तीन साल में 47 प्रतिशत भारतीयों से हो चुकी है वित्तीय धोखाधड़ी: सर्वेक्षण

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2023-24 में धोखाधड़ी के मामले 166 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 36,000 से अधिक रहे हैं. हालांकि, इनका मूल्य वित्त वर्ष 2022-23 के मुकाबले लगभग आधा (13,930 करोड़ रुपये) है.

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नई दिल्ली:

पिछले तीन साल में 47 प्रतिशत भारतीयों ने एक या अधिक वित्तीय धोखाधड़ी का अनुभव किया है. शुक्रवार को जारी एक सर्वेक्षण रिपोर्ट में कहा गया कि इनमें यूपीआई और क्रेडिट कार्ड से जुड़ी वित्तीय धोखाधड़ी सबसे आम हैं.

सर्वेक्षण एजेंसी लोकलसर्किल्स ने 302 जिलों के 23,000 लोगों के बीच किए गए सर्वेक्षण में कहा कि आधे से अधिक लोगों को घरेलू और/या अंतरराष्ट्रीय व्यापारियों/वेबसाइटों द्वारा उनके क्रेडिट कार्ड पर अनधिकृत शुल्क लगाए जाने का भी सामना करना पड़ा.

एजेंसी ने बयान में कहा कि रिपोर्ट में धोखाधड़ी को रोकने के लिए सुरक्षा उपाय करने और उपभोक्ता जागरूकता पैदा करने की तत्काल जरूरत पर प्रकाश डाला गया है.

सर्वेक्षण में 43 प्रतिशत ने क्रेडिट कार्ड पर धोखाधड़ी वाले लेनदेन की बात कही, जबकि 36 प्रतिशत ने कहा कि उनके साथ धोखाधड़ी वाला एकीकृत भुगतान इंटरफेस (यूपीआई) लेनदेन हुआ है.

क्रेडिट कार्ड धोखाधड़ी के संबंध में, 53 प्रतिशत लोगों ने घरेलू व्यापारियों और वेबसाइटों द्वारा लगाए गए अनधिकृत शुल्कों के बारे में बात की.

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2023-24 में धोखाधड़ी के मामले 166 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 36,000 से अधिक रहे हैं. हालांकि, इनका मूल्य वित्त वर्ष 2022-23 के मुकाबले लगभग आधा (13,930 करोड़ रुपये) है.

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पिछले तीन साल में प्राप्त आंकड़ों का हवाला देते हुए लोकलसर्किल्स ने कहा कि उसका अनुमान है कि 10 में से छह भारतीय वित्तीय धोखाधड़ी की सूचना नियामकों या कानून प्रवर्तन एजेंसियों को नहीं देते हैं.

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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