कोरोना मरीजों को फ्री में अस्‍पताल पहुंचाने के लिए भोपाल के जावेद ने अपने ऑटो को बनाया 'एंबुलेंस'

तीन बच्‍चों केपिता जावेद ने अपनी पत्‍नी का सोने का नेकलेस बेच दिया और इससे मिली राशि को अपने ऑटो को 'एंबुलेंस' में बदलने में खर्च कर दिया. 

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भोपाल:

कोरोना महामारी के इस समय में बहुत से लोग निस्‍वार्थ भाव से लोगों की सेवा में जुटे हैं. मध्‍य प्रदेश की राजधानी भोपाल के 34 वर्षीय ऑटो रिक्‍शा ड्राइवर जावेद खान ने अपनी कमाई के 'तीन पहिया वाहन' को 24x7 फ्री एंबुलेंस में तब्‍दील करके इंसानियत की मिसाल पेश की है. अपने ऑटो रिक्‍शा में उन्‍होंने ऑक्‍सीजन सिलेंडर, हैंड सैनेटाइजर और पर्सनल प्रोटेक्‍शन इक्विपमेंट (PPE) किट और ऑक्‍सीमीटर की व्‍यवस्‍था भी कर रखी है. कोरोना महामारी के पहले जावेद, दूसरे ऑटो रिक्‍शा वालों की तरह ही थे लेकिन इस महामारी के दौरान उन्‍होंने मेडिकल मदद के लिए लोगों को संघर्ष करते हुए देखा. खासकर गरीब वर्ग को, जो कोविड से प्रभावित परिवार के सदस्‍यों को पीठ पर लादकर अस्‍पताल पहुंचाने के लिए इसलिए मजबूर था क्‍योंकि एंबुलेस का खर्च वहन नहीं कर सकता. बस, यहीं से जावेद की जिंदगी का मकसद बदल गया. तीन बच्‍चों के इस पिता ने अपनी पत्‍नी का सोने का नेकलेस बेच दिया और इससे मिली राशि को अपने ऑटो को 'एंबुलेंस' में बदलने में खर्च कर दिया. 

जावेद ने बताया, 'मैंने सोशल मीडिया और न्‍यूज चैनल पर देखा कि एंबुलेस की कमी के कारण लोगों को किस तरह से अस्‍पताल पहुंचाया जा रहा है. ऐसे में मैंने सोचा कि मानवता की खातिर आगे आना चाहिए. मैंने अपनी पत्‍नी का लॉकेट बेच दिया, इस राशि से सिलेंडर (ऑक्‍सीजन) का इंतजाम किया और ऑटो को एंबुलेंस में तब्‍दील कर दिया.' उन्‍होंने मरीजों को फ्री में अस्‍पताल पहुंचाना शुरू कर दिया. यह जानते हुए भी कि उन्‍हें अपने परिवार के भरण पोषण के अलावा अपने दो भाइयों की आर्थिक मदद भी करनी है. जावेद के ये दो भाई दिहाड़ी मजदूर थे लेकिन लॉकडाउन के कारण इनकी कमाई का जरिया खत्‍म हो गया है. 

जब जावेद का ऑटो, एंबुलेंस में तब्‍दील हो गया तो एक डॉक्‍टर ने उन्‍हें इस बारे में जानकारी दी कि जरूरी मेडिकल उपकरणों का इस्‍तेमाल किस तरह से करना है. एक दानदाता ने एक और ऑक्‍सीजन सिलेंडर तथा ऑक्‍सीमीटर खरीदने में उनकी मदद की. जावेद की ऑटो-एंबुलेंस सेवा का लाभ लेने वाले एक व्‍यक्ति जबीर खान कहते हैं कि जावेद ने सेवा के लिए उनसे कोई भी राशि लेने से इनकार कर दिया. जबीर के अनुसार, 'एंबुलेंस व्‍यस्‍त थी और आने में समय लग रहा था. इसी दौरान मैंने जावेद को फोन लगाया, वह कुछ ही मिनट में आए गए. यह एंबुलेंस की तरह ही है, इसमें ऑक्‍सीजन सिलेंडर से ऑक्‍सीमीटर तक सब कुछ है. मैं कह सकता हूं इंसानियत अभी जिंदा है.'

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लॉटोलैंड आज का सितारा श्रृंखला में हम साधारण नागरिकों और उनके असाधारण कार्यों को दिखाते हैं. लॉटोलैंड, जावेद खान को प्रोत्साहन के तौर पर 1 लाख रुपये के नकद देगा.

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