यूपी के सीतापुर से ग्राउंड रिपोर्ट : आवारा मवेशियों से परेशान किसान, क्या यह चुनावी मुद्दा है?

उत्तर प्रदेश के सीतापुर में आवारा मवेशियों से फसलों को बचाने के लिए किसानों को अपनी रातें खेतों में गुजारनी पड़ रहीं

विज्ञापन
Read Time: 12 mins
प्रतीकात्मक फोटो.
नई दिल्ली:

गौ शालाएं बनाने पर 500 करोड़ रुपये खर्च करने के बावजूद उत्तर प्रदेश के किसान आवारा मवेशियों से परेशान हैं. उन्हें आवारा मवेशियों से फसलों को बचाने के लिए अपनी रातें गेंहू के खेतों में गुजारनी पड़ रही हैं. राज्य में गौशालाओं की हालत खराब है. यूपी के विधानसभा चुनाव में आवारा मवेशी क्या राजनीतिक मुद्दा है? एनडीटीवी ने सीतापुर में यह जानने की कोशिश की. 

सीतापुर में रउसा ब्लॉक के भर्तापुर गांव के ग्रामीण भोले हमें 15 दिन पहले बनी गौशाला दिखाने ले गए. आवारा मवेशियों की समस्या के चलते ही भारत-पाकिस्तान के बाद शायद सबसे ज्यादा बाड़बंदी अब खेतों की हो रही है. चुनाव नजदीक है, लिहाजा गौशाला बनाने की जल्दबाजी में एक तालाब में ही गौशाला बना दी गई है. ठंड के चलते जब मवेशी बीमार पड़ने लगे तब ग्रामीणों ने ही उनको भगा दिया. सोचिए भारत का किसान कितना दयालु है जो आवारा मवेशी उनके खेत बरबाद कर रहे थे जब इस गौशाला में मरने लगे तो उन्होंने वहां से मवेशियों को भगा दिया कि चलो फसल बरबाद हो जाए, लेकिन गाय या अवारा मवेशी न मरने पाए.

एक ग्रामीण ने कहा, हम लोगों ने सोचा चलो गाय को छोड़ो, फसल खाए तो खाए. आप सोचिए इसमें गाय रुक सकती है? इतनी ठंड में पानी भरा है यहां गाय बैठ सकती है? देखिए कितना चारा खिलाया गया. हमने देखा गाय मर जाएगी. एक अन्य ग्रामीण ने कहा, नेता आएंगे तो दिखाएंगे कि ये गांव में कैसी गौशाला बनाई हैं. नेताओं को दिखाएंगे, वे चाहे ज्ञान तिवारी हों या रिमझिम भैया हों.

यह हाल सिर्फ भर्तापुर  गांव का ही नहीं है, चहलारी घाट के पास भी हमें गौशाला दिखी. वहां केवल कुछ बांस लगाकर गौशाला के नाम पर खानापूर्ति की जा रही है. एक ग्रामीण ने कहा कि चार बीघा गेंहू हमारा चर गए हैं. रात-रात भर खेत में ही बीत रहा है, क्या करें. ऐसी ही गौशाला बनी है. एक अन्य ग्रामीण ने कहा, नेता से कहो इ सब तो वो रपटाए जाओ, मारे जाओ, लेकिन कहीं कोई गौशाला नहीं है.

दिन के उजाले में सड़कों पर घूमते और बैठे इन मवेशियों की समस्या असल में रात से शुरू होती है. मंगलवार को रात में सीतापुर के महमदापुर गांव में अवारा मवेशियों को भगाने के लिए ग्रामीणों को भी समूह में इस कंपाने वाली ठंड में निकलना पड़ा. गांव के एक व्यक्ति ने कहा, रोज का यही काम है. 12 से  1 बजे रात तक हम यही करते हैं. 200 जानवर खेतों में घुसते हैं इसलिए हम लोग भी इकट्ठे होकर भगाते हैं.

इस जमीनी हकीकत से इतर इश्तहार और घोषणाओं पर नजर डालें तो ट्विटर, फेसबुक और मीडिया में गाय के साथ फोटो खिंचवाने  और गौशालाओं के उदघाटनों की तमाम फोटो ओर खबरें आपको मुख्यमंत्री से लेकर सांसदों तक की मिल जाएंगी. 2017 में खबर छपी कि हर जिले में बनेगी गौशाला. 2019 में खबर छपी कि गाय सड़कों पर दिखी तो शहर DM-SSP नापेंगे. अगस्त 2021 में खबर छपी कि गौ आश्रय स्थल को लेकर योगी सख्त. 15 नवंबर 2021 को खबर छपी कि गौ एंबुलेंस की शुरुआत, गाय पालने वालों को 1500 रुपये महीना मिलेगा. 2022 में खबर छपी कि हर पंचायत में नई गौशाला खुलेगी.

Advertisement

इतनी घोषणाओं और सख्ती की खबरों के बीच किसान इस समस्या से सालों से जूझ रहे हैं लेकिन इस बड़ी समस्या, 11 लाख से ज्यादा आवारा पशुओं की बात करता शायद ही कोई नेता मिले.

Featured Video Of The Day
Syed Suhail | Bihar Election 2025: Muslim Vote Bank पर Tejashwi Vs Owaisi में टकराव | Bihar Election
Topics mentioned in this article