'यह मुश्किल लड़ाई थी लेकिन हमने अच्छे तरीके से लड़ी' : COVID-19 पर केरल की पूर्व स्वास्थ्य मंत्री

शैलजा ने कहा कि इस बीमारी को फैलने से रोकने के लिए केंद्र द्वारा दिशा निर्देश जारी किए जाने से कई दिन पहले ही राज्य ने महामारी को फैलने से रोकने के लिए अपनी तैयारियां शुरू कर दी थीं.

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तिरुवनन्तपुरम:

देश में केरल में कोविड-19 का पहला मामला पाए जाने के तकरीबन दो साल बाद शैलजा ने कहा कि 30 जनवरी 2020 की रात स्वास्थ्य मंत्री के तौर पर उनके लिए बहुत महत्वपूर्ण थी. शैलजा को केरल में इस महामारी से प्रभावी तौर से निपटने के अभियान की अगुवाई करने के लिए वैश्विक स्तर पर सराहा गया.  उन्होंने याद किया कि त्रिशूर पहुंचने के लिए अंतिम मिनट में हवाई टिकट की व्यवस्था करना और वहां डॉक्टरों तथा स्वास्थ्य अधिकारियों का मनोबल बढ़ाने के लिए आधी रात को आपात बैठक बुलाने से लेकर मीडिया को संक्रमण के पहले मामले की जानकारी देने तक पूरा काम काफी मुश्किल रहा.

शैलजा ने एक साक्षात्कार में ‘पीटीआई-भाषा' से कहा, ‘‘निपाह वायरस फैलना असल में हम सभी के लिए आंखें खोलने वाला था..उसके बाद हम भविष्य में ऐसे किसी भी संक्रामक रोग से निपटने के लिए मानसिक रूप से तैयार थे. मुझे लगता है कि हम रोग से निपटने की एक ऐसी अच्छी रणनीति बना सकते हैं और उसे लागू कर सकते हैं, जो पहले चरण में ही बीमारी को फैलने से रोकने में प्रभावी हो.''  शैलजा केरल में कोविड-19 के शुरुआती स्तर के दौरान उसके खिलाफ लड़ाई का प्रमुख चेहरा थीं. अब मट्टान्नूर निर्वाचन क्षेत्र से विधायक शैलजा ने कहा कि इस बीमारी को फैलने से रोकने के लिए केंद्र द्वारा दिशा निर्देश जारी किए जाने से कई दिन पहले ही राज्य ने महामारी को फैलने से रोकने के लिए अपनी तैयारियां शुरू कर दी थी. उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस के फैलने की खबर ऐसे वक्त में सामने आयी जब राज्य का स्वास्थ्य विभाग निपाह को फैलने से रोकने के लिए राज्य भर में सभी सरकारी तथा निजी अस्पतालों में ‘मॉक ड्रिल' चलाने की तैयारी कर रहा था.

उन्होंने कहा, ‘‘दूसरे लोग संभवत: मेरी खिल्ली उड़ाते, अगर मैं कहती कि हमने यहां एक नियंत्रण कक्ष भी खोल लिया है क्योंकि हमें पता चला कि वुहान इस महामारी का केंद्र है. क्योंकि हम जानते थे कि केरल के कई छात्र चीन के इस प्रांत में उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं.''  30 जनवरी 2020 की देर रात 12 बजकर 45 मिनट पर त्रिशूर पहुंचने के बाद शैलजा ने अपने मंत्रिमंडल के दो सहयोगियों और स्वास्थ्य सचिव के साथ सरकारी मेडिकल कॉलेज में जिले के डॉक्टरों तथा वरिष्ठ स्वास्थ्य अधिकारियों की आपात बैठक बुलाई.

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पूर्व मंत्री ने कहा, ‘‘इसके बाद आने वाले दिनों और हफ्तों में अनगिनत बैठकें हुईं, कई योजनाएं बनायी गईं और संक्रमण को फैलने से रोकने के प्रयास किए गए. यह सच में मुश्किल लड़ाई थी लेकिन हमने अच्छी योजना और सामूहिक प्रयास से इसका सामना किया.''  उन्होंने कहा कि शुरुआती चरण में ही सभी तालुक और जिला अस्पतालों को कोविड-19 की किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए पृथक केंद्रों में पर्याप्त संख्या में बिस्तरों को तैयार रखने और मेडिकल कॉलेजों में 100 बिस्तर तैयार रखने के निर्देश दिए गए. पीपीई किट्स खरीदने और उनका पर्याप्त भंडार रखने का फैसला लिया गया और तुरंत ही सुरक्षात्मक किट पहनने का प्रशिक्षण दिया गया.

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बीमारी के मनोवैज्ञानिक असर पर शैलजा ने कहा कि कोविड की पहली मरीज वुहान से आने वाली महिला को जब यह पता चला कि वह बीमारी के संपर्क में आ गयी है तो वह बहुत शांत और साहसी थी. पूर्व स्वास्थ्य मंत्री ने कहा, ‘‘चूंकि वह मेडिकल की छात्रा थी तो वह बीमारी के बारे में जानती थी. लेकिन कुछ ऐसे लोग थे जो अनिवार्य रूप से पृथक रहने के कारण काफी परेशान हुए.'' उन्होंने कहा, ‘‘संक्रमितों का पता लगाना, उन्हें पृथक करना, जांच करना और इलाज करना हमारा मंत्र था.'' वैश्विक मीडिया ने उनके सक्षम नेतृत्व, संकट से प्रभावी रूप से निपटने और पहली लहर से निपटने के वास्ते समय रहते कदम उठाने के लिए ‘‘रॉकस्टार स्वास्थ्य मंत्री'' के तौर पर उनकी सराहना की. शैलजा को मौजूदा वामपंथी सरकार के मंत्रिमंडल से बाहर रखे जाने की व्यापक पैमाने पर आलोचना की गयी.

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(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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