विश्व मलेरिया दिवस 2022: जानिए इसका इतिहास, महत्व और इस साल की थीम

वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) के प्रायोजित वर्ल्ड हेल्थ असेंबली की 60वें सेशन में इसे अफ्रीका मलेरिया दिवस से विश्व मलेरिया दिवस में बदल दिया गया. इस पहल ने वर्ल्ड लेवल पर इस बीमारी से लड़ने में मदद की.

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केवल पांच प्रकार के प्लाज्मोडियम ही मनुष्यों में मलेरिया का कारण बनते हैं. फाल्सीपेरम, विवैक्स, ओवल, मलेरिएई और नॉलेसी.

World Malaria Day 2022: विश्व मलेरिया दिवस हर साल 25 अप्रैल को मनाया जाता है. दुनियाभर में इस घातक बीमारी के प्रति लोगों को जागरूक करने और इसे रोकने के  मकसद से इसकी शुरुआत हुई थी. हर साल मलेरिया दिवस (World Malaria Day) की कोई न कोई थीम (World Malaria Day Theme) होती है. इस साल 2022 में मलेरिया दिवस की थीम हारनेस इनोवेशन टू रिड्यूस द मलेरिया डिजीज बर्डन एंड सेव लाइव्स ('Harness Innovations to Reduce the Malaria Disease Burden and Save Lives)' है. यानी 'मलेरिया के बर्डन को कम करने और जीवन बचाने के लिए इनोवेशन का इस्तेमाल.'

मलेरिया कैसे होता है?

मलेरिया प्लाज्मोडियम परजीवी के कारण होता है. ये परजीवी मादा एनाफिलीज मच्छरों के जरिए मनुष्यों तक पहुंचता है. जब परवीजी से संक्रमित एनोफिलीज मच्छर किसी इंसान को काटता है तो परजीवी खून में सीधे प्रवेश कर जाता है और मलेरिया की बीमारी हो जाती है. वैसे प्लाज्मोडियम परजीवी विभिन्न प्रकार के होते हैं.

केवल पांच प्रकार के प्लाज्मोडियम ही मनुष्यों में मलेरिया का कारण बनते हैं. फाल्सीपेरम, विवैक्स, ओवल, मलेरिएई और नॉलेसी.

विश्व मलेरिया दिवस का इतिहास

विश्व मलेरिया दिवस के इतिहास पर नजर डालें तो पहली बार इसे अफ्रीका मलेरिया दिवस के रूप में मनाया गया था. वैसे तो इसे अफ्रीकी सरकार 2001 से मना रही थी, लेकिन पहली बार 2008 में चिह्नित किया गया. वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) के प्रायोजित वर्ल्ड हेल्थ असेंबली की 60वें सेशन में इसे अफ्रीका मलेरिया दिवस से विश्व मलेरिया दिवस में बदल दिया गया. इस पहल ने वर्ल्ड लेवल पर इस बीमारी से लड़ने में मदद की.

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विश्व मलेरिया दिवस का महत्व

यह दिन काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि WHO की वर्ल्ड मलेरिया रिपोर्ट 2021 के अनुसार 2020 में करीब 627,000 लोगों की मौत मलेरिया से हुईं. 2019 की तुलना में ये 12% की बढ़ोतरी है. दुनियाभर में मलेरिया के मामलों में से 55% केस 6 देश - नाइजीरिया (27%); डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो (12%); युगांडा (5%); मोजाम्बिक (4%); अंगोला (3.4%) और बुर्किना फ़ासो (3.4%) से है. यानी कई देश अभी भी इस बीमारी को लेकर पूरी तरह से जागरूक नहीं है.जाहिर है कि ऐसे हालात में दुनिया भर के लोगों को इस जानलेवा बीमारी के बारे में जागरूक करना बेहद जरूरी है और यही कारण है कि विश्व मलेरिया दिवस का महत्व वर्तमान परिस्थितियों में बहुत अधिक है.

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