विदेश मंत्री जयशंकर ने वियतनाम के शीर्ष नेतृत्व के साथ प्रमुख क्षेत्रों में सहयोग पर की चर्चा

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने 'एक्स' पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘आज शाम वियतनाम के प्रधानमंत्री फाम मिन्ह चिन्ह से मुलाकात करके सम्मानित महसूस कर रहा हूं. उन्हें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ओर से शुभकामनाएं दीं. हमारे द्विपक्षीय संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए उनका मार्गदर्शन बेहद महत्वपूर्ण है. भारत-वियतनाम के बीच एक मजबूत साझेदारी स्थिर, सुरक्षित और समृद्ध हिंद-प्रशांत क्षेत्र में योगदान देती है.’’

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विदेश मंत्री एस जयशंकर (फाइल फोटो)

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने सोमवार को वियतनाम के प्रधानमंत्री फाम मिन्ह चिन्ह समेत शीर्ष नेतृत्व से मुलाकात कर दोनों देशों के बीच व्यापार, ऊर्जा, रक्षा और समुद्री सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा की. जयशंकर ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत के दृष्टिकोण को साझा करते हुए इस क्षेत्र में चीन के आक्रामक व्यवहार को लेकर भी चर्चा की.चार दिवसीय आधिकारिक यात्रा पर रविवार को वियतनाम पहुंचे जयशंकर ने प्रधानमंत्री फाम मिन्ह चीन्ह से मुलाकात कर उन्हें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ओर से शुभकामनाएं भी दीं.

जयशंकर ने 'एक्स' पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘आज शाम वियतनाम के प्रधानमंत्री फाम मिन्ह चिन्ह से मुलाकात करके सम्मानित महसूस कर रहा हूं. उन्हें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ओर से शुभकामनाएं दीं. हमारे द्विपक्षीय संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए उनका मार्गदर्शन बेहद महत्वपूर्ण है. भारत-वियतनाम के बीच एक मजबूत साझेदारी स्थिर, सुरक्षित और समृद्ध हिंद-प्रशांत क्षेत्र में योगदान देती है.'' इससे पहले, विदेश मंत्री जयशंकर ने वियतनाम के विदेश मंत्री बुई थान सोन से सोमवार को मुलाकात की और उन्होंने दोनों देशों के बीच व्यापार, ऊर्जा,रक्षा और समुद्र सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर चर्चा की.

दोनों ने क्षेत्र में चीन के आक्रामक बर्ताव के बीच हिंद-प्रशांत क्षेत्र पर भी चर्चा की. जयशंकर और वियतनाम के विदेश मंत्री ने भारत और वियतनाम के बीच राजनयिक संबंधों की स्थापना के 50 वर्ष पूरे होने के अवसर पर संयुक्त रूप से स्मारक डाक टिकट जारी किया. जयशंकर ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स' पर आपने पोस्ट में कहा,‘‘कलारीपट्टू और वोविनाम को दर्शाने वाले टिकट खेलों के प्रति हमारा साझा लगाव दिखाते हैं. साथ ही भारत और वियतनाम के बीच मजबूत सांस्कृतिक, सामाजिक और लोगों के बीच संबंधों का जश्न मनाते हैं.'' दोनों नेताओं ने हनोई में 18वीं भारत-वियतनाम संयुक्त आयोग की बैठक की सह-अध्यक्षता भी की.

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जयशंकर ने कहा, ‘‘हमारी चर्चाओं में राजनीतिक, रक्षा और समुद्री सुरक्षा, न्यायिक, व्यापार एवं निवेश, ऊर्जा, विकास, शिक्षा एवं प्रशिक्षण, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के अलावा सांस्कृतिक क्षेत्र में सहयोग शामिल था. '' उन्होंने कहा, ‘‘विश्वास है कि आने वाले वर्षों में हमारी व्यापक रणनीतिक साझेदारी और मजबूत होगी. साथ ही हिंद-प्रशांत क्षेत्र, वैश्विक मुद्दों के प्रति हमारी प्रतिबद्धता और विभिन्न बहुपक्षीय समूहों में हमारे सहयोग पर भी दृष्टिकोण साझा किया. '' वियतनाम की सरकारी समाचार एजेंसी (वीएनए) के मुताबिक बैठक में, दोनों पक्षों ने अगस्त 2020 में 17वीं बैठक के बाद से द्विपक्षीय संबंधों और 2021-2023 की अवधि के लिए वियतनाम-भारत व्यापक रणनीतिक साझेदारी पर कार्य योजना के कार्यान्वयन की व्यापक समीक्षा और मूल्यांकन किया.

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समाचार एजेंसी के अनुसार दोनों पक्षों ने शांति, स्थिरता, सुरक्षा, रक्षा और नेविगेशन तथा विमानन की स्वतंत्रता बनाए रखने और पूर्वी सागर में अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुपालन के महत्व पर बल देते हुए अंतरराष्ट्रीय कानून, विशेषकर 1982 के समुद्री कानून पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन (यूएनसीएलओएस) के आधार पर विवादों का समाधान करने की प्रतिबद्धता जताई. दोनों मंत्री विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं सूचना के क्षेत्र में सहयोग को मजबूत करने तथा सूचना प्रौद्योगिकी पर संयुक्त कार्य समूह की चौथी बैठक के आयोजन में तेजी लाने के साथ-साथ वियतनाम-भारत डिजिटल साझेदारी समझौते पर बातचीत और हस्ताक्षर करने पर सहमत हुए.

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दोनों पक्ष व्यापार और निवेश गतिविधियों के लिए अनुकूल माहौल बनाने के लिए निकट समन्वय पर भी सहमत हुए, जिसके तहत आपसी कारोबार को जल्द ही 20 अरब अमेरिकी डॉलर तक लाने का प्रयास किया जाएगा. जयशंकर ने वियतनाम के विदेश मंत्री को भारत का दौरा करने के लिए भी आमंत्रित किया. जयशंकर ने कहा कि उन्होंने वियतनाम की कम्युनिस्ट पार्टी के विदेश संबंध आयोग के अध्यक्ष ले होई ट्रुंग के साथ विभिन्न विषयों को लेकर उपयोगी चर्चा भी की. विदेश मंत्री जयशंकर ने सोमवार को कहा कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सहयोग भारत और वियतनाम के साझा हितों में है. जयशंकर ने आसियान केंद्रीयता के महत्व को रेखांकित करते हुए क्वाड समूह के योगदान पर प्रकाश भी डाला.

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उन्होंने वियतनाम की कूटनीतिक अकादमी में 'हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत' विषय पर अपने संबोधन के दौरान यह टिप्पणी की. जयशंकर ने 'एक्स' पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘ इस बात पर चर्चा की गई कि हिंद-प्रशांत निर्माण क्षेत्र में सहयोग करना हमारे साझा हितों में क्यों है. आसियान (दक्षिण पूर्वी एशियाई राष्ट्रों का संगठन) की केंद्रीयता के महत्व को रेखांकित किया और क्वाड के योगदान पर प्रकाश डाला. ''उन्होंने कहा, ‘‘यह बताया गया कि कैसे भारत और वियतनाम अपनी स्वतंत्र मानसिकता के साथ बहुध्रुवीय और नियम-आधारित वैश्विक व्यवस्था को बढ़ावा दे सकते हैं.''

अमेरिका, भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया ने मिलकर चार देशों के समूह क्वाड की रचना की है. हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के बढ़ते सैन्य और आर्थिक दबदबे के बीच क्वाड देश रक्षा और ऊर्जा जैसे विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग बढ़ा रहे हैं. हिंद-प्रशांत एक भू-जैविक क्षेत्र है जिसमें दक्षिण चीन सागर सहित हिंद महासागर,पश्चिमी तथा मध्य प्रशांत महासागर आते हैं. भारत,अमेरिका तथा कई अन्य शक्तिशाली देश संसाधन संपन्न क्षेत्र में चीन के बढ़ते कदमों के बीच स्वतंत्र,खुले और समृद्ध हिंद प्रशांत क्षेत्र सुनिश्चित करने की जरूरत पर लगातार जोर देते रहे हैं.

चीन विवादित दक्षिण चीन सागर के लगभग पूरे हिस्से पर अपना दावा करता है, हालांकि ताइवान, फिलीपीन, ब्रुनेई, मलेशिया और वियतनाम सभी इसके कुछ हिस्सों पर दावा करते हैं. बीजिंग ने दक्षिण चीन सागर में कृत्रिम द्वीप और सैन्य प्रतिष्ठानों का निर्माण किया है. चीन का पूर्वी चीन सागर में जापान के साथ भी क्षेत्रीय विवाद है. दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के संगठन (आसियान) को इस क्षेत्र के सबसे प्रभावशाली समूहों में से एक माना जाता है, तथा भारत और अमेरिका, चीन, जापान और ऑस्ट्रेलिया सहित कई अन्य देश इसके संवाद भागीदार हैं.

पिछले कुछ वर्षों में भारत और आसियान के बीच संबंधों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जिसमें व्यापार और निवेश के साथ-साथ सुरक्षा तथा रक्षा के क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया गया है

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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