- अमित शाह ने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई को निर्णायक मोड़ बताते हुए सुरक्षा बलों की जांच को मिसाल बताया है.
- गृह मंत्री ने नई व्यापक योजना की घोषणा की है जो संगठित अपराध पर 360 डिग्री हमला करने में मदद करेगी
- सभी राज्यों के डीजीपी को डेटाबेस लागू करने और विभिन्न सुरक्षा मंचों के बीच समन्वय बढ़ाने का आह्वान किया गया है
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पाकिस्तान और आतंकी आकाओं को कड़ा संदेश दिया. उन्होंने कहा कि भारत की जनता ने अपने सुरक्षा बलों के माध्यम से आतंकी साजिशों की सफल और पुख्ता जांच करके सीमा पार बैठे "आतंकी आकाओं" को करारा जवाब दिया है. गृह मंत्री ने सुरक्षा बलों द्वारा की गई जांच को एक मिसाल के रूप में पेश किया और कहा कि आतंकवाद के विरुद्ध यह लड़ाई अब निर्णायक मोड़ पर है.
अप्रैल में हुए इस हमले में हमलावरों ने 26 लोगों की हत्या कर दी थी, जिनमें ज्यादातर पर्यटक थे. इस हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच कई दिनों तक संघर्ष चला था. नई दिल्ली ने पहलगाम में हुए इस हमले में पाकिस्तान को समर्थन देने का आरोप लगाया था, जिसे इस्लामाबाद ने नकार दिया. गृह मंत्री ने आतंकवाद विरोधी सम्मेलन में कहा कि पहलगाम हमले की जांच पूरी तरह से पुख्ता जांच का उदाहरण है.
केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के आतंकवाद के खिलाफ ज़ीरो टॉलरेंस विजन के तहत आयोजित यह वार्षिक सम्मेलन उभरते खतरों से निपटने का प्लेटफॉर्म बना है. उन्होंने कहा कि पिछले 3 साल में हम इस कॉन्फ्रेंस को वार्षिक परंपरा बनाने की दिशा में आगे बढ़े हैं. शाह ने कहा कि यह सम्मेलन मात्र एक चर्चा का फोरम नहीं है बल्कि यहां कुछ एक्श्नेबल पाइंट्स निकलते हैं और उनके क्रियान्वयन की दिशा में NIA और राज्यों की सभी संबंधित एजेंसियां लगातार सालभर काम करती हैं. इससे हम देश में एक मज़बूत आतंकवाद विरोधी ग्रिड बनाने में सफल हो रहे हैं. उन्होंने कहा कि यह सम्मेलन भारत की सुरक्षा का संकल्प दोहराने का माध्यम मात्र नहीं है.
शाह ने कहा कि सभी एजेंसियां देश और दुनिया में जितनी भी आतंकी घटनाएं हुई हैं, उनका विश्लेषण कर हमारी आतंकवाद निरोधी क्षमता को और बढ़ाएं. गृह मंत्री ने कहा कि दुनिया में अब तकनीक के साथ-साथ आतंकी घटनाओं में तकनीक के उपयोग के कारण आतंकवाद का परिदृश्य भी बदल रहा है और हमें भी इसकी रोकथाम के लिए तैयारी करनी होगी. उन्होंने कहा कि भविष्य की दृष्टि से अदृश्य चुनौतियों को परखना और उनकी रोकथाम करने का राष्ट्रीय दायित्व इस सम्मेलन का है.
उन्होंने आने वाले दिनों में "संगठित अपराध पर 360 डिग्री हमला" करने के लिए एक नई व्यापक योजना लाने की घोषणा की. गृह मंत्री ने दो नए डिजिटल डेटाबेस और एनआईए की अद्यतन 'अपराध नियमावली' का अनावरण किया. उन्होंने कहा कि ये डेटाबेस भविष्य में भारत की "शून्य आतंकवाद नीति" की सबसे बड़ी संपत्ति साबित होंगे. शाह ने सभी राज्यों के पुलिस महानिदेशकों (DGPs) से आग्रह किया कि वे इस डेटाबेस ढांचे को पूरी निष्ठा और अक्षरशः लागू करें, ताकि अपराधियों और आतंकवादियों के गठजोड़ को जड़ से मिटाया जा सके.
गृह मंत्री ने कहा कि डीजीपी सम्मेलन, सुरक्षा रणनीति सम्मेलन, एन-सीओआरडी बैठकों और आतंकवाद विरोधी सम्मेलन के बीच समन्वय, सहयोग और संचार का एक नया मानक विकसित किया गया है. हम इन चार स्तंभों को अलग-अलग नहीं देख सकते.
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने देश की आंतरिक सुरक्षा को अभेद्य बनाने के लिए समन्वय, सहयोग और संचार के एक नए मानक की स्थापना पर जोर दिया है. उन्होंने स्पष्ट किया कि डीजीपी सम्मेलन, सुरक्षा रणनीति सम्मेलन, एन-सीओआरडी (N-CORD) और आतंकवाद विरोधी सम्मेलन जैसे मंचों को अलग-अलग करके नहीं देखा जा सकता, क्योंकि आतंकवाद विरोधी सम्मेलन इन सभी को एक सामान्य सूत्र के रूप में जोड़ता है. गृह मंत्री ने रेखांकित किया कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने पूरे देश के लिए एक 'समान एटीएस (ATS) संरचना' तैयार करने हेतु कड़ी मेहनत की है, जिसे अब सभी राज्य पुलिस बलों को साझा कर दिया गया है. उन्होंने सभी राज्यों के पुलिस महानिदेशकों (DGPs) से इस ढांचे को जल्द से जल्द लागू करने का आह्वान किया, ताकि पूरे देश में आतंकवाद के खिलाफ एक समान तैयारी और प्रतिक्रिया सुनिश्चित की जा सके.
सुरक्षा प्रणाली को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए गृह मंत्री ने तकनीकी समाधानों के अनिवार्य उपयोग पर विशेष बल दिया. उन्होंने कहा कि राज्यों की एटीएस इकाइयों को 'निदान' (NIDAAN) और 'नेटग्रिड' (NATGRID) जैसे डेटाबेस का उपयोग करने की आदत डालनी चाहिए. शाह के अनुसार, इन प्लेटफार्मों का उपयोग यह सुनिश्चित करता है कि जांच केवल एक दायरे तक सीमित न रहे, बल्कि विभिन्न मामलों के बीच छिपे अनदेखे और जटिल संबंधों को भी उजागर किया जा सके. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सुरक्षा के प्रति "जीरो टॉलरेंस" की नीति के तहत, विशिष्ट प्रकार की जांचों में नेटग्रिड और कुछ गंभीर मामलों में निदान का उपयोग अनिवार्य किया जाना चाहिए, ताकि देश को आतंकवाद और संगठित अपराध के खतरों से पूरी तरह सुरक्षित रखा जा सके.













