केंद्र सरकार के कृषि कानूनों (Farm laws) के खिलाफ किसान आंदोलन (Farmers Protest) का शुक्रवार को एक महीने पूरा हो गया. आंदोलन के अग्रिम मोर्चे पर भले पुरुष ज्यादा सक्रिय नजर आते हों, लेकिन महिलाओं (Women Farmers) ने पर्दे के पीछे पूरा मोर्चा संभाल रखा है. आंदोलन चलाने में महिलाएं बराबर योगदान दे रही हैं. लंगर पकाने से लेकर मंच से भाषण देने और सुनने में महिला किसान पुरूष किसानों से ज़्यादा भागीदारी निभा रही हैं
सिंघू बार्डर (Singhu Border) पर हज़ारों किसानों का लंगर पकाने से लेकर महिला किसान गंदगी तक साफ़ कर रही हैं. पटियाला के तरीबैं गांव से आईं 41 साल की कुलविंदर कौर हमसे बात करते करते भावुक हो जाती हैं. चार साल पहले पति को खोने वाली कुलविंदर गांव में 4 बीघे ज़मीन पर खेती करती हैं और इकलौते लड़के को पढ़ाती हैं. इस साल फ़सल काटी और बेंच कर जो पैसा मिला उसे लेकर यहां सिंघू आ पहुंची हैं. कुलविंदर कौर, कहती हैं कि हमें थकान नहीं होती. गांव में भी काम करते हैं वैसे यहां भी कर रहे हैं.
मालदीव में हनीमून का इरादा छोड़ सेवा में जुटीं अमनदीप
30 साल की अमनदीप और तरसेम सिंह की शादी अभी 2 महीने पहले हुई थी,हनीमून जाने के बजाय अमनदीप सिंघू बार्डर पर अपने पति के साथ सुबह से शाम तक झाड़ू लगाती हैं ,पत्तल उठाती है,नालियां साफ़ करती हैं, पेशे से अमनदीप यूरोप के साइप्रस मे नर्स हैं. अमनदीप के मुताबिक, हम यहीं सफ़ाई करते हैं, फिर शाम को लंगर में सेवा करते हैं रात में सोने जाते हैं तो बड़ा सुकून आता है. बुज़ुर्ग महिला किसानों का जज़्बा तो और भी है.