टीम बाइडन में 130, पूरे अमेरिका में 4.1 मिलियन की आबादी, जानें USA में क्यों इतना अहम है भारतीय समुदाय

अमेरिकन कम्युनिटी सर्वे के डेटा के अनुसार भारतीय मूल के कम से कम 4.1 मिलियन लोग अमेरिका में रहते हैं, जिनमें अमेरिकी आबादी का 1.3 प्रतिशत शामिल है और मैक्सिकन अमेरिकियों के बाद अमेरिका में दूसरा सबसे बड़ा आप्रवासी समूह है.

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नई दिल्ली:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमेरिका दौरे को लेकर अमेरिका में रहने वाले भारतीय समुदाय के लोग बेहद उत्साहित हैं. लंबे समय के मेहनत के बाद भारतीय मूल के लोगों ने अमेरिका में अपनी राजनीतिक पकड़ को काफी मजबूत बना लिया है. गौरतलब है कि जो बाइडेन की सरकार भारत के प्रधानमंत्री का राजकीय स्वागत कर रही है. एशिया के लोगों के बीच, भारतीय-अमेरिकी मतदाताओं का हिस्सा सबसे अधिक है और राजनीतिक रूप से भी यह काफी सक्रिय है.

अमेरिकन कम्युनिटी सर्वे के डेटा का कहना है कि भारतीय मूल के कम से कम 4.1 मिलियन लोग अमेरिका में रहते हैं, जो अमेरिकी आबादी का 1.3 प्रतिशत है और मैक्सिकन अमेरिकियों के बाद अमेरिका में दूसरा सबसे बड़ा आप्रवासी समूह है.

पीएम मोदी का स्वागत करने के लिए उत्साहित हैं भारतीय लोग

प्रधानमंत्री मोदी की अमेरिका की पिछली यात्राओं के दौरान भारतीय समुदाय के बड़ी संख्या में लोग मैडिसन स्क्वायर और ह्यूस्टन पहुंचे थे. हालांकि इस बार समय की कमी के कारण भारतीय समुदाय के सदस्यों को प्रधानमंत्री के साथ बिताने के लिए सिर्फ एक घंटा का ही समय मिलेगा. 23 जून को, राजकीय दौरे पर अपनी आधिकारिक व्यस्तताओं को पूरा करने के तुरंत बाद और अपने मिस्र की यात्रा को शुरू करने से पहले. पीएम मोदी रीगन सेंटर, वाशिंगटन डीसी में 1,000 अमेरिकी भारतीयों की एक सभा को संबोधित करेंगे. 

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इंडियन अमेरिकन कम्युनिटी फाउंडेशन के अध्यक्ष ने क्या कहा?

इंडियन अमेरिकन कम्युनिटी फाउंडेशन के अध्यक्ष भरत बरई ने एनडीटीवी से बात करते हुए कहा है कि प्रधानमंत्री के पास संबोधन के लिए सिर्फ एक घंटे का समय होगा क्योंकि वह जल्द ही मिस्र के लिए रवाना होने वाले हैं. प्रधानमंत्री के कार्यक्रम में सिख समूह, दाउदी बोहरा समुदाय, महाराष्ट्र मंडलों, गुजराती समाज, डॉक्टरों के संघों, मोटल मालिकों के संघों, तेलुगु और तमिल समूहों के समुदाय के नेताओं और कई अन्य लोग इस कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे.

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शिकागो में होने वाली थी सभा

प्रधानमंत्री मोदी के कार्यक्रम में प्रसिद्ध गायिका मैरी मिलिगेन के राष्ट्रगान गाने की संभावना है, जबकि रिया पवार अमेरिकी गान गाएंगी. वास्तव में, भारतीय-अमेरिकी समुदाय समूह शिकागो में प्रधानमंत्री की मेजबानी करने की उम्मीद कर रहे थे और उन्होंने पहले ही तीन स्टेडियम बुक कर लिए थे. लेकिन, चूंकि राजकीय यात्रा दो दिनों के लिए निर्धारित थी और उसके तुरंत बाद पीएम मोदी की मिस्र की यात्रा थी. शिकागो में कार्यक्रम की योजना को रद्द कर दिया गया है. 

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कई राज्यों में भारतीय-अमेरिकी समुदाय की अच्छी आबादी है

पेंसिल्वेनिया, फ्लोरिडा और ओहियो जैसे कई प्रमुख राज्यों में भारतीय-अमेरिकी समुदाय की अच्छी खासी उपस्थिति है, जो राष्ट्रपति पद का फैसला करने के लिए महत्वपूर्ण माने जाते हैं. लगभग 1.8 मिलियन भारतीय अमेरिकी हैं, जिनके वोट एरिजोना और विस्कॉन्सिन जैसे राज्यों में महत्वपूर्ण हैं और चुनाव को एक या दूसरे तरीके से मदद कर सकते हैं.
राजनीतिक रूप से, भारतीय-अमेरिकियों का झुकाव डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर रहा है, लेकिन हाल के दिनों में रिपब्लिकन के समर्थन में भी लोगों को देखा गया है. 

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बाइडन प्रशासन में प्रमुख पदों पर हैं भारतीय

मौजूदा बाइडन प्रशासन में प्रमुख पदों पर भारतीय-अमेरिकियों का उच्च प्रतिनिधित्व देखने को मिल रहा है. पूरे प्रशासन में वरिष्ठ पदों पर 130 से अधिक भारतीय अमेरिकी हैं, जिनमें से कई उच्च रैंकिंग वाले व्हाइट हाउस में पदों पर सेवारत हैं, जिनमें पहले कभी अप्रवासियों का कब्जा नहीं हुआ करता था.  विशेषज्ञों का मानना ​​है कि कमला हैरिस का उपराष्ट्रपति के रूप में शपथ ग्रहण समुदाय के लिए एक ऐतिहासिक क्षण था. बताते चलें कि हैरिस की जड़ें भारत के  तमिलनाडु राज्य से जुड़ी हुई है.

अजय बंगा बने हैं विश्व बैंक के अध्यक्ष

हाल ही में, एक भारतीय-अमेरिकी अजय बंगा ने विश्व बैंक के अध्यक्ष की भूमिका ग्रहण की है. वो वैश्विक वित्तीय संस्थान का नेतृत्व करने वाले भारतीय मूल के पहले अमेरिकी हैं. राष्ट्रपति बाइडन ने ब्राउन यूनिवर्सिटी के बिहार में जन्मे आशीष झा को व्हाइट हाउस के कोविड-19 प्रयासों का समन्वयक बनाया है. 2010 के बाद लगभग 40 प्रतिशत भारतीय अप्रवासी अमेरिका पहुंचे और समुदाय ने अभी अपनी राजनीतिक ताकत दिखाना शुरू ही किया है. लुइसियाना के बॉबी जिंदल के बाद भारतीयों की राजनीतिक पकड़ तेजी से मजबूत हुई है.

सदन में भारतीय अमेरिकियों की संख्या तेजी से बढ़ी है 

पिछले अमेरिकी चुनाव में, वाशिंगटन की प्रमिला जयपाल, कैलिफोर्निया से रो खन्ना और इलिनोइस के राजा कृष्णमूर्ति चुने गए थे, सदन में भारतीय अमेरिकियों की संख्या तेजी से बढ़ी है.  फरवरी में, दक्षिण कैरोलिना के पूर्व गवर्नर और संयुक्त राष्ट्र की राजदूत, निक्की हेली ने घोषणा की कि वह 2024 में अमेरिकी राष्ट्रपति पद के चुनाव में उतरेगी. अपने अभियान में, उन्होंने भारतीय प्रवासियों की बेटी होने की बात कही है.

निक्की हेली के तुरंत बाद एक  उद्यमी, विवेक रामास्वामी ने घोषणा की कि वो भी 2024 के राष्ट्रपति चुनाव में उतरेंगे. 
भारतीय-अमेरिकी वोटों के लिए डेमोक्रेट्स और रिपब्लिकन के बीच तेजी से बढ़ती लड़ाई से पता चलता है कि भारतीय समुदाय कई अमेरिकी राज्यों में चुनावी रूप से महत्वपूर्ण होता जा रहा है.  साथ ही, एक उच्च कमाई वाला और शिक्षित अप्रवासी समूह होने के नाते भारतीय अमेरिकियों को राजनीतिक अभियानों के लिए संभावित दानदाताओं के तौर पर भी देखा जाता है.  रिपब्लिकन और डेमोक्रेट दोनों ही इस समुदाय को अपने साथ लाने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं. खासकर उन क्षेत्रों में जहां करीबी मुकाबले होने की संभावना है.

कई क्षेत्रों में अहम भूमिका में हैं भारतीय 

भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी से लेकर चिकित्सा शिक्षा तक कई क्षेत्रों में प्रमुख स्थान रखते हैं. समुदाय की आर्थिक ताकत को भी भी महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि यह देश का सबसे अमीर जातीय समूह है.  औसत घरेलू आय अमेरिका में औसत घरेलू आय से बहुत अधिक है. भारतीय-अमेरिकी समुदाय 2010 से दुनिया का सबसे बड़ा प्रवासी समूह रहा है, और नरेंद्र मोदी सरकार के लिए एक शक्तिशाली संसाधन है. यहां तक ​​कि राहुल गांधी जैसे विपक्षी नेताओं ने भी सक्रिय रूप से भारतीय-अमेरिकी समुदाय को कांग्रेस के लिए समर्थन जुटाने की अपील की है.

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