"22 विधायक और 9 सांसद छोड़ सकते हैं एकनाथ शिंदे गुट का साथ...", टीम उद्धव ठाकरे का बड़ा दावा

UBT के सबसे वरिष्ठ नेताओं में से एक और सामना के संपादक संजय राउत ने कहा कि शिवसेना ने बीजेपी से, जो उसे खत्म करने की कोशिश कर चुकी है, से पहले ही दूरी बना चुकी है. 

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संजय राउत ने शिंदे गुट के विधायकों और सांसदों को लेकर की बड़ी टिप्पणी
नई दिल्ली:

महाराष्ट्र में राजनीति फिर गरमा रही है. उद्धव  गुट (UBT ) ने मंगलवार को दावा किया है कि एकनाथ शिंदे गुट के 22 विधायक और 9 सांसद बहुत जल्द ही उनका साथ छोड़ सकते हैं. उद्धव गुट का कहना है कि इन विधायकों और सांसदों के साथ एकनाश शिंदे गुट में रहते हुए भेदभाव हो रहा है. 

उद्धव गुट के मुखपत्र 'सामना' के संपादकीय में कहा गया है कि शिंदे समूह से संबंधित सांसदों और विधायकों को भाजपा के सहयोग में "मुर्गियां" करार दिया और ये भी नहीं बताया गया है कि इनको कब ठिकाने लगा दिया जाएगा.संपादकीय में इसका भी उल्लेख किया गया है कि किस तरह से 2019 में, शिवसेना ने उसी "सौतेले व्यवहार" के लिए भाजपा से अपना नाता तोड़ लिया था.

इस संपादकीय में आगे कहा गया है कि अब ऐसी खबरें आ रही हैं कि शिंदे गुट के 22 विधायकों और 9 सांसदों के साथ बीजेपी सौतेला व्यवहार कर रही है.  इस वजह से ही ये लोग वहां रहते हुए घुटन महसूस कर रहे हैं. ऐसे में उस गुट को छोड़ने का मन बना चुके हैं. आगे कहा कि गया कि शिवसेना के जिन सांसदों ने पहले ठाकरे को धोका देकर बीजेपी के साथ हाथ मिलाया था, अब बीजेपी के साथ उनका मन नहीं लग रहा है और वो बीजेपी से तलाक चाहते हैं. 

इस मामले को वीकेंड पर शिवसेना सांसद गजानन कीर्तिकर ने उठाया था. उन्होंने आरोप लगाया था कि भाजपा उनकी पार्टी के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है. कीर्तिकर ने शुक्रवार को कहा था कि हम एनडीए का हिस्सा हैं..इसलिए हमारा काम उसी के अनुसार होना चाहिए और (एनडीए) घटकों को (उपयुक्त) दर्जा मिलना चाहिए. हमें लगता है कि हमारे साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है. 

उनकी टिप्पणी UBT के लिए मददगार साबित हुई. हालांकि,UBT की तरफ से इसपर अगले दिन प्रतिक्रिया आई. UBT के सबसे वरिष्ठ नेताओं में से एक और सामना के संपादक संजय राउत ने कहा कि शिवसेना ने बीजेपी से, जो उसे खत्म करने की कोशिश कर चुकी है, से पहले ही दूरी बना चुकी है. 

संजय राउत ने आगे कहा कि भाजपा मगरमच्छ या अजगर की तरह है. जो भी उनके साथ जाता है, वो उसे निगल लेते हैं. अब ये नेतृत्व के खिलाफ बगावत करने वाले शिवसेना सांसद और विधायक महसूस करेंगे कि इस मगरमच्छ से खुद को दूर करने का उद्धव ठाकरे का रुख सही था. 

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