World Sauntering Day 2025: सोचिए, अगर किसी दिन सुबह की भीड़-भाग न हो, मोबाइल की घंटी न बजे और आपको सिर्फ खुली हवा में धीरे-धीरे टहलना हो.. कैसा लगेगा? शायद वही एहसास दिलाने के लिए 19 जून को 'विश्व सैर-सपाटा दिवस' मनाया जाता है. यह दिन हमें याद दिलाता है कि जिंदगी सिर्फ दौड़ने के लिए नहीं है, कभी-कभी थम कर उसे जीना भी जरूरी होता है.
विश्व सैर-सपाटा दिवस (World Sauntering Day)
खासियत
इस दिन की खासियत यह है कि यह किसी प्रतियोगिता, लक्ष्य या रूटीन से जुड़ा नहीं है. यह सिर्फ खुद के साथ थोड़ा समय बिताने, आसपास की चीजों को महसूस करने और मन को शांत करने का मौका देता है.
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इस दिन को मनाने का मकसद
आज की दुनिया इतनी तेज हो गई है कि लोग अक्सर यह भूल जाते हैं कि सुकून भी जरूरी है. रोजमर्रा की भागदौड़ में थकावट, तनाव और अनदेखे दुख धीरे-धीरे भीतर जमा हो जाते हैं. ऐसे में एक ऐसा दिन जो आपको रुकने, गहरी सांस लेने और खुद से जुड़ने का मौका दे - किसी वरदान से कम नहीं.
सैर-सपाटा सिर्फ चलने भर का काम नहीं है. जब आप धीमे-धीमे, बिना किसी जल्दी के चलते हैं, तब आप हर उस चीज को देख पाते हैं जिसे आप दौड़ते हुए मिस कर जाते हैं - पेड़ों की हरियाली, ठंडी हवा, किसी बच्चे की मुस्कान या अपने ही दिल की आवाज.
इतिहास से जुड़ी कहानी
इस दिन की शुरुआत 1979 में अमेरिका के डब्ल्यू.टी. राबे नाम के एक व्यक्ति ने की थी. उनका मानना था कि ज़िंदगी को बेहतर बनाने के लिए ज़रूरी है कि इंसान रोज़ थोड़ा समय खुद के लिए निकाले. जॉगिंग और तेज़ चाल के ट्रेंड के बीच उन्होंने 'सैर-सपाटा' जैसी आसान, सुकूनभरी और आरामदेह आदत को बढ़ावा दिया.
राबे का कहना था कि सैर करने के लिए किसी खास तैयारी या लक्ष्य की जरूरत नहीं होती. बस, आरामदायक कपड़े पहनिए और निकल जाइए उस रास्ते पर जहां दिल ले जाए. कुछ लोग तो ऐसे होते हैं जिन्हें यह आदत जन्म से ही मिलती है.
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क्यों मनाया जाए यह दिन?
हर किसी को कभी न कभी लगता है कि वक्त हाथ से निकल रहा है. हम काम, ज़िम्मेदारियों और डिजिटल दुनिया में इतने उलझे रहते हैं कि असल ज़िंदगी से ही दूर हो जाते हैं. ऐसे में 19 जून का दिन एक मौका है - खुद को फिर से महसूस करने का, जिंदगी को उसकी असल रफ़्तार में जीने का.
अगर आप कहीं बाहर नहीं जा सकते, तो घर की बालकनी, छत या किसी छोटे से गार्डन में भी कुछ मिनट टहलना इसी भावना को जीना है. ज़रूरी नहीं कि आप पहाड़ों या समंदर किनारे जाएं, सैर तो वहां भी हो सकती है जहां मन को शांति मिले. तो इस 19 जून, खुद से एक वादा कीजिए: रोज़ नहीं तो हफ्ते में एक दिन, सिर्फ अपने लिए कुछ कदम चलेंगे.
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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)