नकली वीजा, डंकी रूट : 6 महीने में 108 एजेंट गिरफ्तार, विदेश भेजने के नाम पर कैसे हो रही धोखाधड़ी?

एजेंट नकली वीज़ा बनाते हैं और यात्रियों को प्रदान करते हैं जो वास्तविक वीज़ा से काफी मिलते-जुलते होते हैं. मूल वीज़ा की नकल करने के उनके प्रयासों के बावजूद, यात्रियों को अक्सर इमिग्रेशन जांच काउंटरों या एयरलाइन काउंटरों पर पकड़ा जाता है.

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नई दिल्ली:

दिल्ली एयरपोर्ट पुलिस ने पिछले 6 महीने के अंदर लोगों को अवैध तरीके से या फिर फर्जी वीजा के जरिए धोखाधड़ी कर विदेश भेजने वाले 108 एजेंट को गिरफ्तार किया है. जबकि पिछले साल 6 महीने के अंदर 51 एजेंट पकड़े गए थे. दिल्ली पुलिस ने इस साल 6 महीने के अंदर 76 ऐसे एजेंट जो विदेश भाग गए हैं, उनके खिलाफ लुक आउट सर्कुलर जारी करवाया है जबकि पिछले साल इसी समय में यह आंकड़ा इससे आधा था. 

डीपी एयरपोर्ट उषा रंगनी के मुताबिक, ये गिरफ्तारियां पंजाब, गुजरात, हरियाणा, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल समेत देश भर से हुई हैं. पुलिस के मुताबिक उनका फोकस अवैध तरीके से देश से बाहर जा रहे या आ रहे यात्रियों के साथ-साथ उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई करना है जो इनको धोखाधड़ी के जरिए विदेश भेजते हैं. कई बार यात्री इस धोखाधड़ी से अनजान होते हैं और वह विदेश जाने के नाम पर अपना घर गिरवी रख देते हैं या फिर लोन भी लेते हैं. ऐसे तमाम एजेंट पर नकेल कसने के लिए एक रणनीति के तहत यह कार्रवाई की गई है. इस कार्रवाई की कड़ी में कई भगोड़े घोषित अपराधियों को भी पकड़ा गया जो पिछले एक दशक से फरार चल रहे थे.

इसके कई उदाहरण हैं, एक हालिया मामले में, एक यात्री ने सुल्तान नामक एजेंट के माध्यम से पांच बार विदेश जाने का प्रयास किया, लेकिन हर बार असफल रहा, आखिर में उसे जेल जाना पड़ा. सुल्तान को 12 मार्च, 2024 को गिरफ्तार किया गया था, सुल्तान ने यात्री से विदेश भेजने के नाम पर 50 लाख रुपए लिए थे. सुल्तान ने यात्री को वियतनाम के रास्ते अमेरिका भेजने के इरादे से उसके लिए कोलकाता की यात्रा की व्यवस्था की.

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हालांकि, आगे की यात्रा की व्यवस्था नहीं हो पाने के कारण यात्री को वापस बुला लिया गया. इसके बाद, दिसंबर 2023 में, सुल्तान ने यात्री को अपने ऑफिस में बुलाया और उसे वीजा और यात्रा बीमा के साथ कतर के लिए हवाई टिकट दिया. यात्री दिल्ली हवाई अड्डे से कतर के लिए रवाना हुआ, दो दिनों तक वहां रुका लेकिन आगे नहीं बढ़ सका और भारत लौट आया.बाद में सुल्तान ने यात्री को फिर से दोहा, कतर भेजा,

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इस बार ब्राजीलियाई वीजा और टिकट की व्यवस्था की. ब्राजील की यात्रा के लिए दोहा हवाई अड्डे पर पहुंचने पर, यात्री को इमिग्रेशन अधिकारियों द्वारा बताया गया कि उसका वीजा फर्जी है, जिसके चलते उसे भारत डिपोर्ट किया गया. लगातार प्रयास करते हुए, यात्री ने फिर से सुल्तान से संपर्क किया, जिसने दुबई से होते हुए  एक वैकल्पिक मार्ग की व्यवस्था की. यात्री ने अमृतसर से दुबई की यात्रा की, जहां उसकी मुलाकात सुल्तान के सहयोगी से हुई, जिसने निकारागुआ के लिए टिकट वीजा और अन्य दस्तावेज उपलब्ध कराए. निकारागुआ के लिए निकलने के बाद बावजूद, फ्रांस में एक स्टाफ के द्वारा दर्ज की गई शिकायत के कारण उड़ान को वापस मुंबई लाया गया

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जनवरी 2024 में सुल्तान ने यात्री को संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए एक अलग रास्ते की व्यवस्था करने का आश्वासन दिया, बाद में दुबई लौटने से पहले उसे भूटान, फिर बैंकॉक, थाईलैंड भेजा. इसके बाद सुल्तान ने यात्री को डकार, सेनेगल के रास्ते अमेरिका भेजने की योजना बनाई.

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दुबई में सुल्तान के सहयोगी से दोबारा मिलने पर यात्री को टिकट, वीजा और बीमा मिला. हालाँकि, डकार पहुँचने के बाद, आगे की यात्रा व्यवस्था को अंतिम रूप नहीं दिया जा सका और यात्री डकार में लगभग 5-6 दिनों तक रहने के बाद दुबई लौट आया. इसके बाद, वह लगभग एक महीने तक दुबई में रहा जब तक कि अमेरिका के लिए वैकल्पिक मार्ग की व्यवस्था करने का निर्णय नहीं लिया गया.

सुल्तान ने ताशकंद के रास्ते अमेरिका की आगे की यात्रा के साथ अल्माटी, कजाकिस्तान के लिए वीजा, टिकट और होटल बुकिंग की व्यवस्था की. अल्माटी पहुंचने पर इमिग्रेशन अधिकारियों को यात्री के पासपोर्ट में दो गायब पन्ने मिले, जिसके कारण उसे वापस भारत भेज दिया गया. आखिरकार यात्री को अपनी मेहनत की कमाई गंवाकर जेल जाना पड़ा.

इस मामले से पता चलता है कि  यात्रियों को चोट लगने, तस्करी होने और यहां तक ​​कि मौत का भी खतरा रहता है. पुलिस की जांच में कई रैकेट और घोटालों का खुलासा हुआ है, जिसमें नकली प्रस्थान,आगमन टिकट लगाना, अवैध प्रवेश के लिए डंकी रूट का उपयोग करना, नकली वीजा बनाना, जाली पासपोर्ट, वर्क परमिट बनाना शामिल है.विदेशी नागरिकों के लिए नकली पहचान पत्र विशेष रूप से बांग्लादेशी नागरिकों और रोहिंग्याओं के लिए बनाना

एजेंट नकली वीज़ा बनाते हैं और यात्रियों को प्रदान करते हैं जो वास्तविक वीज़ा से काफी मिलते-जुलते होते हैं. मूल वीज़ा की नकल करने के उनके प्रयासों के बावजूद, यात्रियों को अक्सर इमिग्रेशन जांच काउंटरों या एयरलाइन काउंटरों पर पकड़ा जाता है. भले ही वे भारतीय अधिकारियों को चकमा देने में सफल हो जाएं, फिर भी उन्हें अक्सर दूसरे देश पहुंचकर पकड़ लिया जाता है

उदाहरण के लिए एक पश्चिम बंगाल के रहने वाले एक एजेंट गुलाम दोस्तगीर मिस्त्री जिसे गिरफ्तार किया गया था उसने एक यात्री को फर्जी यूएई वर्क वीजा मुहैया कराया था, जो दुबई तो पहुंच गया लेकिन उसे वहां इमिग्रेशन अधिकारियों ने पकड़ा लिया और डिपोर्ट कर दिया. 2024 में ऐसे मामलों में शामिल 19 एजेंटों को गिरफ्तार किया गया है.
  
डंकी रूट

एजेंट भारतीय नागरिकों को अराइवल पर वीज़ा की पेशकश करने वाले देशों में भेजकर यात्रियों का शोषण करते हैं और गलत रास्तों से अवैध तरीके से दूसरे देशों में भिजवाते हैं, एक आम रणनीति में यात्रियों को नकली शेंगेन वीजा के साथ अजरबैजान या कजाकिस्तान जैसे यूरोपीय देशों में भेजना शामिल है. वहां से उन्हें मध्य अमेरिकी या कैरेबियाई देशों जैसे ग्वाटेमाला और कोस्टा रिका से होते हुए संयुक्त राज्य अमेरिका भेजा जाता है.

हाल ही में ऐसे ही एक यात्री को अवैध प्रवासी होने के कारण यूएसए से डिपोर्ट किया गया था,उसने खुलासा किया कि वह 2017 में दो एजेंटों बलवान और सोहन लाल शर्मा की मदद से डोंकी रूट अमेरिका गया था.इसके लिए एजेंटों ने 20 लाख रुपए लिए और नौकरी लगवाने के नाम पर बाहर भेजा,उसे दुबई, क्यूबा, ​​​​पेरू, निकारागुआ, मैक्सिको और आखिर में संयुक्त राज्य अमेरिका तक निर्देश मिलते रहे. इस कठिनाई भरी यात्रा के दौरान यात्री को अक्सर भूखे रहना पड़ता था और नींद नहीं आती थी. उसका असली पासपोर्ट एजेंटों द्वारा जब्त कर लिया गया था,

संयुक्त राज्य अमेरिका पहुंचने और वहां काम मिलने के बाद भी उसके जीवन में 2023 में एक मोड़ आया जब वह शिकागो में एक झगड़े में पड़ गया जिसके कारण उसे लगभग नौ महीने की कैद हुई. आखिरकार एक अवैध आप्रवासी के रूप में उसे डिपोर्ट कर दिया.

डंकी रूट का उपयोग एशियाई देशों में लोगों को अवैध तरीके से विदेश भेजने के लिए किया जाता है.एक मामले में दो एजेंट सरवन कुमार और हरि राम  को गिरफ्तार किया गया, जिन्होंने ऐसी यात्रा की व्यवस्था की थी. एक शख्स को टूरिस्ट वीज़ा पर अवैध तरीके थाईलैंड भेजा. थाईलैंड पहुंचने के बाद, एजेंट ने उसे डोंकी रूट से मलेशिया भेजा,

यात्री मलेशिया में रुक गया और वहीं काम करने लगा. इसके बाद, मलेशिया में उसके प्रवेश को वास्तविक रूप देने के लिए एजेंट ने उसके पासपोर्ट पर थाईलैंड के इमिग्रेशन टिकटों की नकली मुहर लगा दी. कुछ समय बाद, जब यात्री अपने परिवार से मिलने के लिए भारत लौटा, तो वह हवाई अड्डे पर इमिग्रेशन अधिकारियों द्वारा पकड़ा गया. पूछताछ में पता चला कि एजेंट ने यात्री से इसके लिए डेढ़ लाख रुपए लिए थे. 2024 में ऐसी प्लानिंग में शामिल 11 एजेंटों को गिरफ्तार किया गया है.

कई बार एजेंट एक जैसे चेहरे वाले लोगों के पासपोर्ट हासिल करते हैं और जिसके किसी दूसरे के पासपोर्ट में किसी और को भेज देते हैं.साल 2024 में ऐसे मामलों में कुल 24 एजेंटों को गिरफ्तार किया गया है.

 
 जिन यात्रियों को डिपोर्ट और ब्लैकलिस्ट किया गया है, वे अक्सर नए पासपोर्ट हासिल करने के लिए अपनी पहचान बदलने का सहारा लेते हैं. इजराइल से डिपोर्ट एक यात्री ने फर्जी पहचान का उपयोग करके नया पासपोर्ट हासिल किया. गिरफ्तार किए गए एजेंट रमेश शर्मा  ने फर्जी दस्तावेज (जैसे जन्म प्रमाण पत्र, आधार कार्ड) हासिल करने में गुजरात के यात्री की सहायता की थी. 2024 में इन गतिविधियों में शामिल 3 एजेंटों को गिरफ्तार किया गया है.

एयरपोर्ट पर वेश बदलकर यात्रा करने के मामले भी सामने आते हैं.इसी साल के एक युवा यात्री ने एक 67 साल के  बुजुर्ग के पासपोर्ट का उपयोग करके कनाडा की यात्रा करने का प्रयास किया. गिरफ्तार किए गए एजेंट जगजीत सिंह ने पासपोर्ट में लगी फोटो जैसा दिखने के लिए युवा को सैलून ले जाकर उसका चेहरे का हुलिया बदलवाया,लेकिन उसकी शक्ल और आवाज मैच न होने के चलते उसे पकड़ा गया,2024 में इन गतिविधियों में शामिल 1 एजेंट को गिरफ्तार किया गया है

एजेंट यात्रियों के लिए नकली कंटीन्यूअस डिस्चार्ज सर्टिफिकेट (सीडीसी) या सीमैन बुक बनाते हैं, जिससे उन्हें अवैध रूप से यात्रा करने में मदद मिलती है. वे यात्री के नाम पर नकली प्रशिक्षण प्रमाणपत्र भी प्राप्त करते हैं, जिसका उपयोग नकली सीडीसी प्राप्त करने के लिए किया जाता है.एक ऐसे ही.मामले में दो यात्रियों ने दोहा और इस्तांबुल के रास्ते मैक्सिको की यात्रा के लिए नकली सीमैन बुक्स का इस्तेमाल किया, लेकिन उन्हें इस्तांबुल से डिपोर्ट कर दिया गया. एजेंट धरमिंदर सिंह को गिरफ्तार किया गया था.2024 में इन गतिविधियों में शामिल 2 एजेंटों को गिरफ्तार किया गया है.

बांग्लादेश, म्यांमार, अफगानिस्तान, श्रीलंका, नेपाल जैसे देशों से अवैध अप्रवासी खुली सीमाओं का फायदा उठाकर भारत में प्रवेश करते हैं और नकली भारतीय पहचान दस्तावेज प्राप्त करने के लिए भारत में स्थानीय एजेंटों से संपर्क करते हैं. जिसका मुख्य उद्देश्य भारतीय पासपोर्ट हासिल करना है, क्योंकि भारतीय पासपोर्ट की अंतरराष्ट्रीय विश्वसनीयता है.इस साल ऐसे कई सिंडिकेट पकड़े गए. 2024 में इस सिंडिकेट से जुड़े 21 एजेंटों को गिरफ्तार किया गया है.

​​एजेंट आपत्तिजनक वीज़ा या स्टांप वाले पेजों को हटाकर और उनके स्थान पर नकली पेज डालकर पासपोर्ट में बदलाव करते हैं. ऐसे ही एक मामले में एक यात्री के पासपोर्ट से (सर्बिया के) आने वाले टिकटों को हटाने के लिए छेड़छाड़ की गई थी, और पासपोर्ट को गैर-मानक धागे से दोबारा सिल दिया गया था. इस मामले में एजेंट गुरबाज को गिरफ्तार किया गया था, 2024 में ऐसे मामलों में 12 एजेंटों को गिरफ्तार किया गया है.

एजेंट यात्रियों के पासपोर्ट पर नकली इमिग्रेशन टिकट चिपका देते हैं, जिससे ऐसा लगे कि यात्री लगातार विदेश यात्राएं कर रहा है,जिससे मनचाहे देश का वीजा हासिल करने में मदद मिलती है.ऐसे ही एक मामले एक एजेंट जिसका नाम मनोज है उसे एक यात्री के यूएसए की यात्रा करवाने के लिए उसके पासपोर्ट में यूएई का फर्जी इमिग्रेशन का टिकट लगाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया.2024 में फर्जी ट्रैवल हिस्ट्री बनाने में शामिल 8 एजेंटों को पकड़ा गया है.

पुलिस के मुताबिक कई यात्री इमिग्रेशन सिस्टम में अपने डिपार्चर को दर्ज किए बिना डिपोर्ट के रूप में लौटते हैं तो उन्हें "डिपार्चर नहीं" मामलों के रूप में जाना जाता है. ये यात्री अक्सर अपनी शुरुआती यात्रा के लिए किसी और के पासपोर्ट का उपयोग करते हैं इसलिए, उनका डिपार्चर इमिग्रेशन सिस्टम के रिकॉर्ड में नहीं पाया जाता है.2024 में ऐसे मामलों में शामिल 7 एजेंटों को गिरफ्तार किया गया है.

पुलिस जनता से अपील कर रही है कि वो सतर्क रहें और इस खतरे को रोकने में मदद करने के लिए किसी भी संदिग्ध गतिविधि की सूचना पुलिस को दें.

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