरण दिया कि राजीव गांधी के दौर में भी बोफोर्स जैसा विवादित मुद्दा संसद में चर्चा के लिए लाया गया था.
सांसद ने आरोप लगाया कि यह कानून गरीबों पर गहरा असर डालेगा और संसद में बहस के बिना इसे पारित करना लोकतांत्रिक प्रक्रिया को कमजोर करता है. उन्होंने प्रियंका गांधी की चाय बैठक में मौजूदगी को राजनीतिक रूप से गलत संदेश बताया और कहा कि उन्होंने हाल ही में प्रधानमंत्री की विदेश यात्राओं की तारीफ भी की, जबकि वे अपने ही क्षेत्र वायनाड के आपदा प्रभावित लोगों की सहायता पर सरकार की चुप्पी को लेकर आवाज नहीं उठातीं.













