नगालैंड सैन्य ऑपरेशन में चूक, हत्या के मामले जैसा, बोले सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त जज

जस्टिस लोकुर सुप्रीम कोर्ट की उस बेंच का हिस्सा थे, जिसने 2017 में सीबीआई को मणिपुर में सेना और पुलिस द्वारा एक्स्ट्रा ज्यूडिशियल हत्याओं की जांच का आदेश दिया था, जब वहां अफास्पा लागू था.

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नई दिल्ली:

नगालैंड सैन्य ऑपरेशन (Nagaland Army Operation) में हुई चूक के मामले में सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त जज जस्टिस मदन लोकुर (Justice Madan Lokur)  ने अफास्पा के दोषपूर्ण ढंग से प्रयोग के मुद्दे को रेखांकित किया है. अफास्पा सशस्त्र बलों को कहीं भी सैन्य ऑपरेशन की छूट देता है और किसी को भी बिना वारंट गिरफ्तारी की आजादी देता है. सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस लोकुर ने कहा कि आर्म्ड फोर्सेस (स्पेशल पावर्स) प्रोटेक्शन ऐक्ट (AFSPA) का मतलब यह नहीं है कि सुरक्षा बल कहीं भी जाकर किसी की हत्या कर दें.

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इस मामले में 14 ग्रामीणों और एक जवान की मौत हो चुकी है. नगालैंड (Nagaland)  के मोन जिले में हुए इस सैन्य ऑपरेशन के बाद से तनाव व्याप्त है. अफास्पा सुरक्षाबलों को सभी तरह की कानूनी कार्रवाई से छूट भी प्रदान करता है, बशर्ते अगर केंद्र सरकार उसके लिए मंजूरी प्रदान करे. नगालैंड हिंसा और हत्या के संदर्भ में चिंता जताई जा रही है कि केंद्र सरकार सेना की एलीट पैरा स्पेशल फोर्सेस को नगालैंड पुलिस की कानूनी कार्रवाई से बचाने के लिए अफास्पा का सहारा ले सकती है.

नगालैंड में ऑपरेशन का जिक्र करते हुए जस्टिस लोकुर ने कहा, ''सशस्त्र बल प्रोऐक्टिव होकर वो किया जो वो करते हैं. ऐसे में यह निश्चित तौर पर हत्या के उद्देश्य को पूर्ण करता है... जांच के आधार पर इसे शायद 'हत्या का इरादा' कहा जा सकता है." जस्टिस लोकुर सुप्रीम कोर्ट की उस बेंच का हिस्सा थे, जिसने 2017 में सीबीआई को मणिपुर में सेना और पुलिस द्वारा एक्स्ट्रा ज्यूडिशियल हत्याओं की जांच का आदेश दिया था, जब वहां अफास्पा लागू था.

जस्टिस लोकुर ने कहा, ''मुझे नहीं पता कि नगालैंड पुलिस इस घटना की कैसे जांच करेगी. उन्होंने कहा, प्रसिद्ध हस्तियों द्वारा इस मामले में स्वतंत्र जांच होनी चाहिए. उन पर जांच की जिम्मेदारी होनी चाहिए, क्योंकि पर्याप्त संभावनाएं हैं कि सशस्त्र बल घटना पर लीपापोती करने की कोशिश करें." 

नगालैंड पुलिस की प्रारंभिक रिपोर्ट के अनुसार, ग्रामीणों का एक समूह शनिवार को गोलियों की आवाज सुनने के बाद मुठभेड़ स्थल के पास इकट्ठा हुआ. उन्होंने कथित तौर पर पाया कि 21 पैरा स्पेशल फोर्सेस के जवान लाशों को तारपीन शीट में लपेटने की कोशिश कर रहे हैं और उन्हें अपने बेस कैंप में ले जा रहे हैं.

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हालांकि सेना ने इस घटना को छिपाने की कोशिशों को गलत बताया है. सूत्रों ने कहा कि उनकी योजना लाशों को पुलिस स्टेशन ले जाने की थी. उनका इरादा लाशों को छिपाने या कहीं ले जाकर नष्ट करने का नहीं था. 

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