22 फीसदी बच्चों में घर कर रहा कोविड का भय, 42% में चिड़चिड़ापन और चिंता: AIIMS स्टडी

स्टडी की एनालिसिस का नेतृत्व करने वाली डॉ शेफाली गुलाटी ने कहा, "महामारी और क्वारंटीन की वजह से कुल 79.4 प्रतिशत बच्चों के व्यवहार / मनोवैज्ञानिक स्थिति पर नकारात्मक प्रभाव पड़े हैं.  कम से कम 22.5 प्रतिशत बच्चों में COVID-19 का एक महत्वपूर्ण भय, और 35.2 प्रतिशत बच्चों में ऊब और 21.3 प्रतिशत बच्चों में नींद की गड़बड़ी देखी गई."

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नई दिल्ली:

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) की एक स्टडी से पता चला है कि कम से कम 22.5 फीसदी बच्चों को कोविड​​​​-19 (Covid-19) का एक बड़ा भय सता रहा है, जबकि 42.3 फीसदी बच्चे चिड़चिड़ापन और चिंता से पीड़ित हैं.

कोरोना वायरस महामारी और लॉडाउन के दौरान बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों का अध्ययन एम्स की टीम ने किया है. "साइकोलॉजिकल एंड बिहैवेरियल इम्पैक्ट ऑफ लॉकडाउन एंड क्वारंटीन मिजर्स फॉर कोविड 19 चिल्ड्रेन ऑन पैनडेमिक, एडोलेसेन्ट केयरगिवर्स" नामक विषय पर किए गए अध्ययन के मुताबिक, पहले से मौजूद व्यवहार संबंधी समस्याओं वाले बच्चों में उनके व्यवहार संबंधी लक्षणों के और बिगड़ने की संभावना जताई गई है.

इस स्टडी में पाया गया कि दो साल की उम्र के बच्चे अपने आसपास के बदलावों से अवगत होते हैं और इससे प्रभावित होते हैं.

स्टडी रिपोर्ट में कहा गया है, "22,996 बच्चों / किशोरों का वर्णन करने वाले पंद्रह अध्ययनों ने कुल 219 रिकॉर्ड से पात्रता मानदंड को पूरा किया. कुल मिलाकर 34.5 फीसदी, 41.7 फीसदी, 42.3 फीसदी और 30.8 फीसदी बच्चे चिंता, अवसाद, चिड़चिड़ापन और असावधानी से पीड़ित पाए गए.

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स्टडी में यह भी पाया गया कि 52.3 प्रतिशत और 27.4 प्रतिशत बच्चों में आइसोलेशन में रहने के दौरान क्रमशः चिंता और अवसाद (डिप्रेशन) विकसित हो गया.

स्टडी की एनालिसिस का नेतृत्व करने वाली डॉ शेफाली गुलाटी ने कहा, "महामारी और क्वारंटीन की वजह से कुल 79.4 प्रतिशत बच्चों के व्यवहार / मनोवैज्ञानिक स्थिति पर नकारात्मक प्रभाव पड़े हैं.  कम से कम 22.5 प्रतिशत बच्चों में COVID-19 का एक महत्वपूर्ण भय, और 35.2 प्रतिशत बच्चों में ऊब और 21.3 प्रतिशत बच्चों में नींद की गड़बड़ी देखी गई."

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डॉ गुलाटी ने बताया, "चिंता, अवसाद, चिड़चिड़ापन, ऊब, असावधानी और डर COVID 19 महामारी के दौरान बच्चों में प्रमुख रूप से विकसित होने वाली नई-शुरुआत मनोवैज्ञानिक समस्याएं हैं. ऑटिज्म और अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिव डिजॉर्डर से पीड़ित बच्चों में व्यवहार संबंधी समस्याओं के बिगड़ने की उच्च संभावना है.”

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