भारतीय छात्र हरजोत सिंह को ठीक होने में लगेंगे डेढ़ साल, यूक्रेन में लगी थी 5 गोलियां

हरजोत ने सरकार को धन्यवाद देते हुए कहा कि मेरा अनुरोध बस इतना है कि मैं साल डेढ़ साल तक अपने से कुछ नहीं कर सकता. वित्तीय हालत भी ठीक नहीं है. पिता भी 75 साल के हैं, कोई कमाने वाला नहीं है. आगे का जो भी इलाज है उसमें सरकार मदद करे.

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नई दिल्ली:

यूक्रेन में 27 फरवरी को गोली लगने के बाद पहले कीव और फिर दिल्ली में सेना के अस्पताल में भर्ती रहने के बाद हरजोत सिंह अपने घर वापस लौट आए हैं. दरअसल, यूक्रेन में हरजोत को पांच गोलियां लगी थी. उन्हें पूरी तरह से ठीक होने में एक से डेढ़ साल लगेंगे. एनडीटीवी से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि अब हालत पहले से बेहतर है. अच्छा महसूस कर रहा हूं. जो मेरी वहां से यहां तक की यात्रा थी, वह बहुत मुश्किल थी. 

हरजोत सिंह ने बताया कि उस वक्त हर कोई जान बचाने की कोशिश कर रहा था. मैं भी बचाने की कोशिश कर रहा था. मैं भी वहां से निकला और मेट्रो में चढ़ना चाह रहा था, पर वहां लोगों ने चढ़ने नहीं दिया. फिर हमारे पास कोई दूसरा विकल्प नहीं था. हमने प्राइवेट टैक्सी हायर की. वह 3 हजार डॉलर की मांग कर रहा था. हमने 1000 डॉलर में टैक्सी बुक की. तीन चेक प्वाइंट क्लियर किए, लेकिन जब आगे पहुंचे तो उन्होंने (सुरक्षाकर्मियों) वापस भेज दिया. हम लोग वापस लौटे तो जैसे ही हमने शहर के अंदर प्रवेश किया तो फायरिंग शुरू हो गई. पहली गोली मेरी छाती को छूते हुए निकल गई, अपनी जान बचाने के लिए हम गाड़ी से बाहर निकले. लगातार फायरिंग हो रही थी. कौन फायरिंग कर रहे थे, मुझे भी नहीं पता. वहां पर जल्दी शाम हो जाती है. ऊपर से बर्फबारी हो रही थी. पता नहीं किसने गोलाबारी की. लेकिन 7 से 8 लोग थे.

उन्होंने बताया कि दूसरी गोली मेरे पैर में लगी, जो पैर को चीरते हुए बाहर निकल गई. तीसरी गोली दूसरे पैर में लगी. अब मुझे पैर के निचले हिस्से को छूने पर कुछ महसूस नहीं हो रहा. दो गोली मेरे हाथ में लगी थी. अब हाथ में कोई मूवमेंट नहीं हो रही है. हालत पहले की तुलना में काफी बढ़िया है. हालांकि पहले मैं अकेला था, लेकिन अब परिवार के साथ हूं. 27 फरवरी को मुझे गोली लगी थी और दो मार्च को मुझे होश आया. जिसके बाद फोन दिया गया और एंबेसी से संपर्क करने के लिए कॉल की, लेकिन कोई पॉजिटिव रिस्पांस नहीं मिला. फिर मैं एनडीटीवी से कनेक्ट हुआ, उनकी सपोर्ट से मेरी आवाज आगे बढ़ी. इसके बाद एंबेसी से मेरे पास कॉल आई और फिर एंबेसी की कार में मुझे लेविव लेकर आया गया और वहां से पोलैंड शिफ्ट किया गया.

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छात्र ने बताया कि पोलैंड से आगे जो सेना का जहाज था, उससे मैं भारत वापस लौट सका हूं. भारत सरकार की सहायता से मुझे सेना के अस्पताल में एडमिट किया गया था, जहां मेरा पूरा ट्रीटमेंट हुआ. छाती से लेकर पैर तक का ऑपरेशन वहां हुआ है. मुझे यही बताया गया था कि पूरी बॉडी रिकवर होने में एक साल से डेढ़ साल लग सकते हैं. मेरा दाया हाथ काम नहीं कर रहा है, इसको ठीक होने में करीब डेढ़ साल लगेगा. 

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उन्होंने बताया कि जब पहली गोली लगी तो मैंने खुद को कंट्रोल किया. बहुत दर्द हो रहा था, छाती में दर्द हो रहा था और सांस नहीं ले पा रहा था. मेरे मन में आया कि एक पल के लिए मर जाऊं. जैसे मैं खड़ा हुआ, गोली लगने के कारण तुरंत नीचे गिर गया. मैं इतना तड़पा था कि बता नहीं सकता हूं. लेकिन उस वक्त मेरी उम्मीद जगी. मैंने खुद को हौंसला दिया कि अब नहीं मारूंगा. मेरे पास वाहे गुरु और फैमिली का सपोर्ट था, उनकी दुआ ही थीं कि मैं वापस लौट सका और यहां पर हूं. 

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यूक्रेन के अस्पताल का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि वहां के हालात काफी बुरे हैं. लगातार चेतावनी जारी होती रहती है. शाम 5 बजे के बाद अस्पताल में भी कोई लाइट ऑन नहीं होती है. रात को 2:03 बजे फायरिंग होना वहां आम था. मैंने अपनी आंखों के सामने देखा है कि सेना के ट्रक के ऊपर बम गिर रहे थे और लोगों के चित्थड़े उड़ रहे थे.

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हरजोत ने सरकार को धन्यवाद देते हुए कहा कि मेरा अनुरोध बस इतना है कि मैं साल डेढ़ साल तक अपने से कुछ नहीं कर सकता. वित्तीय हालत भी ठीक नहीं है. पिता भी 75 साल के हैं, कोई कमाने वाला नहीं है. आगे का जो भी इलाज है उसमें सरकार मदद करे. थैरेपी के लिए मदद करें और साथ ही जो कोई भी मदद करना चाहते हैं, प्लीज मदद करें. ताकि मैं अपने पैरों में खड़ा हो सकूं और खुद को संभाल सकूं. 

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