छोटे बच्चे शाम होते ही क्यों रोने लगते हैं, जानिए वजह और चुप कराने का सरल तरीका

शाम के रोने को अक्सर डॉक्टर और पेरेंट्स 'विचिंग आवर' (Witching Hour) या 'शाम की बेचैनी' कहते हैं. अच्छी खबर यह है कि यह बिल्कुल सामान्य है और ज्यादातर बच्चों में यह शुरुआत के 3 हफ्ते से लेकर 3 से 4 महीने की उम्र तक होता है.

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समझते हैं कि आखिर शाम होते ही बच्चे क्यों रोते हैं और आप उन्हें चुप कराने के लिए क्या कर सकते हैं.

Parenting tips : अगर आप नए माता-पिता बने हैं, तो आपने यह जरूर महसूस किया होगा कि आपका नन्हा मेहमान दिनभर तो शांति से रहता है, लेकिन जैसे ही शाम होती है, उसका रोना शुरू हो जाता है. कई बार तो यह रोना इतना तेज और लगातार होता है कि पेरेंट्स परेशान हो जाते हैं और सोचने लगते हैं कि आखिर क्या गड़बड़ है?

इस शाम के रोने को अक्सर डॉक्टर और पेरेंट्स 'विचिंग आवर' (Witching Hour) या 'शाम की बेचैनी' कहते हैं. अच्छी खबर यह है कि यह बिल्कुल सामान्य है और ज्यादातर बच्चों में यह शुरुआत के 3 हफ्ते से लेकर 3 से 4 महीने की उम्र तक होता है. आमतौर पर, यह रोना शाम 4 बजे से लेकर आधी रात तक के बीच कभी भी शुरू हो सकता है.

चलिए, समझते हैं कि आखिर शाम होते ही बच्चे क्यों रोते हैं और आप उन्हें चुप कराने के लिए क्या कर सकते हैं.

शाम को बच्चे क्यों रोते हैं? 

1. दिनभर की थकान 

आसान भाषा में कहें तो, दिनभर की भाग-दौड़ के बाद वे इतने थक जाते हैं कि उनका दिमाग शांत नहीं हो पाता और वे रोकर अपनी सारी टेंशन और थकान बाहर निकालते हैं.

2. बार-बार भूख लगना (Cluster Feeding)

शाम के समय कई बच्चे 'क्लस्टर फीडिंग' करना पसंद करते हैं. इसका मतलब है कि वे एक छोटे से समय अंतराल में बार-बार दूध पीने की मांग करते हैं. यह उनके विकास (Growth Spurt) का एक हिस्सा भी हो सकता है. वे रोकर इशारा करते हैं कि उन्हें फिर से दूध पीना है, भले ही उन्होंने थोड़ी देर पहले ही पिया हो.

3. पेट में गैस या दर्द (Colic)

हालांकि, यह हर बच्चे के साथ नहीं होता, लेकिन अगर आपके बच्चे का रोना बहुत जोर, लगातार, और शांत न होने वाला है, और यह सप्ताह में 3 या उससे अधिक दिन, लगातार 3 घंटे या उससे ज्यादा समय तक हो रहा है, तो यह 'कॉलिक' (Colic) यानी पेट का दर्द हो सकता है. शाम का समय कॉलिक का पीक टाइम होता है. ऐसे में डॉक्टर से सलाह जरूर लें.

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बच्चे को चुप कराने का आसान तरीका

बच्चों को शांत करने का सबसे अच्छा तरीका है उन्हें फिर से गर्भ जैसा सुरक्षित महसूस कराना. इसके लिए आप '5 S' फॉर्मूले का इस्तेमाल कर सकते हैं:

स्वैडलिंग (Swaddling): बच्चे को हल्के और आरामदायक कपड़े में कसकर लपेट दें. इससे उन्हें गर्माहट और सुरक्षित महसूस होता है, जैसे वे अभी भी मां के पेट में हैं.

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झुलाना (Swaying/Swinging): बच्चे को गोदी में लेकर धीरे-धीरे झूलें या चलें. चलने की हलचल से बच्चा शांत होता है.

शांत आवाज (Shushing/White Noise): बच्चे के कान के पास 'शS-शS' की हल्की और लगातार आवाज निकालें या घर में पंखे, वैक्यूम क्लीनर या हेयर ड्रायर की धीमी 'व्हाइट नॉइज' (White Noise) चलाएं. यह गर्भ के अंदर की आवाज जैसा महसूस कराता है.

चूसना (Sucking): बच्चे को शांत करने के लिए निप्पल या पैसिफायर (Pacifier) दें. चूसने की क्रिया उन्हें शांत करती है.

पेट के बल लिटाना (Side or Stomach): बच्चे को गोदी में लेकर पेट के बल (Side or Stomach Position) लिटाएं और पीठ को हल्के हाथ से थपथपाएं. इससे पेट की गैस या दर्द में भी थोड़ी राहत मिल सकती है. एक बात का ध्यान दें बच्चे को सुलाते समय हमेशा पीठ के बल ही लिटाएं.
 

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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