सीबीआई ने भ्रष्टाचार के 40% कम केस दर्ज किए, भ्रष्टाचार रोधी कानून में बदलाव के बाद गिरावट

वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि भ्रष्टाचार रोधी कानून की धारा 17 ए जांच का असर पड़ा है

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नई दिल्ली:

केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI)  द्वारा दर्ज भ्रष्टाचार के केस दर्ज करने में 40 फीसदी की कमी आई है. भ्रष्टाचार रोधी कानून में बदलाव के बाद यह गिरावट देखी गई है.

केंद्रीय सतर्कता आय़ोग के आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2019 में केंद्रीय जांच एजेंसी (सीबीआई) द्वारा दर्ज भ्रष्टाचार के मामले 2017 के मुकाबले 40 फीसदी कम है. भ्रष्टाचार रोकथाम कानून (Prevention of Corruption Act) में बदलाव को जुलाई 2018 में मंजूरी मिली थी. अधिकारियों के अनुसार, प्रथमदृष्टया भ्रष्टाचार के मामलों में कमी अच्छा संकेत है, हालांकि भ्रष्टाचार से जुड़े कानून की धारा 17ए में बदलाव ध्यान देने योग्य है.

धारा 17ए के मुताबिक, भ्रष्टाचार रोकथाम कानून के तहत किसी कथित अपराध के लिए कोई भी पुलिस अधिकारी लोकसेवक से बिना मंजूरी पूछताछ और जांच नहीं कर पाएगा, अगर यह कथित अपराध उस लोकसेवक द्वारा आधिकारिक कामकाज के निर्वहन के दौरान लिए गए किसी फैसले या सिफारिश से जुड़ा हो. इसका तात्पर्य है कि किसी जांच एजेंसी के लिए किसी लोक सेवक के खिलाफ जांच शुरू करने के लिए सरकार से अनुमति लेनी होगी. हालांकि यह प्रावधान रिश्वतखोरी के मामले में लागू नहीं होगा, जहां किसी अधिकारी को रंगे हाथों घूस लेते गिरफ्तार किया गया हो.

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कम केस दर्ज किए गए
वर्ष 2019 में सीबीआई ने 710 केस पंजीकृत किए थे, इनमें 103 प्राथमिक जांच से जुड़े थे. इनमें से 396 भ्रष्टाचार के मामले थे, जो भ्रष्टाचार रोकथाम कानून के तहत दर्ज किए गए थे. वहीं 116 रिश्वतखोरी से जुड़े मामले थे, जिनमें धारा 17ए के तहत सरकार की मंजूरी की जरूरत नहीं होती. इस तरह से सीबीआई ने पिछले साल 280 भ्रष्टाचार के केस दर्ज किए, जो सरकार की अनुमति के बाद दर्ज किए गए.

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आंकड़े बना गवाह
जबकि वर्ष 2017 में सीबीआई ने कुल 1076 केस दर्ज किए थे, जिनमें 632 भ्रष्टाचार कानून से जुड़े थे. इनमें 167 सीधे तौर पर रिश्वतखोरी से संबंधित थे. लिहाजा 465 केस सीधे तौर पर भ्रष्टाचार के आऱोपों से जुड़े थे. इस तरह जांच एजेंसी द्वारा भ्रष्टाचार के दर्ज मामलों में 37 फीसदी कमी आई है. जबकि सरकार की मंजूरी लेकर दर्ज किए जाने वाले ऐसे मामलों में 40 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है. वर्ष 2017 में 1142 लोक सेवक भ्रष्टाचार के मामलों में आरोपी बनाए गए, जो 2019 में घटकर 607 रह गए  हैं. इनमें भी 47 फीसदी कमी आई है.

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जांच अधिकारियों को करनी पड़ रही ज्यादा मेहनत
एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि कानून में बदलाव का जांच पर विपरीत असर पड़ा है. जांच अधिकारियों को अब ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है, क्योंकि बिना मंजूरी के प्राथमिक जांच तक शुरू नहीं की जा सकती. एक अन्य अधिकारी ने कहा कि मंजूरी लेने के कारण जांच की गोपनीयता नहीं रहती और इसमें काफी देरी होती है.सूत्रों ने एनडीटीवी को बताया कि सतर्कता और भ्रष्टाचार रोधी तीन दिन के राष्ट्रीय सम्मेलन का मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा उद्घाटन किया जाना है. सम्मेलन में इस मुद्दे पर चर्चा होगी.

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