अलवर में मंदिर टूटने पर राजनीति से दूर उनका क्या जिनके घर तोड़े गए, रोजगार खत्म हो गया...

बीजेपी के राज्यसभा सांसद किरोड़ी मल मीणा शुक्रवार को राजगढ़ में मंदिर गिराए जाने के खिलाफ पुलिस थाने के सामने धरने पर बैठ गए. बीजेपी का दावा है कि यह मंदिर 300 साल पुराना था.

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Alwar जिले में 300 साल पुराना मंदिर अतिक्रमण के नाम पर तोड़ने का आरोप

अलवर:

राजस्थान के अलवर जिले में मंदिर (300 years old temple demolished) ध्वस्त किए जाने को लेकर बीजेपी और कांग्रेस के बीच सियासत तेज है, लेकिन उन पीड़ितों की आवाज कहीं दबकर रह गई है, जिनके मकान, दुकानें या अन्य ढांचे ढहाए गए हैं. 60 साल की अनीता विधवा हैं, अकेली रहती हैं और उनकी एक बेटी है, जिसकी शादी हो चुकी है. अनीता संयुक्त परिवार में रहती है, लेकिन आर्थिक रूप से कोई सहारा नहीं है. वो अपने गुज़ारा घर के सामने एक दुकान को किराये पर देकर चलाती थीं. उन्हें चार हज़ार रुपये महीने के मिलते थे, लेकिन अब अतिक्रमण हटाने के नाम पर सड़क गौरव पथ बनाने के लिए उसके दुकान को बुलडोज़र ने तहस नहस कर दिया है. कुछ ही मीटर की दूरी पर मंजू जांगिड़ का घर है. घर का जीना पूरी तरह से तोड़ दिया गया है. ऊपर पहले मंज़िल पर जाने का कोई रास्ता नहीं है. बूढ़ी सास और नंद ऊपर फंसे हुए हैं. एक अस्थायी सीढ़ी से काम चला रहे हैं, जिसपे चढ़ना ही जोखिम है.

घर-दुकानें टूटीं, कोई सुध नहीं ले रहा

जब से 17 अप्रैल रविवार को बुलडोज़र अलवर के राजगढ़ शहर में अतिक्रमण हटाने के नाम पर चलाया गया, तब से सारा ध्यान इस मंदिर पर ही केंद्रित है, लेकिन जिन लोगों के घर और दुकानें टूटी हैं, उनकी सुध कोई नहीं ले रहा है. राजनीति सिर्फ धर्म और मंदिर पर रुक गई है. लेकिन मंदिरों में तो मूर्तियां संग्रहित की गयी है जिन लोगों के घर टूटे है उनके साथ साथ उनके बिजली भी काट गयी है और पानी की लाइन और नल भी ध्वस्त किए गए हैं. इतनी गर्मी में न उनके पास पानी है और न बिजली.पीड़ितों का कहना है कि उन्हें 6 अप्रैल को नोटिस दिया गया था और लंबी छुट्टी के कारण उनके पास प्रशासन या कोर्ट के पास जाने का समय नहीं था औऱ 17 अप्रैल को ध्वस्तीकरण का कार्य किया गया.

कांग्रेस का दल जो यहां आया , उसने राजगढ़ की नगर पालिका को दोषी ठहराया है. यहां नगर पालिका के 35 सदस्यों में से 34 बीजेपी के हैं. कांग्रेस ने उनके खिलाफ पुलिस  थाने में रिपोर्ट दर्ज करवाई है. कांग्रेस नेता भंवर जितेंद्र सिंह ने कहा, नगरपालिका के चेयरमैन कहां हैं, उन्हें गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया है. हमने अब उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है. बहरहाल मंदिर के टूटने से राजनीतिक मंच तैयार हो गया है, लेकिन इस मसले का एक और पहलू है , वो लोग जिनके आशियाना उजाड़ गए , जिनकी जीविका का आधार मिटटी में मिल गया. कांग्रेस और भाजपा की इस लड़ाई में , उनका पुनर्वास तो दूर मुआवजे की भी बात नहीं हो रही है. अलवर से बीजेपी सांसद बालकनाथ ने आरोप लगाया कि इस हफ्ते की शुरुआत में की गई कार्रवाई में एक मंदिर की प्रतिमा को भी नुकसान पहुंचा है.

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वहीं राजस्थान के मंत्री शांति धारीवाल ने बीजेपी पर आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि इस कार्रवाई की मंजूरी बीजेपी शासित राजगढ़ नगरपालिका बोर्ड ने दी थी.  कार्रवाई में किसी भी प्रतिमा या गर्भगृह को नुकसान पहुंचने से इंकार किया है. अलवर के डीएम एन. शिवप्रसाद मदान ने कहा कि प्रस्ताव नगरपालिका बोर्ड ने पारित किया था और स्थानीय प्रशासन के फैसले के अनुरूप पुलिस की मौजूदगी में कार्रवाई की गई. राजगढ़ के एसडीएम केशव मीणा ने बताया कि नगर पालिका के कार्यकारी अधिकारी ने छह अप्रैल को 86 लोगों को नोटिस जारी कर सड़क से अतिक्रमण हटाने को कहा था और उन्हें वक्त दिया गया था. उन्होंने कहा कि 100 से ज्यादा अवैध कब्जों को गिराने की कार्रवाई 17 और 18 अप्रैल की गई. एक मंदिर को पूरी तरह गिराया गया और मंदिर के मालिकों ने प्रतिमाएं हटा ली थीं. दूसरे मंदिर को आंशिक रूप से गिराया गया लेकिन उसका गर्भगृह सुरक्षित है. 

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बीजेपी के राज्यसभा सांसद किरोड़ी मल मीणा शुक्रवार को राजगढ़ में मंदिर गिराए जाने के खिलाफ पुलिस थाने के सामने धरने पर बैठ गए. बीजेपी का दावा है कि यह मंदिर 300 साल पुराना था. बीजेपी की राजस्थान इकाई के प्रमुख सतीश पूनिया ने इस कार्रवाई के पीछे कांग्रेस का हाथ होने का आरोप लगाया. प्रदेश कांग्रेस प्रमुख गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि यह बीजेपी शासित नगरपालिका का फैसला था.

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