किसानों के 30 संगठनों की बैठक, SC में दूसरे दिन सुनवाई के मद्देनजर तैयार कर रहे प्लान ऑफ ऐक्शन : 10 बातें

किसानों के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में आज लगातार दूसरे दिन सुनवाई होनी है. कल कोर्ट ने मुद्दा सुलझाने के लिए जिस कमेटी के गठन की बात कही थी, आज उसपर स्थिति साफ होने की संभावना है.

Advertisement
Read Time: 6 mins
नई दिल्ली:

तीन नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग पर अड़े किसानों के 30 संगठनों की आज बैठक होने वाली है. इस बैठक में सन्त राम सिंह की आत्महत्या के मुद्दे पर किसान चर्चा करेंगे. इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट में चल रहे मामले को लेकर भी रणनीति तैयार करकने पर चर्चा होगी. किसानों का कहना है कि लीगल नोटिस मिलने के बाद सुप्रीम कोर्ट में अपने पक्ष को रखने पर प्लान ऑफ एक्शन तैयार करेंगे.

  1. सुप्रीम कोर्ट में आज इस मसले पर लगातार दूसरे दिन सुनवाई होनी है. कल कोर्ट ने मुद्दा सुलझाने के लिए जिस कमेटी के गठन की बात कही थी, आज उसपर स्थिति साफ होने की संभावना है. दूसरी ओर दिल्ली के बॉर्डर्स पर कड़ाके की ठंड के बावजूद किसान विरोध-प्रदर्शन पर बैठे हैं. एक दिन पहले कुंडली सीमा पर सिख संत राम सिंह की खुदकुशी के बाद सियासी पारा चढ़ा हुआ है.
  2. प्रख्यात सामाजिक कार्यकर्ता पी वी राजगोपाल ने केन्द्र सरकार और नए कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलन कर रहे किसानों के बीच मध्यस्थता का प्रस्ताव पेश किया है और कहा है कि वह किसानों के समर्थन में मुरैना से दिल्ली के लिए बृहस्पतिवार को पदयात्रा शुरू करेंगे. नये कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग पर अड़े हजारों किसान पिछले 21 दिनों से दिल्ली के कई बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे हैं.  राजगोपाल एकता परिषद के प्रमुख हैं.
  3. राजगोपाल ने ग्वालियर में मीडिया से बात करते हुए कहा, ‘‘हालांकि, किसी ने मुझे मध्यस्थता के लिए कहा नहीं है, लेकिन पिछले 20 दिन से किसान ठंड में बैठे हैं और इस मामले में संवाद शुरू करने की जरूरत है.''उन्होंने कहा कि वह कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर के संसदीय क्षेत्र मुरैना से एक हजार किसानों को लेकर 17 दिसंबर को पैदल दिल्ली की ओर रवाना होंगे. राजगोपाल ने कहा कि पिछले 20 दिन में कोई समाधान नहीं निकला है. देश के किसानों की बात सरकार को सुननी चाहिए और इसमें वह मदद कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि हो सकता है कि सरकार और किसान दोनों ही उनकी बात नहीं सुनें, लेकिन किसानों की समस्याएं हैं और उनके साथ बात जरुर होनी चाहिए.
  4. उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को संकेत दिया कि कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली की सीमाओं पर धरना दे रहे किसानों और सरकार के बीच व्याप्त गतिरोध दूर करने के लिये वह एक समिति गठित कर सकता है क्योंकि ‘‘यह जल्द ही एक राष्ट्रीय मुद्दा बन सकता है.'' उधर, सरकार की ओर से बातचीत का नेतृत्व कर रहे केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि दिल्ली के बॉर्डर पर जारी आंदोलन सिर्फ एक राज्य तक सीमित है और पंजाब के किसानों को विपक्ष ‘गुमराह' कर रहा है. हालांकि, उन्होंने आशा जतायी कि इस गतिरोध का जल्दी ही समाधान निकलेगा.
  5. प्रदर्शन कर रहे किसान यूनियनों का कहना है कि नए कृषि कानूनों पर समझौते के लिए नए पैनल का गठन कोई समाधान नहीं है, क्योंकि उनकी मांग कानूनों को पूरी तरह वापस लेने की है. उन्होंने यह भी कहा कि संसद द्वारा कानून बनाए जाने से पहले सरकार को किसानों और अन्य की समिति बनानी चाहिए थी. आंदोलन में शामिल 40 किसान संगठनों में से एक राष्ट्रीय किसान मजदूर सभा के नेता अभिमन्यु कोहर ने कहा कि उन्होंने हाल ही में ऐसे पैनल के गठन के सरकार की पेशकश को ठुकराया है.
  6. कर्ज की वजह से आत्महत्या करने वाले पंजाब के कई किसानों की पत्नी, बहन और मांए भी बुधवार को दिल्ली के टिकरी बॉर्डर चल रहे किसानों के आंदोलन में शामिल हुईं. उल्लेखनीय है कि केंद्र के तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर पंजाब, हरियाणा और अन्य स्थानों के हजारों किसान करीब तीन हफ्ते से सिंघू और टिकरी सहित दिल्ली के विभिन्न सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं. दिल्ली सीमा के नजदीक प्रदर्शन स्थल पर बुधवार को महिलाएं घर के उन पुरुष सदस्यों की तस्वीर के साथ पहुंची जिन्होंने कर्ज के जाल में फंसने की वजह से आत्महत्या कर ली थी
  7. Advertisement
  8. स्वराज इंडिया के नेता योगेन्द्र यादव ने ट्विटर पर कहा है, ‘‘उच्चतम न्यायालय तीनों कृषि कानूनों की संवैधानिकता तय कर सकता है और उसे ऐसा करना चाहिए. लेकिन इन कानूनों की व्यवहार्यता और वांछनीयता को न्यायपालिका तय नहीं कर सकती है. यह किसानों और उनके निर्वाचित नेताओं के बीच की बात है. न्यायालय की निगरानी में वार्ता गलत रास्ता होगा.''
  9. स्वराज इंडिया भी किसान आंदोलन के लिए गठित समूह संयुक्त किसान मोर्चा में शामिल है और यादव फिलहाल अलवर में राजस्थान सीमा पर धरने पर बैठे हैं.
  10. Advertisement
  11. इंदौर में केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने आरोप लगाया कि नये कृषि कानूनों को लेकर जारी किसान आंदोलन के पीछे उस भारत विरोधी और सामंतवादी ताकत का हाथ है जो भारतीयता और आत्मनिर्भर भारत की अवधारणाओं के भी खिलाफ है. प्रधान ने किसान आंदोलन के औचित्य पर सवाल खड़ा करते हुए कहा, "कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर इस बात की लिखित गारंटी देने को राजी हो चुके हैं कि देश में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर फसल खरीदी की व्यवस्था जारी रहेगी, फिर किसान आंदोलन आखिर किस मुद्दे पर हो रहा है?"
  12. किसान आंदोलन के बीच सिखों किसानों के गुस्से को कमतर करने के लिए केंद्र सरकार ने एक बुकलेट जारी किया है. इसमें मोदी सरकार का सिखों से कितना गहरा नाता रहा है, ये बताने की कोशिश की गई है. बुकलेट का नाम है- 'पीएम मोदी और उनकी सरकार का सिखों के साथ विशेष संबंध.' 
  13. Advertisement
Featured Video Of The Day
Chirag Paswan Exclusive: जात-पात, धर्म और मजहब में यकीन नहीं रखता | NDTV Yuva Conclave