गुजरात के खेड़ा में पिटाई का मामला: सजा से बचने के लिए 4 पुलिसकर्मियों ने पीड़ितों को मुआवजा देने का प्रस्ताव रखा

पिछली सुनवाई के दौरान, अदालत ने डी के बसु बनाम पश्चिम बंगाल के मामले में किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करने से पहले उचित प्रक्रिया के अनुपालन के संबंध में उच्चतम न्यायालय के दिशानिर्देशों का उल्लंघन करने के लिए अदालत की अवमानना अधिनियम के तहत दोषी पाए जाने के बाद चार पुलिसकर्मियों के खिलाफ आरोप तय किए थे.

Advertisement
Read Time: 11 mins
पुलिस ने कई लोगों को एक खंभे से बांधकर सरेआम पिटाई की थी.

खेड़ा जिले में अल्पसंख्यक समुदाय के कुछ सदस्यों की सरेआम पिटाई के लिए अदालत की अवमानना के दोषी पाए गए चार पुलिसकर्मियों ने बुधवार को गुजरात उच्च न्यायालय से अनुरोध किया कि उन्हें सजा देने के बजाय पीड़ितों को मुआवजा प्रदान करने का निर्देश दिया जाए. उन्होंने दलील दी है कि सजा से करियर प्रभावित होगा. न्यायमूर्ति ए एस सुपेहिया और न्यायमूर्ति गीता गोपी की पीठ ने पुलिसकर्मियों के प्रस्ताव पर शिकायतकर्ताओं का जवाब जानने के लिए मामले को अगले सोमवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया.

पिछली सुनवाई के दौरान, अदालत ने डी के बसु बनाम पश्चिम बंगाल के मामले में किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करने से पहले उचित प्रक्रिया के अनुपालन के संबंध में उच्चतम न्यायालय के दिशानिर्देशों का उल्लंघन करने के लिए अदालत की अवमानना अधिनियम के तहत दोषी पाए जाने के बाद चार पुलिसकर्मियों के खिलाफ आरोप तय किए थे. अदालत ने कहा कि इन पुलिसकर्मियों ने मामले में सक्रिय रूप से भाग लिया और याचिकाकर्ताओं को एक खंभे से बांधकर सरेआम पिटाई की थी.

Advertisement

खेड़ा थाने के तत्कालीन निरीक्षक ए वी परमार, उप निरीक्षक डी बी कुमावर, कांस्टेबल कनकसिंह डाभी और राजू डाभी की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील प्रकाश जानी ने दलील दी कि उनके मुवक्किलों ने सेवा के काफी वर्ष पूरे कर लिए हैं और आरोपों का असर उनके करियर पर पड़ेगा. चारों पुलिसकर्मियों पर अदालत की अवमानना ​​का आरोप लगाया गया था.

वकील ने कहा, ‘‘अगर अदालत ठीक समझे तो, उन्हें अदालत की अवमानना अधिनियम के तहत दंडित करने के बजाय, पांच याचिकाकर्ताओं को (पुलिसकर्मियों की ओर से) उचित मुआवजा दिया जा सकता है.'' याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ वकील आई एच सैयद ने कहा कि वह इस संबंध में शिकायतकर्ताओं से उचित निर्देश लेंगे, जिसके बाद अदालत ने मामले को सोमवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया.

पिछले साल अक्टूबर में नवरात्रि उत्सव के दौरान, मुस्लिम समुदाय के सदस्यों की भीड़ ने खेड़ा के उंधेला गांव में गरबा नृत्य कार्यक्रम पर कथित तौर पर पथराव किया था, जिसमें कुछ ग्रामीण और पुलिसकर्मी घायल हो गए थे. सोशल मीडिया पर वीडियो सामने आए जिसमें पुलिसकर्मी पथराव करने के आरोप में गिरफ्तार किए गए 13 लोगों में से तीन की पिटाई करते हुए नजर आए. कुछ पीड़ितों ने बाद में उच्च न्यायालय का रुख किया और दावा किया कि इस कृत्य में शामिल पुलिसकर्मियों ने उच्चतम न्यायालय के निर्देशों का उल्लंघन करके अदालत की अवमानना की है.

ये भी पढ़ें : केरल में अफरातफरी मचाने वाले हाथी को 12 घंटे की मशक्कत के बाद जंगल वापस भेजा गया

Advertisement

ये भी पढ़ें : पांच हजार साल से धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र रहा है भारत : मोहन भागवत

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
Featured Video Of The Day
'हिन्दू समाज को हिंसक...'- राहुल गांधी के बयान पर पीएम मोदी ने जताया ऐतराज
Topics mentioned in this article