प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के 165 साल, प्रधानमंत्री ने दी 1857 के सेनानियों को श्रद्धांजलि

1857 को भारतीय इतिहास में प्रथम स्वतंत्रता संग्राम, आजादी की लड़ाई, छावनी विद्रोह जैसे कई नामों से जाना जाता है. इसी दिन कुछ भारतीय सैनिकों ने ब्रिटिश राज के खिलाफ विद्रोह का बिगुल फूंका था. इस विद्रोह ने देश को कई नायक दिए हैं.

विज्ञापन
Read Time: 6 mins
प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के 165 साल, प्रधानमंत्री ने दी 1857 के सेनानियों को श्रद्धांजलि,
नई दिल्ली:

सन् 1857 यानी आज ही के दिन अंग्रेजी हुकूमत को जड़ से उखाड़ फेंकने के दृढ़ संकल्प के साथ प्रथम स्वतंत्रता संग्राम (First Freedom Struggle) की शुरुआत हुई थी, जिसने ब्रिटिश शासन (British Rule) की नींव को हिला कर रख दिया था. 1857 को भारतीय इतिहास में प्रथम स्वतंत्रता संग्राम, आजादी की लड़ाई, छावनी विद्रोह जैसे कई नामों से जाना जाता है. आज इस विद्रोह को 165 साल हो गए हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को 1857 के सेनानियों को श्रद्धांजलि अर्पित की और कहा कि 10 मई 1857 को ऐतिहासिक प्रथम स्वतंत्रता संग्राम शुरू हुआ, जिसने राष्ट्रभक्ति की भावना से भर दिया और औपनिवेशिक शासन को कमजोर करने में योगदान दिया. 
इस मौके पर प्रधानमंत्री ने ट्वीट भी किया. अपने ट्वीट में उन्होंने कहा, "1857 में आज ही के दिन ऐतिहासिक प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की शुरुआत हुई थी, जिसने देशवासियों में राष्ट्रभक्ति की भावना जागृत की और अंग्रेजी शासन को कमजोर करने में योगदान दिया. 1857 के स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े विभिन्न घटनाक्रमों का हिस्सा रहे सभी लोगों को उनके उत्कृष्ट शौर्य के लिए मैं श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं."

भारतीय इतिहास में 10 मई, 1857 का दिन एक विशिष्ट स्थान रखता है. इसी दिन भारत का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम शुरू हुआ था. इसका आंदोलन का केंद्र मेरठ बना था. उत्तर प्रदेश के मेरठ से देश की आजादी का लड़ाई शुरू हुई थी. इसी दिन कुछ भारतीय सैनिकों ने ब्रिटिश राज के खिलाफ विद्रोह का बिगुल फूंका था. दरअसल मेरठ छावनी में नई एनफील्ड राइफल आने से भारतीय सैनिकों में असंतोष था. असंतोष भी इस आंदोलन का तात्कालिक कारण बताया जाता है. एनफील्ड राइफल के कारतूस में सूअर की चर्बी का होना जिसे राइफल में भरने से पहले मुंह से काटना पड़ता था. सैनिकों ने इसका विरोध किया था. इस विद्रोह को छावनी विद्रोह भी कहा जाता है और इस क्रांति के नायक मंगला पांडे थे.

यह सैन्य विद्रोह स्वतंत्रता संग्राम की नींव साबित हुई, जिसने देशवासियों को राष्ट्रभक्ति की भावना से भर दिया. देखते ही देखते आजादी की यह लहर पूरे देश में फैल गई. आजादी की इस लड़ाई में साधु से लेकर सैनिक, बच्चों से लेकर बड़ों तक ने भाग लिया. बाहदुर शाह जफर से लेकर झांसी की रानी लक्ष्मीबाई जैसे महा पुरुषों ने इस संग्राम में भाग लेकर इसे एक बड़े आंदोलन में तब्दील कर दिया. ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ हुए इस संघर्ष को इतिहास में असफल माना जाता है. कारण कि इस आंदोलन में एकीकृत नेतृत्व की कमी थी. इसके बावजूद इस विद्रोह ने देश को कई नायक दिए हैं और इसे क्रांतिकारी आंदोलन के तौर पर खारिज नहीं किया जा सकता है.

Featured Video Of The Day
Bihar Elections 2025: Rahul Gandhi के 'डांस' पर BJP को चांस! Syed Suhail |Bharat Ki Baat Batata Hoon