व्लादिमीर पुतिन आखिर कहाँ हैं? वैगनर विद्रोह के बाद रूस शांत क्यों है?

व्लादिमीर पुतिन के लगभग एक चौथाई सदी के शासन के लिए सबसे बड़ा खतरा बने वैगनर ग्रुप के विद्रोह का नाटकीय अंत हो गया है. लेकिन इसके बाद से रूस में एक अजीब शांति छाई हुई है. ऐसा इसलिए है क्योंकि जिस शख्स ने विद्रोह का नेतृत्व किया वह अस्वाभाविक तौर पर शांत है दूसरी तरफ विद्रोह को 'देशद्रोह' करार देने और कठोर दंड देने की धमकी देने के बाद से खुद राष्ट्रपति पुतिन को सार्वजनिक तौर पर नहीं देखा गया है

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व्लादिमीर पुतिन के लगभग एक चौथाई सदी के शासन के लिए सबसे बड़ा खतरा बने वैगनर ग्रुप  के विद्रोह का नाटकीय अंत हो गया है. लेकिन इसके बाद से रूस में एक अजीब शांति छाई हुई है. ऐसा इसलिए है क्योंकि जिस शख्स ने विद्रोह का नेतृत्व किया वह अस्वाभाविक तौर पर शांत है दूसरी तरफ विद्रोह को 'देशद्रोह' करार देने और कठोर दंड देने की धमकी देने के बाद से खुद राष्ट्रपति पुतिन को सार्वजनिक तौर पर नहीं देखा गया है. जानकार बताते हैं बीते 25 सालों में ऐसा कभी नहीं देखा गया. 

ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक 70 साल के व्लादिमीर पुतिन ने अपने सहयोगी बेलारूसी राष्ट्रपति अलेक्जेंडर लुकाशेंको द्वारा कराए गए उस समझौते पर भी अब तक कोई टिप्पणी नहीं की है, जिससे इस विद्रोह का खत्म किया गया है.हालांकि  क्रेमलिन की ओर से कहा गया है कि राष्ट्रपति पुतिन ने वैगनर नेता को बेलारूस की यात्रा करने देने और उनके और विद्रोह में शामिल विद्रोहियों के खिलाफ आपराधिक आरोप हटाने की गारंटी दी है. रूसी सरकार के पूर्व सलाहकार किरिल रोगोव ने कहा है कि पुतिन को रियायतें देनी पड़ीं और वास्तव में आत्मसमर्पण करना पड़ा. पुतिन को अपने पूर्व सहयोगी प्रिगोझिन को हराने के बजाय उनके साथ बातचीत करनी पड़ी और सुरक्षा की गारंटी देनी पड़ी. ये पुतिन की कमजोरी को दिखाता है. इसको ऐसे भी समझा जा सकता है कि पहले पुतिन किसी को भी सार्वजनिक तौर पर अल्टीमेटम देने के बाद किसी भी हालत में उससे बात तो नहीं ही करते थे. 

विद्रोही नेता प्रिगोझिन का ठिकाना अज्ञात है !

फिलहाल विद्रोही नेता प्रिगोझिन का ठिकाना अज्ञात है और उन्होंने टेलीग्राम पर एक ऑडियो संदेश में शनिवार देर रात रक्तपात से बचने के लिए अपनी सेना की वापसी की घोषणा करने के बाद से कोई टिप्पणी नहीं की है. सोशल मीडिया पर मौजूद वीडियो में दिखाया गया है कि जब दक्षिणी रूसी शहर रोस्तोव-ऑन-डॉन में एक सैन्य प्रतिष्ठान पर वैगनर ने विद्रोह के आरंभ में कब्जा कर लिया था, तो भीड़ हाथ हिला कर उनका स्वागत कर रही थी. उधर बेलारूस की सरकारी बेल्टा समाचार सेवा ने बताया कि राष्ट्रपति पुतिन ने शनिवार देर रात एक फोन कॉल में बातचीत आयोजित करने और समझौते पर पहुंचने के लिए लुकाशेंको को धन्यवाद दिया है. 

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मॉस्को एक्सचेंज में काम जारी रहेगा

रूस ने जल्द ही सामान्य स्थिति बहाल करने की कोशिश करने के लिए आपातकालीन प्रतिबंध हटाना शुरू कर दिया। रविवार को मॉस्को की ओर जाने वाले राजमार्गों पर जल्दबाजी में लगाए गए अवरोधों को हटा दिया गया, हालांकि अधिकारियों ने कहा कि राजधानी में सोमवार को भी छुट्टियां रहेंगी. हालांकि मॉस्को एक्सचेंज पर सोमवार को कारोबार सामान्य रूप से जारी रहेगा. 

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चीन और उत्तर कोरिया ने दिया समर्थन
 उधर चीन और उत्तर कोरिया ने कहा है कि रूस जल्द ही इस संकट से निजात पा जाएगा. रविवार को बीजिंग में रूसी उप विदेश मंत्री आंद्रे रुडेंको ने चीन के विदेश मंत्री से मुलाकात की. जिसमें दोनों देशों के साझा हितों की रक्षा करने पर सहमति बनी. रूसी विदेश मंत्रालय ने एक वेबसाइट के बयान में कहा, चीनी पक्ष ने देश में स्थिति को स्थिर करने के रूसी नेतृत्व के प्रयासों के लिए समर्थन जाहिर किया. उधर अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने रविवार को कहा कि वैगनर का अल्पकालिक विद्रोह "पुतिन के अधिकार के लिए एक सीधी चुनौती" है और रूसी प्राधिकरण में "वास्तविक दरारें दिखाता है. 

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वैगनर ग्रुप ने क्या किया था ?

दरअसल वैगनर ग्रुप के साथ तनाव शुक्रवार को उस समय चरम पर पहुंच गया जब ग्रुप के 62 साल के प्रमुख प्रिगोझिन ने दावा किया कि रूसी रक्षा मंत्री सर्गेई शोइगु उनके ग्रुप को खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं. इसके बाद प्रिगोझिन ने टेलीग्राम पर ऑडियो संदेश पोस्ट अपने लड़ाकों को मास्को की ओर कूच करने को कहा. कई लोग इस विद्रोह की तुलना ज़ार निकोलस द्वितीय के शासन के अंत और मिखाइल गोर्बाचेव के खिलाफ हुए सैन्य दुस्साहस से जोड़ कर देख रहे हैं. खुद राष्ट्रपति पुतिन ने टेलीविजन पर अपने संबोधन में इसकी तुलना प्रथम विश्व युद्ध के दौरान हुए रूस के विभाजन से की है. तब रूस में भयानक गृहयुद्ध हुआ था.  

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