महाराष्ट्र में कोरोना टीका लगने के बाद 12 हेल्थ वर्कर संक्रमित, विशेषज्ञ बोले टीकाकरण से...

सिविल सर्जन का कहना है कि टीका लगने के बाद शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता (Immunity) बनने में एक से डेढ़ महीने का समय लगता है, इस दौरान संक्रमण का जोखिम बना रहता है.

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Amrawati Corona Positive : विशेषज्ञ बोले-इम्यूनिटी बनने में लगता है एक-डेढ़ माह का वक्त
मुंबई:

महाराष्ट्र में कोविड-19 टीका लगने के बाद 12 स्वास्थ्यकर्मी कोरोना से संक्रमित (Maharashtra Covid Infection) पाए गए हैं. अमरावती (Amrawati) जिले में ये मामले सामने आए हैं. इन सभी को कोरोना की पहली खुराक दी गई थी. हालांकि सिविल सर्जन का कहना है कि टीके से संक्रमण का कोई संबंध नहीं है. 

अमरावती के सिविल सर्जन डॉ. एस निकम का कहना है कि इम्यूनिटी बनने में डेढ़ महीने का वक्त लगता है. टीके के बाद भी सावधानी बरतनी ज़रूरी है.ज़िला प्रशासन का कहना है कि टीका लगने के बाद शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता (Immunity) बनने में एक से डेढ़ महीने का समय लगता है, इस दौरान संक्रमण का जोखिम बना रहता है. निकम का कहना है कि अमरावती ज़िले में कुछ लोगों को वैक्सीन लेने के बाद उनका कोविड रिपोर्ट पॉज़िटिव (Corona Positive) आई है. 16 जनवरी से हमने टीकाकरण चालू किया लेकिन आठ से नौ दिन बाद में हमारे कर्मचारी पॉज़िटिव पाए गए, लेकिन इसका वैक्सीन से कोई रिश्ता नहीं है.

वैक्सीन लेने के बाद एक से डेढ़ महीने इम्यूनिटी (Immunity) आने में लगते हैं, इन लोगों को किसी पॉज़िटिव से सम्पर्क में आने से संक्रमण हुआ है. इसलिए वैक्सीन सुरक्षित है. वैक्सीन लेने के बाद AEFI मतलब एडवर्स इवेंट फॉलोइंग इम्यूनाइजेशन यानी टीके के बाद किसी तरह की प्रतिकूल घटना को लेकर भी कुछ अलग-अलग रिपोर्ट हैं. कहा गया है कि बिना एंटीबॉडी (Antibody) यानी नॉन कोविड लोग की तुलना में कोविड से रिकवर या एंटीबॉडी वाले लोगों में टीके के बाद AEFI ज़्यादा दिखती है.

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महाराष्ट्र कोविड टास्क फ़ोर्स के सदस्य और मुंबई के जाने माने इंटेंसिविस्ट डॉ राहुल पंडित मई महीने में कोविड पॉजिटिव हुए थे, 16 जनवरी को कोविशील्ड की पहली ख़ुराक के बाद दो दिन के लिए बुख़ार रहा लेकिन तीसरे दिन आईसीयू की ड्यूटी पर तैनात रहे हैं. राहुल पंडित ने कहा, 'मुझे मई में कोविड हुआ था, उसके बाद दो दिन बुख़ार माइल्ड तो मॉडरेट था. लेकिन में तीसरे दिन बिल्कुल ठीक था और आईसीयू में ड्यूटी कर रहा था.कहा जा रहा है कि जिन्हें इंफ़ेक्शन नहीं हुआ है उन्हें शायद दूसरे डोज़ के बाद तकलीफ़ हो तो ये इसी का नतीजा है कि आपको पहले से एंटीबॉडी हो और दूसरा डोज़ लो तो एईएफआई ज़्यादा दिखती है पर ये AEFI 24-48 घंटे ही दिखती है. इसके बाद व्यक्ति पूरी तरह से नॉर्मल हो जाता है.

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कोविड बेड मैनजमेंट के चीफ़ कोऑर्डिनेटर और बीएमसी कोविड टास्क फ़ोर्स के सदस्य डॉ गौतम भंसाली कभी कोविड पोसिटिव नहीं हुए, 16 जनवरी को टीका लिया और किसी तरह के साइडइफ़ेक्ट (Side effects)से सामना नहीं हुआ. कहते हैं, टीके से पहले अब एंटीबॉडी चेक करने पर विचार चल रहा है. भंसाली ने कहा कि उन्हें कोविड नहीं हुआ है और 16 जनवरी को वैक्सीन ली. उन्हें डर था एक दिन की शायद कोई साइडइफ़ेक्ट आए लेकिन किसी तरह का कोई दुष्प्रभाव नहीं आया. व्यक्तिगत अनुभव है कि जिन लोगों को कोरोना नहीं हुआ उन्हें  कोविड हुए लोगों की तुलना में साइड इफ़ेक्ट कुछ ख़ास नज़र नहीं आ रहा. इसलिए हमलोग ये भी देख रहे हैं कि वैक्सीन से पहले हम लोगों की एंटीबॉडी चेक करें और जिनके अंदर है उनको थोड़ा रुक कर भी टीका दे सकते हैं तब तक दूसरे को दे दिया जाए.

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भारत में 68 लाख से ज़्यादा कोरोना योद्धाओं को टीका लग चुका है. इनमें क़रीब 8500  लोगों को ही AEFI का सामना करना पड़ा है. टीके के बाद 30 अस्पताल में भर्ती हुए, जिनमें से 19 डिस्चार्ज हो चुके हैं. टीका लगा चुके 23 लोगों की मौत हुई है लेकिन टीके से इसका कोई संबंध नहीं, स्वास्थ्य मंत्रालय ये साफ़ कर चुका है. 

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