महीनेभर में ही 1 करोड़ के 2 नक्सली इनामी ढेर; जानें दोनों से जुड़ी हर एक बात

झारखंड के हजारीबाग जिले में सोमवार सुबह सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में तीन माओवादी मारे गए, जिनमें से एक पर एक करोड़ रुपये का इनाम था.

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  • झारखंड में एक करोड़ के इनामी नक्सली सहदेव सोरन सहित तीन नक्सली मारे गए
  • सहदेव सोरन संगठन की स्पेशल एरिया कमेटी का सदस्य था और उस पर गंभीर आरोप थे
  • सितंबर माह में झारखंड और छत्तीसगढ़ में सुरक्षा बलों ने कई कुख्यात नक्सलियों को मार गिराया
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रांची/रायपुर:

नक्सलवाद के खिलाफ सुरक्षा बलों का अभियान इस वक्त बेहद अहम पड़ाव पर पहुंच चुका है. पिछले कुछ दिनों में राज्य के अलग-अलग जिलों में हुई मुठभेड़ों में कई बड़े इनामी नक्सली मारे गए हैं. इन कार्रवाइयों ने न सिर्फ माओवादी नेटवर्क को गहरा झटका दिया है, बल्कि राज्य को नक्सल मुक्त बनाने के लक्ष्य को भी पहले ये ज्यादा मजबूती दी है. झारखंड के हजारीबाग जिले में नक्सलियों के खिलाफ पुलिस और सुरक्षा बलों के संयुक्त ऑपरेशन में सोमवार सुबह एक करोड़ के इनामी माओवादी नक्सली सहदेव सोरन उर्फ प्रवेश सहित कुल तीन नक्सली मारे गए.

हजारीबाग में 1 करोड़ का इनामी नक्सली ढेर

आज सुबह हजारीबाग जिले के गोरहर थाना क्षेत्र के पनतीतरी जंगल में कोबरा 209 और हजारीबाग पुलिस की संयुक्त कार्रवाई में जो तीन कुख्यात नक्सली मारे गए. इनमें सबसे बड़ा नाम सहदेव सोरेन उर्फ परवेश का है, जिस पर एक करोड़ रुपये का इनाम रखा गया था. उसके साथ 25 लाख का इनामी रघुनाथ हेंब्रम और 10 लाख का इनामी बीरसेन गंझू भी मुठभेड़ में मारे गए. घटनास्थल से तीन AK-47 राइफल समेत भारी मात्रा में हथियार भी बरामद हुए हैं. मुठभेड़ के बाद पूरे इलाके में सर्च ऑपरेशन जारी है.

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कौन है 1 करोड़ का इनामी नक्सली सहदेव

सहदेव सोरन उर्फ प्रवेश, एक कुख्यात नक्सली था, जो संगठन की स्पेशल एरिया कमेटी का सदस्य और झारखंड-बिहार सीमा क्षेत्र में सक्रिय था. मूल रूप से हजारीबाग जिले के हकमसाही गांव का निवासी सहदेव वर्ष 1990-91 में संगठन से जुड़ा और जल्द ही हथियारों की ट्रेनिंग लेकर कई बड़े नक्सली हमलों में शामिल हुआ. उसके ऊपर हत्या, लूट, विस्फोटक सामग्री की चोरी और पुलिस पर हमले जैसे गंभीर आरोप थे. साल 2012 में गिरिडीह से गिरफ्तार होने के बाद वह कोर्ट में पेशी के दौरान नक्सलियों के हमले में फरार हो गया था. उसके ऊपर ₹1 करोड़ का इनाम घोषित था. सहदेव मुठभेड़ में वह मारा गया, जिससे संगठन को बड़ा झटका लगा है.

96 वारदातों का वांटेड भी मारा गया

इसके पहले रविवार को पलामू के मनातू जंगल में सुरक्षाबलों और प्रतिबंधित संगठन टीएसपीसी (तृतीय सम्मेलन प्रस्तुति कमेटी) के बीच मुठभेड़ में 5 लाख का इनामी नक्सली मुखदेव यादव मारा गया था. 7 सितंबर को पश्चिमी सिंहभूम जिले के गोइलकेरा थाना क्षेत्र के बुर्जुवा पहाड़ी पर पुलिस ने 10 लाख के इनामी नक्सली अमित हांसदा उर्फ अपटन को ढेर किया था. बोकारो जिले का रहने वाला अमित 96 नक्सली वारदातों में वांटेड था. झारखंड पुलिस के आंकड़ों के अनुसार, राज्य में औसतन हर महीने तीन नक्सली मुठभेड़ों में मारे जा रहे हैं.

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सितंबर में ही मारा जा चुका है 1 करोड़ से ऊपर का इनामी

इसी महीने केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) की कोबरा कमांडो, छत्तीसगढ़ पुलिस और डिस्ट्रीक्ट रिजर्व गार्ड (डीआरजी) के संयुक्त ऑपरेशन में 1 करोड़ रुपए के इनामी नक्सली सीसीएम मोडेम बालकृष्णा उर्फ मनोज सहित 10 कुख्यात नक्सलियों को ढेर कर दिया था. मनोज, नक्सल संगठन का एक अहम सदस्य, इस ऑपरेशन में मारा गया है. वह पिछले कुछ वर्षों से सुरक्षा बलों के लिए एक प्रमुख चुनौती बना हुआ था, और उसके ऊपर 1 करोड़ रुपए का इनाम रखा गया था। इसके अलावा, इस ऑपरेशन में और भी कई कुख्यात नक्सलियों का सफाया किया गया

कौन है नक्सली मनोज, जो इसी महीने हुआ ढेर

सीसीएम मोडेम बालकृष्णा उर्फ मनोज शीर्ष कमांडर था, जिस पर ₹1 करोड़ का इनाम घोषित था. मनोज को नक्सली संगठन की रणनीति, फंडिंग और ऑपरेशनल गतिविधियों का प्रमुख योजनाकार माना जाता था. संगठन की नीतिगत और रणनीतिक योजनाओं में शामिल था, साथ ही फंडिंग और हथियारों की आपूर्ति का जिम्मेदार माना जाता था. 11 सितंबर 2025 को छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले के मैनपुर थाना क्षेत्र के भालू डिग्गी जंगल में सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में मोडेम बालकृष्णा मारा गया.  बालकृष्णा की मौत को सुरक्षा बलों ने नक्सली संगठन की रीढ़ तोड़ने वाली कार्रवाई बताया है. वह संगठन के प्रभावशाली और खतरनाक नेताओं में गिना जाता था, और उसकी मौत से संगठन की नीतिगत और वित्तीय संरचना को बड़ा झटका लगा है.
 

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