देशवासियों को लिखी पीएम मोदी की चिट्ठी की 10 अहम बातें

पीएम नरेंद्र मोदी ने 30 मई को अपनी यह मेडिटेशन शुरू की थी जो 1 जून तक लगभग 45 घंटों तक चली थी. अपने पत्र में पीएम मोदी ने कन्याकुमारी में अपनी साधना के बारे में भी बताया है.

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को तमिलनाडु के कन्याकुमारी में विवेकानंद रॉक मेमोरियल पर 45 घंटों की मेडिटेशन पूरी की. उन्होंने शनिवार को अपनी 45 घंटों की मेडिटेशन के बारे में एक पत्र लिखा है. बता दें कि पीएम मोदी ने 30 मई को अपनी यह मेडिटेशन शुरू की थी जो 1 जून तक लगभग 45 घंटों तक चली थी. अपने पत्र में पीएम मोदी ने कन्याकुमारी में अपनी साधना के बारे में भी बताया है. तो चलिए आपको बताते हैं प्रधानमंत्री मोदी (Narendra Modi) के पत्र की 10 मुख्य बातें. 

  1. चुनावी रैलियों में माताओं, बहनों, बेटियों के असीम प्रेम के ज्वार और दुलार को आत्मसात करते हुए मेरी आंखें नम हो रही थीं...मैं शून्यता में जा रहा था, साधना में प्रवेश कर रहा था. कुछ ही क्षणों में राजनीतिक वाद विवाद, वार-पलटवार...आरोपों के स्वर और शब्द, वह सब अपने आप शून्य में समाते चले गए. मेरे मन में विरक्ति का भाव और तीव्र हो गया...मेरा मन बाह्य जगत से पूरी तरह अलिप्त हो गया. 
  2. इतने बड़े दायित्वों के बीच ऐसी साधना कठिन होती है, लेकिन कन्याकुमारी की भूमि और स्वामी विवेकानंद की प्रेरणा ने इसे सहज बना दिया. मैं सांसद के तौर पर अपना चुनाव भी अपनी काशी के मतदाताओं के चरणों में छोड़कर यहां आया था. 
  3. कन्याकुमारी का ये स्थान हमेशा से मेरे मन के अत्यंत करीब रहा है. कन्याकुमारी में विवेकानंद शिला स्मारक का निर्माण श्री एकनाथ रानडे जी ने करवाया था. एकनाथ जी के साथ मुझे काफी भ्रमण करने का मौका मिला था. इस स्मारक के निर्माण के दौरान कन्याकुमारी में कुछ समय रहना, वहां आना-जाना, स्वभाविक रूप से होता था.  
  4. कन्याकुमारी के उगते हुए सूर्य ने मेरे विचारों को नई ऊंचाई दी, सागर की विशालता ने मेरे विचारों को विस्तार दिया और क्षितिज के विस्तार ने ब्रह्मांड की गहराई में समाई एकात्मकता, Oneness का निरंतर ऐहसास कराया. ऐसा लग रहा था जैसे दशकों पहले हिमालय की गोद में किए गए चिंतन और अनुभव पुनर्जीवित हो रहे हों. 
  5. कन्याकुमारी संगमों के संगम की धरती है. हमारे देश की पवित्र नदियां अलग-अलग समुद्रों में जाकर मिलती हैं और यहां उन समुद्रों का संगम होता है. और यहां एक और महान संगम दिखता है- भारत का वैचारिक संगम!
  6. जो लोग भारत के राष्ट्र होने और देश की एकता पर संदेह करते हैं, उन्हें कन्याकुमारी की ये धरती एकता का अमिट संदेश देती है. कन्याकुमारी में संत तिरुवल्लूवर की विशाल प्रतिमा, समंदर से मां भारती के विस्तार को देखती हुई प्रतीत होती है. उनकी रचना ‘तिरुक्कुरल' तमिल साहित्य के रत्नों से जड़ित एक मुकुट के जैसी है. इसमें जीवन के हर पक्ष का वर्णन है, जो हमें स्वयं और राष्ट्र के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ देने की प्रेरणा देता है. ऐसी महान विभूति को श्रद्धांजलि अर्पित करना भी मेरा परम सौभाग्य रहा. 
  7. हमें हर पल इस बात पर गर्व होना चाहिए कि ईश्वर ने हमें भारत भूमि में जन्म दिया है. ईश्वर ने हमें भारत की सेवा और इसकी शिखर यात्रा में हमारी भूमिका निभाने के लिए चुना है.
  8. आज भारत का गवर्नेंस मॉडल दुनिया के कई देशों के लिए एक उदाहरण बना है. सिर्फ 10 वर्षों में 25 करोड़ लोगों का गरीबी से बाहर निकलना अभूतपूर्व है. प्रो-पीपल गुड गवर्नेंस, aspirational district, aspirational block जैसे अभिनव प्रयोग की आज विश्व में चर्चा हो रही है. 
  9. 21वीं सदी की दुनिया आज भारत की ओर बहुत आशाओं से देख रही है. और वैश्विक परिदृश्य में आगे बढ़ने के लिए हमें कई बदलाव भी करने होंगे. हमें reform को लेकर हमारी पारंपरिक सोच को भी बदलना होगा. भारत reform को केवल आर्थिक बदलावों तक सीमित नहीं रख सकता है. हमें जीवन में हर क्षेत्र में reform की दिशा में आगे बढ़ना होगा. हमारे reform 2047 के विकसित भारत के संकल्प के अनुरूप भी होने चाहिए.
  10. स्वामी विवेकानंद ने 1897 में कहा था कि हमें अगले 50 वर्ष केवल और केवल राष्ट्र के लिए समर्पित करने होंगे. उनके इस आह्वान के ठीक 50 वर्ष बाद, 1947 में भारत आज़ाद हो गया. आज हमारे पास वैसा ही स्वर्णिम अवसर है. हम अगले 25 वर्ष केवल और केवल राष्ट्र के लिए समर्पित करें. हमारे ये प्रयास आने वाली पीढ़ियों और आने वाली शताब्दियों के लिए नए भारत की सुदृढ़ नींव बनकर अमर रहेंगे.
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